आंखों के सामने कभी-कभी काले धब्बे या आई फ्लोटर्स का नजर आना कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक ऐसी जनरल कंडीशन जो कई वजहों से हो सकती है और किसी के साथ भी हो सकती है. लेकिन यदि यह बहुत ज्यादा होने लगे तो आंखों की जांच जरूरी हो जाती है क्योंकि कुछ मामलों में यह किसी रोग या समस्या का संकेत भी हो सकते हैं.
बीमारी नहीं है आई फ्लोटर्स लेकिन रोग का संकेत हो सकते हैं
आंखों में तैरने वाले धब्बों को फ्लोटर्स कहते हैं. ये छोटे-छोटे धब्बे, बिंदु, लाईन, सर्कल, या मकड़ी के जाल जैसा दिखते हैं. क्या आपको भी कभी ऐसा लगा है कि किसी चीज को देखते-देखते अचानक आपकी आंखों के सामने काले या ग्रे कलर के धब्बे तैरने लगे हों? कई लोग आमतौर पर बोलचाल की भाषा में इस स्थिति को आंखों के आगे मच्छर आना भी बोलते हैं. लेकिन मेडिकल साइंस की भाषा में आंखों के आगे आने वाले इन धब्बों या आकार को 'आई फ्लोटर्स' कहा जाता है. जानकारों की माने तो यह बहुत जेनरल प्रोसेस है और ऐसा लगभग हर व्यक्ति कभी ना कभी महसूस करता ही है.
'आई फ्लोटर्स' दरअसल कोई आंखों की बीमारी नहीं है बल्कि आंखों से जुड़ी एक सामान्य एक्टिविटी है. लेकिन अगर किसी व्यक्ति को आई फ्लोटर्स बहुत ज्यादा नजर आने लगे तो चिकित्सक उसे आई चेकअप करवाने की सलाह देते हैं क्योंकि कुछ मामलों में यह किसी बीमारी या समस्या का संकेत भी हो सकता है.
क्या है 'आई फ्लोटर्स'?
नई दिल्ली की नेत्र रोग विशेषज्ञ (ophthalmologist) डॉ. नुपूर जोशी बताती हैं कि 'आई फ्लोटर्स' नजर आना आंखों की एक बेहद सामान्य प्रक्रिया है. दरअसल कई बार जब हम सफेद या हल्के रंग की दीवार,कोरा कागज, खाली कंप्यूटर स्क्रीन या टीवी स्क्रीन, नीला साफ आकाश या ऐसी किसी चीज को लगातार थोड़ी देर तक देखते रहते हैं तो अपवर्तित थोड़ी चमकीली होती है और स्थिर होती है तो हमें आंखों के सामने कभी-कभी काले या ग्रे रंग के छोटे-छोटे धब्बे, धागे, बिंदु या मकड़ी के जाल जैसी शेप नजर आने लगते हैं. लेकिन अगर आप इन धब्बों को थोड़ा ध्यान से देखने की कोशिश करें तो कुछ पलों में यह अपने आप गायब भी हो जाते है.
कारण
डॉ. नुपूर जोशी बताती हैं कि 'आई फ्लोटर्स' सामान्य तौर पर बिल्कुल भी हानिकारक नहीं होते हैं और ये उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा नजर आ सकते हैं. दरअसल जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारी आंखों में एक जेल जैसा पदार्थ जिसे विट्रियस कहते हैं, धीरे-धीरे लिक्विड रूप में बदलने लगता है. इस प्रोसेस में कुछ छोटे-छोटे पार्टिकल्स या आकार बनने लगते हैं, जो हमारी आंखों में अस्थाई धब्बों के रूप में दिखने लगते हैं.
हालांकि यह किसी भी उम्र में नजर आ सकते हैं लेकिन 60-70 वर्ष व उससे अधिक आयु के लगभग सभी लोगों में कुछ हद तक फ्लोटर्स होते हैं. कई बार रेटिना में या उससे जुड़ी किसी समस्या के कारण, आंखों में इंफेक्शन या सूजन के कारण भी ऐसा हो सकता है. इसके अलावा ऐसे लोग जो मायोपिया, डायबिटीज, पी.वी.डी, विट्रियस रक्तस्राव, सिफलिस, TB, कोलेजन संवहनी रोग का सामना कर रहे हैं , या फिर जिनकी हाल-फिलहाल ही में सर्जरी हुई हो या जो एक्सीडेंट या किसी अन्य वजहों से आंख में किसी चोट का सामना कर रहे हों उन्हें 'आई फ्लोटर्स' ज्यादा परेशान कर सकते हैं.
जांच जरूर करवाएं
डॉ. नुपूर बताती हैं कि बढ़ती उम्र को छोड़ कर ज्यादातर मामलों में कुछ समय के बाद जैसे जैसे व्यक्ति की स्थिति बेहतर होती है 'आई फ्लोटर्स' ठीक होने लगते है. वैसे भी आई फ्लोटर्स देखने की क्षमता को प्रभावित नहीं करते है बल्कि उसमें क्षणिक बाधा उत्पन्न करते हैं. इसलिए सामान्यत लोग आई फ्लोटर्स को नजरअंदाज भी करते रहते हैं. लेकिन अगर ये धब्बे आपके देखने में बार-बार रुकावट डाल रहे हों या अगर अचानक से फ्लोटर्स की संख्या बढ़ जाए, या अचानक फ्लैशिंग लाइट्स (चमकती रोशनी) नजर आने लगे, तो यह रेटिना डिटैचमेंट जैसी स्थिति का संकेत हो सकता है, जिसमें तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है.
दरअसल, आंखों की जांच के जरिए डॉक्टर्स यह देख सकते हैं कि फ्लोटर्स सामान्य है या किसी हेल्थ प्रोब्लम का संकेत. इसके अलावा सामान्य स्थित में इस परेशानी के लिए इलाज की जरूरत भी नहीं होती है. लेकिन यदि किसी वजह से किसी व्यक्ति में यह समस्या बहुत अधिक बढ़ने लगे तो डॉक्टर्स विट्रोक्टोमी या लेजर थेरेपी करवाने की सलाह देते हैं. हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में होता है.
आई फ्लोटर्स से डिल के तरीके
डॉ. नूपुर बताती हैं कि कई लोग आई फ्लोटर्स के चलते असहजता महसूस करते हैं. ऐसे लोग जिन्हें यह परेशानी ज्यादा होती हो या अधिक उम्र के लोग कुछ प्रक्रियाओं की मदद से तथा कुछ सावधानियों को अपनाकर आई फ्लोटर्स से निपट सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं...
ध्यान हटाने की कोशिश करें - फ्लोटर्स आमतौर पर तब दिखाई देते हैं जब हम किसी हल्की चीज पर ध्यान दे रहे होते हैं, जैसे कि आसमान या सफेद दीवार, इनसे ध्यान हटाने के लिए आप किसी डार्क या रंगीन सरफेस की ओर देख सकते हैं
पलकों को तेज गती से हिलाएं - आंखों को दाएं-बाएं हिलाने या ऊपर-नीचे करने से भी फ्लोटर्स का ध्यान कम हो सकता है. इससे फ्लोटर्स विट्रियस जेल के साथ घूमते हैं और नजर से हट जाते हैं.
खाने पीन पर ध्यान दें - बैलेंस डाइट और हरी सब्जियां खाने से आंखों की हेल्थ बेहतर बनी रहती है. इससे फ्लोटर्स को कम करने में मदद मिलती है.
रेगुलर टेस्ट- अगर फ्लोटर्स बढ़ते जा रहे हैं या अन्य लक्षण जैसे लाईट चमकना नजर आ रहे हैं, तो समय-समय पर आई चेकअप करवाते रहें.
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)