नई दिल्ली: गृहयुद्ध से त्रस्त म्यांमार में दो जातीय प्रतिरोध बलों (Ethnic Resistance Forces) के बीच हुए संघर्ष के बीच मिजोरम के संगठन ने भारत-म्यांमार सीमा पर नाकेबंदी कर दी. इससे यहां के डायनामिक्स बदल रहे हैं. मिजोरम के लॉन्गतलाई स्थित सेंट्रल यंग लाई एसोसिएशन (CYLA) ने म्यांमार के चिन राज्य में महत्वपूर्ण पलेत्वा टाउनशिप पर अराकान आर्मी जातीय प्रतिरोध समूह के नियंत्रण के कारण म्यांमार के रखाइन राज्य में भारत से आवश्यक वस्तुओं के आयात पर नाकाबंदी लगा दी है.
इससे चलते यहां एक संघर्ष छिड़ गया है, जिसमें एक ओर चिनलैंड काउंसिल और चिन नेशनल आर्मी और दूसरी तरफ अराकान आर्मी और चिन ब्रदरहुड नामक एक अलग चिन समूह खड़ा है. यह भारत के लिए नुकसानदेह हो सकता है, क्योंकि पलेतवा भारत द्वारा वित्तपोषित कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) में एक महत्वपूर्ण कड़ी है. केएमटीटीपी पश्चिम बंगाल के हल्दिया बंदरगाह को म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से जोड़ता है जिसे भारत के वित्त पोषण से बनाया गया था.
इसके अलावा यह कलादान नदी नाव मार्ग के माध्यम से म्यांमार के चिन राज्य के पलेतवा शहर को सित्तवे से जोड़ता है और फिर पलेतवा सड़क मार्ग से पूर्वोत्तर भारत के मिजोरम से जुड़ जाता है. सित्तवे बंदरगाह सहित परियोजना के सभी काम लगभग पूरे हो चुके हैं, सिवाय निर्माणाधीन जोरिनपुई (मिजोरम)-पलेतवा सड़क के.
CYLA क्या है और यह किसका प्रतिनिधित्व करता है?
CYLA दक्षिण मिजोरम स्थित एक प्रभावशाली नागरिक समाज संगठन है और लाई लोगों का प्रतिनिधित्व करता है. लाई मुख्य रूप से म्यांमार के चिन राज्य और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों, विशेष रूप से मिजोरम और मणिपुर में रहने वाला एक स्वदेशी जातीय समूह है. यह व्यापक चिन जातीय समूह का हिस्सा हैं, लेकिन उनकी अलग सांस्कृतिक और भाषाई पहचान है.लॉन्गतलाई में सीवाईएलए का मुख्यालय है और यहीं म्यांमार की सीमा से लगे दक्षिणी मिजोरम में लाई स्वायत्त जिला परिषद का मुख्यालय भी मौजूद है.
CYLA ने नाकाबंदी क्यों लगाई?
नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सूकी की लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदखल करने और 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से जातीय सशस्त्र संगठन म्यांमार में सैन्य जुंटा को उखाड़ फेंकने के लिए साथ मिलकर लड़ रहे हैं. अराकान आर्मी और चिन नेशनल आर्मी भी इन जातीय सशस्त्र संगठनों में शामिल हैं.
बता दें कि अराकान आर्मी म्यांमार के राखीन राज्य (अराकान) में स्थित एक जातीय सशस्त्र संगठन है. यह 10 अप्रैल, 2009 को स्थापित यूनाइटेड लीग ऑफ अराकान (ULA) की सैन्य शाखा है. वहींस 1988 में गठित चिन नेशनल आर्मी भी म्यांमार के चिन राज्य का एक जातीय सशस्त्र संगठन है जो चिन लोगों के अधिकारों के लिए लड़ता है. अराकान आर्मी और चिन नेशनल आर्मी दोनों ही चिन राज्य से और खास तौर पर पलेतवा टाउनशिप क्षेत्र से तातमादाव या म्यांमार सैन्य बलों को बाहर निकालने के लिए लड़ रहे हैं.
इस साल जनवरी में अराकान सेना ने घोषणा की कि उसने भारत -बांग्लादेश की सीमा पर स्थित पलेतवा पर कब्जा कर लिया है. उसने नवंबर के मध्य में पलेतवा में सैन्य ठिकानों पर हमले शुरू कर दिए थे, जो चिन राज्य में है. पलेतवा राखीन के ठीक उत्तर में है और बांग्लादेश- भारत दोनों की सीमाओं से सटा है.
अराकान सेना का पलेतवा पर कब्जा
अराकान सेना के पलेतवा पर कब्जा करने के बाद ही चाइना नेशनल आर्मी और अराकान आर्मी के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हुई. शिलांग स्थित एशियन कॉन्फ्लुएंस थिंक टैंक के फेलो के योमे के अनुसार, पलेतवा पर नियंत्रण करने के बाद अराकान आर्मी ने चिन लोगों को यह बस्ती देने से इनकार कर दिया.