डेढ़ सौ साल बाद सकट चौथ पर बना खास संयोग, जरूर करें ये काम बरसेगी बप्पा की कृपा - सकट चौथ के दिन जरूर करें ये काम
Sakat Chauth Pooja Muhurt: हर साल माघ के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 29 जनवरी को पड़ रहा है. खास बात यह है सैकड़ों साल बाद इस बार खास संयोग बन रहा है. पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानिए पूजा विधि और इसका महत्व...
Significance of Sakat Chauth Fast:इस बार सकट चौथ 29 जनवरी को पड़ रही है. इसे बहुत विशेष माना जाता है और इस बार तो यह विशेष भी है, क्योंकि सैकड़ों साल बाद ऐसा संयोग भी बन रहा है. ऐसे में ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि सकट चौथ के दिन विशेष पूजा करना, व्रत करना, गणेश जी और चंद्रमा की विशेष तौर पर पूजा करने से बहुत लाभ होता है.
कई नामों से जाना जाता है सकट चौथ
सकट चौथ का जो दिन होता है, वह अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है. यह भगवान गणेश को समर्पित त्यौहार है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. कहीं-कहीं पर इसे संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. कहीं सकट चौथ के नाम से जाना जाता है. अगर किसी महीने में यह मंगलवार के दिन पड़ता है, तो इसे अंगारकी चतुर्थी भी कहा जाता है. अंगारकी चतुर्थी 6 महीने में एक बार आती है. इस दिन व्रत करने से जातक को पूरे संकष्टी का लाभ मिल जाता है. दक्षिण भारत में लोग इस दिन को बहुत उत्साह और उल्लास से मनाते हैं.
सैकड़ों साल बाद बन रहा ऐसा संयोग
सकट चौथ का व्रत संतान की तरक्की और उसकी खुशहाली के लिए रखा जाता है. इस बार सकट चौथ का जो व्रत है, उस दिन 100 साल बाद ऐसा योग बन रहा है. जब मंगल, शुक्र और बुध ग्रह धनु राशि में होंगे. जिससे त्रिग्रही योग बनेगा और साथ में शोभन योग भी बनेगा. जिससे कई राशियों को लाभ भी होगा.
सकट चौथ में ऐसे करें पूजा
ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं की माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी को संतान रक्षा, संतान की आयु वृद्धि और सुख शांति के लिए माताएं व्रत करती हैं. गणेश जी की पूजा करती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर के तिल का लड्डू चढ़ाती हैं. जिसे सकट चौथ के तौर पर जाना जाता है और यह बहुत ही अहम दिन होता है.
सकट चौथ या संकटा चतुर्थी का व्रत जो भी जातक करना चाहते हैं. वो पहले सुबह स्नान करें, गणेश जी के पास प्रार्थना करें और प्रार्थना करने के बाद व्रत की शुरुआत करें. गणेश जी की विधि विधान से पूजा करें और रात में जब चंद्रमा का उदय हो जाए, तो शाम को चंद्रमा को अर्घ दें. दूध, जल, गंगाजल से अर्घ दें. इसके बाद वहां टीका और तिल के लड्डू का भोग लगाएं. फिर हवन करें और तिल के लड्डू को ही प्रसाद मानकर भोजन भी करें. उस तिल के लड्डू को लोगों के बीच बांटे तो इसका बड़ा पुण्य मिलता है. संतान की रक्षा होती है और संतान की आयु वृद्धि होती है. आपकी संतान निरोगी रहती है.