हैदराबाद : बिना एक्सरसाइज के भी आप 100 साल तक जी सकते हैं और यह संभव है. इसके लिए आपको जापानी तरीका अपनाना होगा. यानी जापान के लोग किस जीवनशैली को अपनाते हैं, उसे फॉलो करना होगा. वैसे, भारत में ऋषियों और मुनियों की पुरानी परंपरा रही है और उसके बारे में जानकारी जुटाकर भी आप अपनी आयु लंबी रख सकते हैं.
आइए यहां पर हम आपको जापानी लोगों के खाने के तरीके के बारे में बताते हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि उनकी लंबी उम्र के पीछे का राज छिपा है.
जापान में "हारा हची बू" नाम की एक अवधारणा है. इसकी शुरुआत कनफ्यूशियस ने 2500 साल पहले की थी. इसके तहत कहा जाता है कि आपको जितनी भूख लगी है, उसके हिसाब से पेट को अस्सी फीसदी ही भरें. 20 फीसदी आप भूखे रहें. यानी ज्यादा खाना नहीं खाना है. जापान में कहा जाता है कि हमेशा आपको भूख महसूस होगी, तो अच्छा रहेगा. आपका हेल्थ अच्छा रहेगा.
खाने के दौरान टीवी या मोबाइल न देखें. फूड को धीरे-धीरे चबाएं. छोटे प्लेट में खाना रखें और लंबे ग्लास का प्रयोग करें. फूड कैलोरी को लेकर ज्यादा न सोचें.
जापानी लोग अमेरिकियों की तुलना में लगभग 25% कम कैलोरी का उपभोग करते हैं. फिर भी वे भोजन के बाद अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं. इसकी वजह है - न सिर्फ वे कम नहीं खा रहे हैं, बल्कि बेहतर भी खा रहे हैं. आप इस चार्ट से समझ सकते हैं.
क्या है जापानी खाना
फर्मेंटेड फूड- मिसो, नट्टो, मसालेदार सब्जियां. ये न सिर्फ स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि प्रोबायोटिक पावरहाउस हैं. इससे आपकी पाचन शक्ति बढ़ती है, इम्युन सिस्टम मजबूत होता है और डिप्रेशन से लड़ सकते हैं.
तली हुई फलियां, पालक, सरसों का साग, शकरकंद और टोफू - ये सभी पोषक तत्वों से भरपूर हैं. गोया एक और लोकप्रिय भोजन है. इसे "कड़वे तरबूज" के रूप में भी जाना जाता है.
ग्रीन टी - एक अनुमान है कि औसत जापानी व्यक्ति प्रतिदिन 5 कप ग्रीन टी पीता है. इसमें "कैटेचिन्स" एंटीऑक्सीडेंट होता है. यह मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है और सूजन कम करता है. कैंसर से लड़ने की भी क्षमता बढ़ाता है. ग्रीन टी में एल-थेनाइन, एक एमिनो एसिड होता है जो बिना निंद लाए ही आपको रिलैक्स कर देता है. इसलिए आपने अक्सर देखा होगा कि जापानी लोग अगर शराब और ध्रूमपान करते हैं तो भी तनावग्रस्त नहीं दिखते हैं.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल(बीएमजे) में 2016 के एक अध्ययन में पाया था कि जापानी एडल्ट जो आहार के बारे में सरकारी सलाह का पालन करते थे, उनकी मृत्यु दर उन लोगों की तुलना में 15% कम थी जो सलाह का पालन नहीं करते थे.
जपानी लोग 'इकिगाई'अवधारणा में भी यकीन रखते हैं. इसका मतलब होता है- दृढ़ उद्देश्य. ऐसी भावना रखने वाले लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जीते हैं. जापानी लोग रिटायर होने के बावजूद काम करते रहते हैं और वे समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं.
यह भी कहा जाता है कि टोक्यो के औसत निवासी प्रतिदिन सात किलोमीटर तक पैदल चलते हैं. जापानी शहर में पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए अलग से लेन निर्धारित होते हैं. वहां पर लोग निजी वाहन के बजाए सार्वजनिक वाहन से यात्रा करना पसंद करते हैं. इस वजह से उन्हें अधिक चलना होता है.
एजवाच डॉट नेटके मुताबिक 2009 में एक अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला था कि जापान उन चार देशों में से एक था, जहां 20% से कम एडल्ट हाई फिजिकल एक्टिविटी समूह में शामिल थे.
जापान में सामुदायिक और पारिवारिक संबंधों की एक मजबूत संस्कृति है. वे नियमित सामाजिक संपर्क के माध्यम से तनाव को कम करते हैं.
यहां 'मोई'नाम की भी एक परंपरा है. मोई एक सामाजिक सहायता समूह हैं जो जीवन भर चलते हैं, सदस्य नियमित रूप से मिलते हैं, भावनात्मक और यहां तक कि वित्तीय सहायता भी प्रदान करते हैं.
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