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भारत के पूर्व फुटबॉल प्लेयर और कोच टीके चथुन्नी का हुआ निधन - FOOTBALL

अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने पुष्टि की है कि पूर्व भारतीय डिफेंडर टीके चथुन्नी का संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया. एआईएफएफ ने चथुन्नी के निधन पर दुख व्यक्त किया. उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं. पढ़िए पूरी खबर..

TK Chathunni
कोच टीके चथुन्नी (IANS PHOTOS)

By IANS

Published : Jun 12, 2024, 5:15 PM IST

कोच्चि: केरल के जाने-माने पूर्व फुटबॉलर टी.के. चथुन्नी का बुधवार को 79 वर्ष की आयु में कैंसर से जूझते हुए एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन से भारतीय फुटबॉल जगत में चारों ओर शोक की लहर दौड़ गई है. प्रतिष्ठित संतोष ट्रॉफी में केरल और गोवा के लिए डिफेंडर के तौर पर खेलने वाले चथुन्नी ने कोचिंग की दुनिया में भी खूब नाम कमाया. उन्होंने बतौर कोच कई बेहतरीन खिलाड़ियों को तैयार किया है. वह भारतीय फुटबॉल के बेहतरीन कोचों में गिने जाते थे.

उनके नाम दर्ज हैं ये बड़ी उपलब्धियां
उन्होंने अपने कोचिंग कार्यकाल में मोहन बागान, एफसी कोचीन और डेम्पो गोवा सहित देश के कई प्रमुख क्लबों के अलावा केरल टीम को भी कोचिंग दी. उनकी कोचिंग में खिलाड़ियों ने हमेशा शानदार प्रदर्शन किया है, जबकि कई टीमें भी खिताब जीतने में सफल रही हैं. उनके कोचिंग करियर की मुख्य उपलब्धि आई.एम. विजयन और कई अन्य प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को तैयार करना था. जो फुटबॉल की दुनिया में बड़ा कीर्तिमान हासिल कर चुके हैं.

चथुन्नी के निधन पर जताया शोक
विजयन ने कहा, 'मैं उनका आभारी हूं क्योंकि उन्होंने ही मुझे फुटबॉलर विजयन बनाया'. उनके निधन पर फुटबॉल समुदाय और राजनीतिक नेताओं ने व्यापक शोक व्यक्त किया है. केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. अपने संदेश में मुख्यमंत्री ने याद किया कि चथुन्नी चार दशकों तक खिलाड़ी और कोच के रूप में सक्रिय रहे.

चथुन्नी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा, 'चथुन्नी एक भरोसेमंद डिफेंडर थे और बाद में एक शीर्ष श्रेणी के कोच बने. मैं दुख की इस घड़ी में उनके परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं'.

एआईएफएफ के कार्यवाहक महासचिव एम. सत्यनारायण ने कहा, 'टीके चथुन्नी अपने समय के एक प्रतिष्ठित फुटबॉलर थे और अपनी कोचिंग से बाद की पीढ़ियों के फुटबॉलरों को प्रेरित करते रहे. उनके निधन से भारतीय फुटबॉल में एक शून्य पैदा हो गया है'.

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