नई दिल्ली: ईरान के राष्ट्रपति पद के लिए बहुप्रतीक्षित चुनाव के परिणाम आखिरकार 6 जुलाई को दूसरे दौर के लिए हुए मतदान के बाद सामने आ गए. चुनाव में सुधारवादी विचारों के लिए जाने जाने वाले 69 साल के मसूद पेजेशकियन ने अपने रूढ़िवादी प्रतिद्वंद्वी सईद जलीली को हरा दिया. पेजेशकियन को 53.7 फीसदी वोट मिले. वहीं, जलीली 44.3 प्रतिशत वोच ही पा सके.
पेशे से हार्ट सर्जन पेजेशकियन पांच बार ईरानी संसद के सदस्य, दो काउंटियों के गवर्नर और ईरान के स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. पूर्व सुधारवादी राष्ट्रपति रूहानी से प्रभावित होने के कारण, पेजेशकियन को अतीत में दो बार राष्ट्रपति पद का चुनाव हारे. इतना ही नहीं एक बार 2013 में उन्हें अपनी उम्मीदवारी भी वापस लेनी पड़ी थी और फिर 2021 में, जब उनका नाम गार्जियन काउंसिल ने खारिज कर दिया था.
हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने घोषणा की कि बल प्रयोग से धार्मिक आस्था को लागू करना वैज्ञानिक रूप से असंभव है. इसके कारण उनके कट्टर विरोधियों ने उनकी आलोचना की. गौरतलब है कि संसद के अध्यक्ष सहित अन्य सभी प्रमुख उम्मीदवारों ने सईद जलीली के पक्ष में अपना नाम वापस ले लिया, जिससे मुकाबला स्पष्ट रूप से रिफॉर्म बनाम ट्रेडिशन बन गया.
चुनाव अभियान के दौरान पेजेशकियन ने इंटरनेट प्रतिबंधों को कम करने, अपने मंत्रिमंडल में अधिक महिलाओं और आदिवासियों को शामिल करने और सबसे बढ़कर, परमाणु महत्वाकांक्षाओं के कारण अपने देश पर लगे बैन को कम करने के लिए ज्वाइंट कॉम्प्रेहिंसिव प्लान ऑफ एक्शन (JCPOA) को रिवाइव करने के लिए काम करने का भी वादा किया था.
उन्होंने पश्चिम के साथ रचनात्मक संबंध बनाकर ईरान को उसके अलगाव से बाहर निकालने के अपने इरादे की निर्भीकता से घोषणा की.अपने प्रतिद्वंद्वी के साथ एक चुनावी बहस में उन्होंने ने दावा किया कि बढ़ती मुद्रास्फीति (वर्तमान में लगभग 40%) को रोकने का एकमात्र तरीका 200 बिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी निवेश सुनिश्चित करना है, जो दुनिया के साथ संबंधों को सुधारे बिना मुमकिन नहीं है.
जाहिर है, उन्होंने चीन, रूस और मुट्ठी भर पारंपरिक सहयोगियों से परे द्विपक्षीय संबंधों पर फिर से विचार करने पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं. ईरान के भीतर, पेजेशकियन की जीत पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं. जहां कुछ लोगों के लिए सत्ता में उनका आना लंबे समय से अपेक्षित सुधारों की उम्मीद जगाता है, खासकर 2022 में देश भर में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के बाद, वहीं कुछ अन्य लोगों को लगता है कि वे शायद ही कोई सुधार ला पाएं. प्रसिद्ध ईरानी राजनीतिक कमेंटेटर मोसादेग मोसादेगपुर के अनुसार, लोगों को अभी उम्मीद है कि वह कुछ अच्छे बदलाव ला सकते हैं और कुछ मुद्दों को सुलझा सकते हैं.
घरेलू नीतियों में बड़ा बदलाव की उम्मीद नहीं
हालांकि, घरेलू नीतियों में कोई बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं की जा सकती. संवैधानिक प्रावधानों और रहबर (सर्वोच्च नेता) अयातुल्ला अली खामेनेई की अपार शक्ति को देखते हुए, इंटरनेट प्रतिबंध में ढील, कैबिनेट में महिलाओं और आदिवासियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने जैसे कुछ सामाजिक बदलावों की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन हिजाब और पुलिस की मनमानी जैसे अधिक विवादास्पद मुद्दों पर उनके द्वारा कोई चर्चा होने की संभावना नहीं है.
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि राष्ट्रपति के हाथ बंधे हुए हैं और देश के सर्वोच्च नेता के अपने दृष्टिकोण भी रूढ़िवादी हैं. उनके पास सशस्त्र बलों, खुफिया, पुलिस, न्यायपालिका, रेडियो और टीवी के प्रमुखों और संरक्षक परिषद के सदस्यों को नियुक्त करने का अधिकार है.
इसके अलावा इस साल मार्च में चुनी गई नई संसद में कट्टरपंथी बहुमत में हैं, जिससे पेजेशकियन के लिए मुश्किल हालात से बाहर निकलना और भी कठिन होगा. हालांकि, ईरान पर पश्चिमी देशों और वित्तीय संस्थानों के लगाए गए प्रतिबंधों के विनाशकारी प्रभावों को देखते हुए, खामेनेई नए राष्ट्रपति को JCPOA को फिर से शुरू करने के लिए बातचीत करने की छूट दे सकते हैं.