नई दिल्ली : तैराकी ओलंपिक इतिहास के सबसे सफल खेलों में से एक रहा है. इस खेल में अमेरिका की महिला तैराकों का दबदबा रहा है. आज हम आपको पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत से पहले अमेरिका की महिला तैराक नेटली कफ़लिन के बारे में बताने वाले हैं, जिनका जन्म 23 अगस्त 1982 कैलिफोर्निया के वैलेजो में हुआ था. इनका पूरा नाम नताली ऐनी कफ़लिन हॉल हैं. इन्होंने अपने करियर में 12 ओलंपिक पदक अपने नाम किए हैं.
कैसे हुई कफ़लिन के करियर की शुरुआत
नेटली कफ़लिन ने 8 साल की उम्र में पहली बार वैलेजो एक्वेटिक्स क्लब में तैराकी शुरू की थी. इसके बाद 2001 विश्व चैंपियनशिप में अंतरराष्ट्रीय तैराकी स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करने बाद सभी की नजरों में आईं. उन्होंने 100 बैकस्ट्रोक में स्वर्ण पदक और 50 बैकस्ट्रोक में कांस्य पदक जीता था. 2002 में पैन-पैसिफ़िक्स में उन्होंने छह पदक जीते, जिनमें से चार स्वर्ण थे. इसके साथ ही 100 फ्रीस्टाइल, 100 बटरफ्लाई और 100 बैक में तीन व्यक्तिगत चैंपियनशिप भी जीतीं. इसके बाद उन्होंने ओलंपिक की ओर अपना कदम बढ़ाया.
नेटली ने पहले ही ओलंपिक में मचाया धमाल
कफ़लिन 2004 ओलंपिक के लिए शुरुआती पसंदीदा थीं लेकिन 2003 में और विशेष रूप से विश्व चैंपियनशिप में उनका प्रदर्शन फीका रहा था. वहां उन्होंने केवल दो रिले पदक जीते थे. उस समय वो काफी बीमार थीं और उन्होंने प्रतिस्पर्धा न करने पर विचार किया था. कफ़लिन ने 2004 में अपना पहला ओलंपिक खेला था. एथेंस ओलंपिक खेलों में शीर्ष महिला तैराक थीं, जिन्होंने दो स्वर्ण समेत कुल पांच पदक जीते थे. व्यक्तिगत रूप से उन्होंने 100 मीटर बैकस्ट्रोक जीता और 100 फ्रीस्टाइल में तीसरे स्थान पर रहीं थी. उन्होंने 800 मीटर फ्रीस्टाइल रिले में अपना दूसरा स्वर्ण पदक जीता और अन्य रिले में संयुक्त राज्य अमेरिका की टीम के सदस्य के रूप में दो रजत पदक जीते थे.
बीजिंग ओलंपिक 2008 लगी मेडल्स की झड़ी
कफ़लिन ने 2005 की विश्व चैंपियनशिप में 4x200 फ्रीस्टाइल रिले स्वर्ण पदक जीता. 2007 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 100 बैकस्ट्रोक और 200 फ्रीस्टाइल जीता और 4x2 फ्रीस्टाइल रिले में स्वर्ण पदक जोड़ा था. इसके बाद बीजिंग ओलंपिक 2008 में वो फिर से अमेरिकी तैराक के रूप में उतरीं और उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया. उन्होंने छह स्पर्धाओं में भाग लिया, उन सभी में पदक जीता, जिसमें 100 बैकस्ट्रोक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक शामिल था, जो उस ओलंपिक खिताब का बचाव करने वाली पहली महिला बनीं.