केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को संसद में केंद्रीय बजट 2025-26 पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 पेश किया जिसमें मध्यमवर्ग को आयकर में राहत और कृषि क्षेत्र को नए कदमों का प्रस्ताव दिया गया है. एक दिन पहले पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण ने यह स्पष्ट कर दिया था कि पड़ोसी चीन के बारे में जागरूक होना और एक मैन्युफैक्चरिंग पावर के रूप में उभरना उनके लिए कितनी बड़ी चुनौती है.
मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम और कई अन्य जैसे प्रतिष्ठित वित्त मंत्रियों द्वारा प्रस्तुत अतीत के आधार पर खुद को आंकने की कोशिश में वित्त मंत्री भूल गईं कि चल रहे मेगा धार्मिक आयोजन महाकुंभ ने राजस्व की कितनी संभावनाएं पैदा की हैं.
निर्मला ने जिस बारे में बात नहीं की, वह 144 सालों में पहली बार कुंभ मेले के आयोजन से देश में आने वाली संपदा की वृद्धि द्वारा रेखांकित विकास दर थी. यहां प्रयागराज में, लगभग 20 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं. इतना ही नहीं, प्रयागराज महाकुंभ में पारंपरिक स्नान के लिए जाने वाले करोड़ों श्रद्धालु जो अमेरिका और कनाडा की संयुक्त आबादी से भी अधिक हैं, ने 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं और इस प्रक्रिया में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
अजीब बात है कि, हमारे सकल घरेलू उत्पाद की प्रकृति को बदलने वाले इतने महत्वपूर्ण आयोजन (महाकुंभ) पर हमारे वित्त मंत्री की नजर नहीं गई. यहीं पर प्रधानमंत्री मोदी के नारे 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' ने इस अवधारणा को सार्थक किया. देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे चार आयोजन करने और हर साल सकल घरेलू उत्पाद में 3 से 4 प्रतिशत वृद्धि और रोजगार के अवसर पैदा करने में क्या बुराई थी. इस तरह हम एआई के मोह में संख्याओं के इस खेल में चीन और संदेहवादी पश्चिम को मात दे सकते थे.
हालांकि, वित्त मंत्री के बजट में मध्यम वर्ग को खुश करने के लिए पर्याप्त था. सबसे बड़ी उम्मीद जो पूरी हुई वह यह थी कि, व्यक्तिगत आयकर के स्लैब में बदलाव किया गया. अब करदाताओं को 12 लाख रुपये तक कोई कर नहीं देना होगा. वहीं, अन्य स्लैब को भी सुव्यवस्थित किया गया. अकेले इस हस्तक्षेप से सरकार ने कर के रूप में लगभग 1.20 लाख करोड़ रुपये छोड़ने का फैसला किया और माना जा रहा है कि इससे खपत बढ़ेगी.
इससे मध्यम वर्ग के विरोधी खुश होंगे. सरकार को उम्मीद है कि, 5 फरवरी को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में दिल्ली के बेचैन मतदाता भाजपा को वोट देंगे. कई मायनों में, बजट के साथ-साथ आयकरदाताओं को इस राहत की घोषणा का समय इससे बेहतर समय पर नहीं आ सकता था. हालांकि दिल्ली के मतदाता अलग-अलग तरीकों से हो रहे नकद ट्रांसफर जैसे मुफ्त उपहारों से बिगड़े हुए हैं, लेकिन भाजपा के समर्थक सीतारमण के बजट से उत्साहित होंगे.