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भाजपा का घोषणापत्र : ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा भारत, इन 10 पॉइंट पर किया फोकस - BJP Manifesto 2024 - BJP MANIFESTO 2024

BJP Manifesto 2024 : भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र जारी कर दिया. घोषणा पत्र में विदेश नीति पर विशेष महत्व दिया गया है. बीजेपी का घोषणापत्र वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत की भूमिका जैसे मुद्दों पर जोर देता है. इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता, वैश्विक मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रयास, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और नेबरहुड फर्स्ट जैसे मुद्दों पर जोर दिया गया है. ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां ने भाजपा के घोषणापत्र के विदेश नीति चैप्टर पर गहराई से विचार किया और इसकी तुलना कांग्रेस से भी की है.

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By Aroonim Bhuyan

Published : Apr 14, 2024, 7:07 PM IST

नई दिल्ली :लोकसभा चुनाव 2024 के लिए रविवार को जारी अपने घोषणापत्र में भाजपा ने 'विश्व बंधु भारत के लिए मोदी की गारंटी' शीर्षक वाले विदेश नीति चैप्टर में वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत करने का वादा किया है.

इस चैप्टर में कहा गया है कि 'हमने पिछले 10 वर्षों में भारत को विश्व स्तर पर एक विश्वसनीय, भरोसेमंद देश के रूप में स्थापित किया है. हमने मानवता के लिए भारत के विचार और कार्य की स्वतंत्रता का प्रदर्शन किया है. हमारे मानव-केंद्रित विश्वदृष्टिकोण ने सर्वसम्मति निर्माता, प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता और वैश्विक दक्षिण की आवाज बनने में मदद की है.'

2022-23 के दौरान G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक ग्लोबल साउथ को अंतर-सरकारी मंच की हाई टेबल में लाना था. दिसंबर 2022 में इंडोनेशिया से जी20 की अध्यक्षता संभालने की शुरुआत से ही भारत ने कहा था कि वह ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा. भाजपा के घोषणापत्र में विदेश नीति पर 10-सूत्रीय चैप्टर में कहा गया है कि 'हम प्रधानमंत्री के सम्मान, संवाद, सहयोग, शांति और समृद्धि (respect, dialogue, assistance, peace and prosperity) के दूरदर्शी 5एस दृष्टिकोण का उपयोग करके वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत करेंगे.'

ऐसे एयू को जी20 में शामिल किया था :गौरतलब है कि भारत की पहल पर 55 देशों वाले अफ्रीकी संघ (एयू) को पिछले साल 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में अंतर सरकारी मंच के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान जी20 का हिस्सा बनाया गया था. G20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं. जी20 शिखर सम्मेलन से पहले मोदी ने एयू को समूह का स्थायी सदस्य बनाने के लिए सदस्य देशों के सभी नेताओं को पत्र लिखा था. इसे सभी ने स्वीकार कर लिया और 55 देशों के गुट को 9 सितंबर को जी20 में शामिल कर लिया गया.

G20 की अध्यक्षता संभालने के बाद भारत ने पिछले साल जनवरी में वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ (VoGS) वर्चुअल समिट आयोजित किया था, जिसमें लगभग 120 देशों ने भाग लिया. शिखर सम्मेलन में मोदी ने कहा था कि ग्लोबल साउथ पर भविष्य का सबसे बड़ा दांव है. उन्होंने कहा था 'तीन-चौथाई मानवता हमारे देशों में रहती है. हमारी भी समकक्ष आवाज होनी चाहिए. इसलिए, जैसे-जैसे वैश्विक शासन का आठ दशक पुराना मॉडल धीरे-धीरे बदल रहा है, हमें उभरती व्यवस्था को आकार देने का प्रयास करना चाहिए.'

फिर नवंबर में G20 प्रेसीडेंसी के समापन से पहले भारत ने दूसरा VoGS वर्चुअल मोड में आयोजित किया, जिसमें भारत ने ग्लोबल साउथ के लिए पांच 'सी' परामर्श, सहयोग, संचार, रचनात्मकता और क्षमता निर्माण का आह्वान किया.

एचएडीआर प्रयासों में भारत की भूमिका : घोषणापत्र में विदेश नीति पर दूसरे बिंदु में कहा गया है कि भाजपा 'मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यक्रमों को जारी रखते हुए एक विश्वसनीय वैश्विक भागीदार और प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ावा देगी.' उल्लेखनीय है कि भारत अपनी बढ़ती आर्थिक और सैन्य क्षमताओं के साथ-साथ अपनी राजनयिक पहुंच का लाभ उठाते हुए वैश्विक मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रयासों में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है.

भारतीय सशस्त्र बल देश और दुनिया भर में एचएडीआर संचालन प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं. भारत ने पड़ोसी देशों और अन्य क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बचाव और राहत प्रयासों के लिए अपने सैन्य संसाधनों को तैनात करने में सक्रिय रुख अपनाया है. नेपाल, तुर्की, सीरिया में आए भूकंप के दौरान दुनिया ने देखा है कि किस तरह से भारत ने मदद की है. भारत के एचएडीआर प्रयास सॉफ्ट पावर कूटनीति के रूप में भी काम करते हैं, जो वैश्विक मंच पर इसकी छवि और प्रभाव को बढ़ाता है.

UNSC में स्थायी सदस्यता :घोषणापत्र का तीसरा बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सीट की मांग को दोहराता है. इसमें कहा गया है कि 'हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.' भारत लंबे समय से चाहता है कि उसे यूएनएससी में स्थायी सीट मिले. भारत जी4 का हिस्सा है, जिसमें जापान, जर्मनी और ब्राजील भी शामिल हैं, जो यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग कर रहे हैं. UNSC की स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस सहित कई देशों से समर्थन मिला है. हालांकि क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता और यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के संभावित विस्तार पर चिंताओं का हवाला देते हुए इसे चीन, पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है.

आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत की भूमिका :घोषणापत्र में आतंकवाद के वैश्विक संकट के खिलाफ लड़ाई में भारत की भूमिका का भी जिक्र है. कहा गया है कि 'हम अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक सम्मेलन और आतंकवाद से निपटने के ऐसे अन्य प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के बीच आम सहमति बनाने के अपने प्रयास जारी रखेंगे. हम आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर बेहतर समन्वय विकसित करने के लिए 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन की सफलता पर काम करेंगे.'

गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) भारत द्वारा 1996 में संयुक्त राष्ट्र में पेश किया गया था. इस संधि का उद्देश्य सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करना और आतंकवादियों, उनके वित्तपोषकों और समर्थकों को धन, हथियार और सुरक्षित ठिकानों तक पहुंच से वंचित करना है. हालांकि, मामले की सच्चाई यह है कि सीसीआईटी पिछले कुछ समय से विवादों में है. आतंकवाद की परिभाषा को लेकर देश और अंतरराष्ट्रीय संगठन एकमत नहीं हो पाए हैं.

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी :घोषणापत्र में नेबरहुड फर्स्ट नीति के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई है. घोषणापत्र में कहा गया है, 'हम उपमहाद्वीप में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार भागीदार बने रहेंगे, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देंगे और स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करेंगे.' भारत की 'पड़ोसी प्रथम नीति' एक रणनीतिक विदेश नीति पहल है, जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में अपने निकटतम पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करना और प्राथमिकता देना है. 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह भारत की क्षेत्रीय कूटनीति का एक केंद्रीय स्तंभ रही है.

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी मुख्य रूप से निकटतम पड़ोसियों बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण एशिया में मालदीव, साथ ही दक्षिण पूर्व एशिया में म्यांमार के लिए है. ये देश भारत के क्षेत्रीय हितों और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना आगामी लोकसभा चुनावों के बाद भारत की अपनी पहली आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा करने वाली हैं. भारत, नेपाल और भूटान का भी करीबी भागीदार है. भारत श्रीलंका को करीब 570 मिलियन डॉलर की मदद कर चुका है. इसे करीब 3.5 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की तैयारी में है.

वहीं, मालदीव की बात की जाए तो पिछले साल नवंबर में मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद भारत-मालदीव संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं. मुइज्जू ने 'इंडिया आउट' अभियान चलाया जिसमें उन्होंने अपने देश में मौजूद कुछ भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने का आह्वान किया. 100 से कम संख्या वाले ये कर्मी मुख्य रूप से हिंद महासागर द्वीपसमूह राष्ट्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत कार्यों में शामिल हैं. पद संभालने के बाद से मुइज्जू ने भारत विरोधी और चीन समर्थक विदेश नीतियों को अपनाया है.

समुद्री निगरानी को मजबूत करना :भाजपा के घोषणापत्र में समुद्री सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग के महत्व पर भी जोर दिया गया है. घोषणापत्र में कहा गया है कि 'हम उपमहाद्वीप में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार भागीदार बने रहेंगे, क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देंगे और स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करेंगे.'

भारत ने हिंद महासागर में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (SAGAR) नाम से 2015 में पहल की थी. जो समुद्री सुरक्षा, साझा समुद्री संसाधनों और क्षेत्रीय सहयोग के सर्वोपरि महत्व के बारे में देश की बढ़ती जागरुकता को दर्शाता है. SAGAR पहल के माध्यम से भारत का लक्ष्य अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ अपने आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को गहरा करना है, साथ ही उन्हें अपनी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में सहायता करना है. भारत ने अपने क्षेत्रीय भागीदारों की समुद्री क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सूचना के आदान-प्रदान, तटीय निगरानी, ​​बुनियादी ढांचे के विकास और क्षमता निर्माण प्रयासों पर सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध किया है.

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा: घोषणापत्र में प्रस्तावित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी का भी वादा किया गया है. 'हम भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर के माध्यम से यूरोप तक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देकर भारत के माध्यम से व्यापार और सेवाओं के अंतरराष्ट्रीय आदान प्रदान को सुविधाजनक बनाएंगे.'

पिछले साल नई दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त रूप से भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) की घोषणा की थी. आईएमईसी एक नियोजित आर्थिक गलियारा है जिसका उद्देश्य एशिया, फारस की खाड़ी और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.

आईएमईसी में भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाला एक पूर्वी गलियारा और खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी गलियारा शामिल है. इसमें रेलवे और जहाज-रेल नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे. हालांकि, गाजा में इजराइल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के कारण प्रस्तावित गलियारा अब खतरे में पड़ गया है. फिर भी, पिछले महीने, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आईएमईसी के सशक्तिकरण और संचालन के लिए सहयोग पर भारत और यूएई के बीच अंतर-सरकारी फ्रेमवर्क समझौते (आईजीएफए) को मंजूरी दे दी.

खनिज सुरक्षा :घोषणापत्र में आठवां बिंदु खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने पर जोर देता है. इसमें कहा गया है, 'खनिज संसाधनों को सुरक्षित करने के अपने प्रयास में हम दुनिया भर में सहयोग और साझेदारी स्थापित करने के लिए काम करेंगे.हम खुद को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत करेंगे और सतत विकास प्रथाओं को प्राथमिकता देते हुए खनन, प्रसंस्करण और संबंधित प्रौद्योगिकियों का विकास करेंगे.'

भारत ने खनन क्षेत्र में सुधारों को लागू करने के उद्देश्य से कई पहलों के माध्यम से अपनी घरेलू आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है. हालांकि तमाम उपायों के बावजूद अपने महत्वाकांक्षी 500GW नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों की भारत की मांग मध्यम अवधि में आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहने की उम्मीद है.

हालांकि एक रणनीतिक कदम में भारत ने संसाधनों के आसपास केंद्रित एक मजबूत मूल्य श्रृंखला विकसित करने के उद्देश्य से 30 महत्वपूर्ण खनिजों की एक सूची जारी की है. वर्तमान में इनमें से अधिकांश खनिजों की मांग मुख्य रूप से आयात के माध्यम से पूरी की जा रही है. गौरतलब है कि लिथियम, कोबाल्ट और निकल समेत कम से कम 10 खनिजों की मांग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है.

पिछले साल भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाली खनिज सुरक्षा साझेदारी (एमएसपी) में शामिल हुआ था. इस साझेदारी का उद्देश्य संसाधन संपन्न देशों में इन खनिजों के चिन्हित ब्लॉकों में निवेश की सुविधा प्रदान करके सदस्य देशों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने में सहयोग बढ़ाना है.

कूटनीति और प्रवासी :घोषणापत्र के अंतिम दो बिंदु भारत के राजनयिक नेटवर्क का विस्तार करने और भारतीय प्रवासियों के साथ संबंधों को और मजबूत करने की बात करते हैं. इसमें कहा गया है कि 'हम वैश्विक हितों को आगे बढ़ाने के लिए अपने मिशनों और राजनयिकों के नेटवर्क का और विस्तार करेंगे. हम प्रवासी भारतीयों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करेंगे, उन्हें भारत की प्रगति में सक्रिय रूप से शामिल करेंगे और उनकी जरूरत के समय अटूट समर्थन प्रदान करेंगे, जिससे हमारे पारस्परिक सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध समृद्ध होंगे.'

बीजेपी का घोषणापत्र बनाम कांग्रेस का घोषणापत्र : भाजपा के घोषणापत्र की तरह पिछले महीने जारी मुख्य विपक्षी कांग्रेस के घोषणापत्र में भी कहा गया है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो यह सुनिश्चित करेगी कि भारत 'महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक दक्षिण के अन्य देशों के साथ समन्वय स्थापित करने' के लिए काम करेगा.

इसमें पार्टी की प्राथमिकताओं के रूप में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई, भारत के राजनयिक नेटवर्क का विस्तार और भारत के तत्काल पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों का भी उल्लेख किया गया है. हालांकि कांग्रेस के घोषणापत्र में दक्षिण एशिया में भारत के पड़ोस के प्रत्येक देश के साथ कैसे व्यवहार किया जाए, इसके बारे में विवरण दिया गया है.

हालांकि भाजपा के घोषणापत्र में जो गायब है और कांग्रेस के घोषणापत्र में जिसका उल्लेख है वह है चीन और पाकिस्तान से कैसे निपटा जाए, जिनके साथ भारत के वर्तमान में तनावपूर्ण रिश्ते हैं. कांग्रेस के घोषणापत्र के अनुसार, भारत चीन के साथ अपनी सीमाओं पर यथास्थिति बहाल करेगा. जहां तक ​​पाकिस्तान का सवाल है, कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया है कि अपने पश्चिमी पड़ोसी के साथ भारत का जुड़ाव 'मूल रूप से सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने की उसकी इच्छा और क्षमता पर निर्भर करता है.'

दूसरी ओर कांग्रेस के घोषणापत्र में जो गायब है और भाजपा के घोषणापत्र में जिसका जिक्र है वह है यूएनएससी में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की मांग, मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रयासों में भूमिका, समुद्री सुरक्षा और विकास, अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी, खनिज, भारतीय प्रवासियों के साथ सुरक्षा और संबंध.

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