देहरादून (किरनकांत शर्मा): उत्तराखंड में चल रहे 38 वें नेशनल गेम्स को लेकर राज्य में अब माहौल खेलमय दिख रहा है. आज नेशनल गेम्स का 10वां दिन है. सरकार और सरकार के अधिकारी भी इस बात से राहत की सांस ले रहे हैं कि अब तक सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा है.
केंद्र सरकार और राज्य सरकार के साझा प्रयास से उत्तराखंड में 38वें नेशनल गेम्स के लिए जो इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है, वह न केवल काबिल-ए-तारीफ है, बल्कि भविष्य के लिए भी कई संभावनाएं लेकर आया है. 14 फरवरी को उत्तराखंड में इन खेल का समापन भले हो जाएगा, लेकिन उत्तराखंड के खेल प्रेमियों और खिलाड़ियों के लिए 14 तारीख के बाद बहुत कुछ बदल जाएगा. इस बदलाव में सबसे बड़ी भूमिका राज्य सरकार की खेल के प्रति कार्य प्रणाली और नीयत पर टिकी हुई है.
नेशनल गेम्स के बाद बदल सकता है उत्तराखंड के खिलाड़ियों का स्तर:उत्तराखंड में चल रहे 38वें नेशनल गेम्स को लेकर जिस तरह से राजधानी देहरादून में खिलाड़ियों के लिए रुकने, खेलने, खाने-पीने और दूसरी अन्य व्यवस्था की हुई हैं, इस तरह से राज्य के अलग-अलग जनपदों में भी खेल के लिए पूरा का पूरा इंफ्रास्ट्रक्टर खड़ा किया गया है. शानदार स्टेडियम, बैठने के लिए कुर्सियां, तीरंदाजी से लेकर फुटबॉल, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, जिमनास्टिक, लॉन बॉल और वो हर खेल जो नेशनल गेम्स का हिस्सा हैं, उसमें खिलाड़ी नेशनल गेम्स खत्म होने के बाद भी विश्व स्तरीय अभ्यास कर सकते हैं. पूरे राज्य में खेल के लिए जो मैदान तैयार हुए हैं, उनको लेकर राज्य सरकार के अधिकारी तो तैयारी कर ही रहे हैं, लेकिन जानकार मानते हैं कि अगर यह तैयारी सिर्फ कागजों तक सीमित रही तो फिर इतने शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर को संभालने वाला कोई नहीं होगा.
सरकार ने किया ये प्लान तैयार: 10 दिन सफलतापूर्वक बीत जाने के बाद खेल संयोजक और विशेष प्रमुख सचिव खेल अमित सिन्हा कहते हैं कि-
हमारे लिए नेशनल गेम्स करवाना जितनी बड़ी चुनौती है, उससे कहीं ज्यादा अब हम इस बारे में सोच रहे हैं कि हम पूरे प्रदेश में बने खेल के माहौल को आगे कैसे लेकर जाएं. लिहाजा हमने इस नेशनल गेम्स के साथ-साथ इस बात पर भी जोर देते हुए एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है. हम बहुत जल्द ही सभी लोगों के साथ बहुत कुछ शेयर भी करेंगे. हम यह वादा करते हैं कि नेशनल गेम्स तो संपन्न हो जाएंगे, लेकिन आने वाले दिनों में इन तैयार हुए ग्राउंड से हमारे प्रदेश से कई बड़े खिलाड़ी बनकर तैयार होंगे.
-अमित सिन्हा, खेल संयोजक और विशेष प्रमुख सचिव खेल-
उत्तराखंड में 10 शहरों में राष्ट्रीय खेल हो रहे हैं. इनमें टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जैसे सीमांत पर्वतीय जिलों के शहर हैं तो मैदानी खेल निचले इलाकों में स्थित जिलों में हो रहे हैं. अमित सिन्हा का कहना है कि-
खिलाड़ियों को अब देहरादून से लेकर अल्मोड़ा, हल्द्वानी, हरिद्वार, पिथौरागढ़ और अन्य सभी जनपदों और शहरों में वह सभी सुविधाएं मिलेंगी, जो शायद उन्हें बड़े शहरों में जाकर मिलती थी. अब इन सुविधाओं को छोटे-छोटे गांवों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. नेशनल गेम्स खत्म होने के बाद हमारा सबसे बड़ा काम यही रहेगा कि खिलाड़ियों को यह सभी सुविधाएं आसानी से अपने प्रदेश में ही मुहैया कराई जाएं. मैं आपसे वादा करता हूं कि इस पूरे के पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा हमें आने वाले नेशनल गेम्स और ओलंपिक खेल में देखने के लिए कल जरूर मिलेगा.
-अमित सिन्हा, खेल संयोजक और विशेष प्रमुख सचिव खेल-
जानकार की सलाह, सरकार इस बात पर दे ध्यान:खेल जानकार मनमोहन भट्ट कहते हैं कि-
नेशनल गेम्स के लिए बने यह सभी स्टेडियम काबिल-ए-तारीफ हैं. मैं खुद कई ग्राउंड में इन खेलों को देखकर आया हूं. अब राज्य सरकार के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है कि इस पूरे के पूरे माहौल को प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए बना कर रखे. हमने पूर्व में देखा है कि कैसे देहरादून के अंदर ही हजारों करोड़ रुपए की लागत से बना आइस स्केट रिंक एक भी खेल नहीं करवा पाया. राज्य सरकार इस बात को सुनिश्चित करे कि यह सब खेल विभाग संभाल लेगा या फिर इसके लिए सरकार को अलग संगठन या प्राइवेट एजेंसियों को भी हायर करना पड़ेगा. इस बारे में सोचना चाहिए लेकिन इतना शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर और खेलों का शानदार माहौल सहेज कर रखा जाए.
-मनमोहन भट्ट, खेल जानकार-
इतने बजट से तैयार हुआ है इंफ्राट्रक्चर:गौरतलब है कि उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेलों के लिए 350 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है. राज्य सरकार का कहना है कि और पैसों की अगर जरूरत पड़ी तो बजट को और बढ़ाया भी जा सकता है. उत्तराखंड लंबे समय से नेशनल खेल की मेजबानी की राह देख रहा था. साल 2025 में उसे यह मौका मिला है.