नई दिल्ली: श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने गुरुवार को कोलंबो में उच्चायोग में आयोजित समारोह में जाफना के तीन द्वीपों में हाइब्रिड बिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए पहला भुगतान सौंपा. श्रीलंका के विद्युत एवं ऊर्जा मंत्री सचिव डॉ. सुलक्षणा जयवर्धने और श्रीलंका सतत ऊर्जा प्राधिकरण (एसएलएसईए) के चेयरमैन रंजीत सेपाला ने पत्र प्राप्त किया.
कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के अनुसार, डेल्फ़्ट (Delft), नैनातिवु (Nainativu) और अनलैटिवी (Analaitivy) द्वीपों में हाइब्रिड अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार और श्रीलंका सरकार के बीच मार्च 2022 में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए एसएलएसईए ने यू सोलर क्लीन एनर्जी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ इस साल 1 मार्च को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे.
इस परियोजना का उद्देश्य तीन द्वीपों के लोगों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना है, जो राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़े नहीं हैं. साथ ही यह परियोजना सौर और पवन दोनों तरह की ऊर्जाओं को मिलाकर क्षमताओं में सुधार करेगी. महत्वपूर्ण बात यह है कि तीनों द्वीपों पर प्रारंभिक कार्य शुरू हो चुका है. परियोजना को मार्च 2025 की शुरुआत तक पूरा करने और अप्रैल 2025 के अंत तक सौंपने का लक्ष्य है. इस परियोजना के लिए भारत सरकार ने 11 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया है. यह ऊर्जा क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को लेकर भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है. साथ ही श्रीलंका में भारत की विकास साझेदारी पहलों की मानव-केंद्रित प्रकृति की पुष्टि करती है.
भारत द्वीप राष्ट्र श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने में सबसे आगे रहा है. नई दिल्ली ने हाल के वर्षों में श्रीलंका में अपने निवेश में बड़ी वृद्धि की है, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है.