नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस ( antimicrobial resistance - AMR ) का स्तर तेजी से बढ़ा है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 75 प्रतिशत रोगियों का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया गया, भले ही वे असर करती हों या नहीं, हालांकि अस्पताल में भर्ती कोविड के केवल 8 प्रतिशत रोगियों को बैक्टीरियल इन्फेक्शन से लड़ने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता थी.
Antimicrobial resistance - AMR वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है और यह लगभग 1.27 मिलियन मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था. 2019 में इससे दुनिया भर में 4.95 मिलियन मौतें हुईं. रिपोर्ट में कहा गया, ''कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक का उपयोग बढ़ गया. 2020 और 2022 के बीच पूर्वी भूमध्यसागरीय और अफ्रीकी क्षेत्रों में इसमें 83 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई.''
आगे कहा गया, "एंटीबायोटिक के उपयोग की उच्चतम दर गंभीर कोविड-19 वाले रोगियों में देखी गई, जिसका वैश्विक औसत 81 प्रतिशत है. मध्यम मामलों में, अफ्रीकी क्षेत्र (79 प्रतिशत) में सबसे अधिक उपयोग वाले क्षेत्रों में काफी भिन्नता थी.'' AMR के लिए निगरानी, साक्ष्य और लेबोरेटरी स्ट्रेंथनिंग डिवीजन के लिए डब्ल्यूएचओ यूनिट प्रमुख डॉ. सिल्विया बर्टाग्नोलियो ने कहा, ''जब किसी मरीज को एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता होती है तो लाभ अक्सर साइड इफेक्ट्स या एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस से जुड़े जोखिमों से अधिक होता है. हालांकि, जब वे अनावश्यक होते हैं तो जोखिम पैदा करते हुए कोई लाभ नहीं देते और उनका उपयोग एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को बढ़ावा देता है.''