भगवान गणपति को अर्पित 3100 किलो मेहंदी (ETV BHARAT JAIPUR) जयपुर :गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को शहर के गणेश मंदिरों में सिंजारा महोत्सव मनाया गया. जयपुर के प्रमुख मोती डूंगरी गणेश मंदिर में भगवान को स्वर्ण मुकुट धारण कराते हुए चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया और नौलखा हार धारण कराया. साथ ही 3100 किलो मेहंदी अर्पित की गई. सिंजारा उत्सव के दौरान प्रदेश के मुखिया भजनलाल शर्मा भी मंदिर पहुंचे. यहां सीएम मेहंदी पूजन और आरती में शामिल हुए और भगवान से आशीर्वाद पाते हुए गणपति जी को अर्पित शुभ डंके भक्तों के बीच वितरित किए.
छोटी काशी में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है. प्रथम पूज्य के जन्मोत्सव के उल्लास में प्रदेश के मुखिया भजनलाल शर्मा भी डूबे हुए नजर आए. शुक्रवार को मोती डूंगरी गणेश मंदिर में सिंजारा उत्सव के दौरान मुख्यमंत्री पट खुलने से पहले ही मंदिर पहुंचे और यहां भगवान गणपति के समक्ष बैठ प्रदेश की खुशहाली और तरक्की की कामना की. इस दौरान महंत कैलाश शर्मा के सानिध्य में भगवान का पारंपरिक शृंगार किया गया. उन्हें गोटा पत्ती की विशेष पोशाक धारण कराई गई. शृंगार के भाव में नौलखा हार और स्वर्ण मुकुट धारण कराते हुए चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया. वहीं पाली जिले के सोजत से मंगाई गई 3100 किलो मेहंदी भगवान को अर्पित की गई और फिर यही मेहंदी पहले सीएम और फिर श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित की गई.
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इस दौरान भगवान के पूजन के बाद महंत कैलाश शर्मा ने सीएम की ओर से लाए गए प्रसाद का भी भोग लगाया और फिर भगवान को अर्पित की हुई दुशाला और चांदी के शुभ डंके मुख्यमंत्री को दिए. वहीं, सीएम ने मेहंदी पूजन और आरती के बाद भगवान गणपति को अर्पित डंके भक्तों को भी वितरित किए. साथ ही मंदिर परिसर में पहुंचे लोगों का अभिवादन भी किया. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे. बहुत से श्रद्धालु अपने साथ भगवान को अर्पित करने के लिए ध्वज पताकाएं भी लेकर के पहुंचे. वहीं दोने में भरकर प्रसाद के रूप में मेहंदी अपने परिवार के लिए लेकर गए. मान्यता है कि भगवान को अर्पित सिंजारे की मेहंदी लगाने से विवाहितों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. वही कुंवारों की शादी हो जाती है.
उधर, जयपुर के अन्य गणेश मंदिरों में भी इसी तरह सिंजारा उत्सव मनाया गया. नाहरगढ़ की तलहटी में बने प्राचीन नहर के गणेश मंदिर में भी भगवान गणपति को विशेष शृंगार करते हुए लहरिया पोशाक और साफा धारण करवाया गया. इसके साथ ही मेहंदी पूजन कर असंख्य मोदकों की झांकी सजाई गई. इसके बाद नवीन चोले की सिंदूर और मेहंदी भक्तों को वितरित की गई. जबकि जयपुर की बसावट के दौरान बने परकोटे वाले गणेश जी मंदिर में भगवान को अर्पित कपड़े, खिलौने, डंके, गुड़धानी उछाल के रूप में श्रद्धालुओं में वितरित की गई.