नई दिल्ली :लोकसभा चुनाव 2024 के लिए रविवार को जारी अपने घोषणापत्र में भाजपा ने 'विश्व बंधु भारत के लिए मोदी की गारंटी' शीर्षक वाले विदेश नीति चैप्टर में वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत करने का वादा किया है.
इस चैप्टर में कहा गया है कि 'हमने पिछले 10 वर्षों में भारत को विश्व स्तर पर एक विश्वसनीय, भरोसेमंद देश के रूप में स्थापित किया है. हमने मानवता के लिए भारत के विचार और कार्य की स्वतंत्रता का प्रदर्शन किया है. हमारे मानव-केंद्रित विश्वदृष्टिकोण ने सर्वसम्मति निर्माता, प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता और वैश्विक दक्षिण की आवाज बनने में मदद की है.'
2022-23 के दौरान G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक ग्लोबल साउथ को अंतर-सरकारी मंच की हाई टेबल में लाना था. दिसंबर 2022 में इंडोनेशिया से जी20 की अध्यक्षता संभालने की शुरुआत से ही भारत ने कहा था कि वह ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा. भाजपा के घोषणापत्र में विदेश नीति पर 10-सूत्रीय चैप्टर में कहा गया है कि 'हम प्रधानमंत्री के सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि (respect, dialogue, assistance, peace and prosperity) के दूरदर्शी 5एस दृष्टिकोण का उपयोग करके वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत करेंगे.'
ऐसे एयू को जी20 में शामिल किया था :गौरतलब है कि भारत की पहल पर 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ (एयू) को पिछले साल 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में अंतर सरकारी मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान जी20 का हिस्सा बनाया गया था. G20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं. जी20 शिखर सम्मेलन से पहले मोदी ने एयू को समूह का स्थायी सदस्य बनाने के लिए सदस्य देशों के सभी नेताओं को पत्र लिखा था. इसे सभी ने स्वीकार कर लिया और 55 देशों के गुट को 9 सितंबर को जी20 में शामिल कर लिया गया.
G20 की अध्यक्षता संभालने के बाद भारत ने पिछले साल जनवरी में वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ (VoGS) वर्चुअल समिट आयोजित किया था, जिसमें लगभग 120 देशों ने भाग लिया. शिखर सम्मेलन में मोदी ने कहा था कि ग्लोबल साउथ पर भविष्य का सबसे बड़ा दांव है. उन्होंने कहा था 'तीन-चौथाई मानवता हमारे देशों में रहती है. हमारी भी समकक्ष आवाज होनी चाहिए. इसलिए, जैसे-जैसे वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदल रहा है, हमें उभरती व्यवस्था को आकार देने का प्रयास करना चाहिए.'
फिर नवंबर में G20 प्रेसीडेंसी के समापन से पहले भारत ने दूसरा VoGS वर्चुअल मोड में आयोजित किया, जिसमें भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए पांच 'सी' परामर्श, सहयोग, संचार, रचनात्मकता और क्षमता निर्माण का आह्वान किया.
एचएडीआर प्रयासों में भारत की भूमिका : घोषणापत्र में विदेश नीति पर दूसरे बिंदु में कहा गया है कि भाजपा 'मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यक्रमों को जारी रखते हुए एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार और प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ावा देगी.' उल्लेखनीय है कि भारत अपनी बढ़ती आर्थिक और सैन्य क्षमताओं के साथ-साथ अपनी राजनयिक पहुंच का लाभ उठाते हुए वैश्विक मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रयासों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है.
भारतीय सशस्त्र बल देश और दुनिया भर में एचएडीआर संचालन प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं. भारत ने पड़ोसी देशों और अन्य क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत प्रयासों के लिए अपने सैन्य संसाधनों को तैनात करने में सक्रिय रुख अपनाया है. नेपाल, तुर्की, सीरिया में आए भूकंप के दौरान दुनिया ने देखा है कि किस तरह से भारत ने मदद की है. भारत के एचएडीआर प्रयास सॉफ्ट पावर कूटनीति के रूप में भी काम करते हैं, जो वैश्विक मंच पर इसकी छवि और प्रभाव को बढ़ाता है.
UNSC में स्थायी सदस्यता :घोषणापत्र का तीसरा बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सीट की मांग को दोहराता है. इसमें कहा गया है कि 'हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.' भारत लंबे समय से चाहता है कि उसे यूएनएससी में स्थायी सीट मिले. भारत जी4 का हिस्सा है, जिसमें जापान, जर्मनी और ब्राजील भी शामिल हैं, जो यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग कर रहे हैं. UNSC की स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस सहित कई देशों से समर्थन मिला है. हालांकि क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता और यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के संभावित विस्तार पर चिंताओं का हवाला देते हुए इसे चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत की भूमिका :घोषणापत्र में आतंकवाद के वैश्विक संकट के खिलाफ लड़ाई में भारत की भूमिका का भी जिक्र है. कहा गया है कि 'हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक सम्मेलन और आतंकवाद से निपटने के ऐसे अन्य प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने के अपने प्रयास जारी रखेंगे. हम आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर बेहतर समन्वय विकसित करने के लिए 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन की सफलता पर काम करेंगे.'
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) भारत द्वारा 1996 में संयुक्त राष्ट्र में पेश किया गया था. इस संधि का उद्देश्य सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करना और आतंकवादियों, उनके वित्तपोषकों और समर्थकों को धन, हथियार और सुरक्षित ठिकानों तक पहुंच से वंचित करना है. हालांकि, मामले की सच्चाई यह है कि सीसीआईटी पिछले कुछ समय से विवादों में है. आतंकवाद की परिभाषा को लेकर देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन एकमत नहीं हो पाए हैं.
नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी :घोषणापत्र में नेबरहुड फर्स्ट नीति के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई है. घोषणापत्र में कहा गया है, 'हम उपमहाद्वीप में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार भागीदार बने रहेंगे, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देंगे और स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करेंगे.' भारत की 'पड़ोसी प्रथम नीति' एक रणनीतिक विदेश नीति पहल है, जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करना और प्राथमिकता देना है. 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह भारत की क्षेत्रीय कूटनीति का एक केंद्रीय स्तंभ रही है.
नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी मुख्य रूप से निकटतम पड़ोसियों बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण एशिया में मालदीव, साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया में म्यांमार के लिए है. ये देश भारत के क्षेत्रीय हितों और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना आगामी लोकसभा चुनावों के बाद भारत की अपनी पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा करने वाली हैं. भारत, नेपाल और भूटान का भी करीबी भागीदार है. भारत श्रीलंका को करीब 570 मिलियन डॉलर की मदद कर चुका है. इसे करीब 3.5 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की तैयारी में है.
वहीं, मालदीव की बात की जाए तो पिछले साल नवंबर में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद भारत-मालदीव संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं. मुइज्जू ने 'इंडिया आउट' अभियान चलाया जिसमें उन्होंने अपने देश में मौजूद कुछ भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने का आह्वान किया. 100 से कम संख्या वाले ये कर्मी मुख्य रूप से हिंद महासागर द्वीपसमूह राष्ट्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में शामिल हैं. पद संभालने के बाद से मुइज्जू ने भारत विरोधी और चीन समर्थक विदेश नीतियों को अपनाया है.