पटना:नी रिप्लेसमेंट अर्थात घुटना प्रत्यारोपण एक ऐसी सर्जरी है, जिसमें घुटने के क्षतिग्रस्त जोड़ को अथवा खराब हो चुके घुटने को आर्टिफिशियल कार्टिलेज लगाकर ठीक किया जाता है. अक्सर अर्थराइटिस के मरीजों की दर्द जब अधिक बढ़ जाती है और दवाइयों से जब राहत नहीं मिलती है तो सर्जरी ही एकमात्र माध्यम बच जाती है.
घुटने के दर्द से राहत के लिए सर्जरी: ऑर्थोपेडिक चिकित्सा के जगत में नी रिप्लेसमेंट पुराने घुटने के दर्द और जकड़न से राहत पाने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया मानी जाती है. नी रिप्लेसमेंट को लेकर के पटना में मेडिवर्सल और ऑर्थोपेडिकसंगठन की ओर से शनिवार से दो दिवसीय कॉन्क्लेव शुरू हुआ है जिसमें देश-विदेश की जाने-माने आर्थोपेडिक चिकित्सक शामिल हुए हैं.
क्यों जरूरी है नी रिप्लेसमेंट सर्जरी?: मेडिवर्सल अस्पताल के जाने-माने आर्थोपेडिक चिकित्सक डॉ. रमित गुंजन ने बताया कि नी रिप्लेसमेंट दुनिया के सफलतम सर्जरी में दूसरे नंबर पर आती है. काफी लोग जो घुटने की दर्द से परेशान रहते हैं, जिनका जांघ और पर की हड्डी को घुटने के पास जोड़ने वाली कार्टिलेज खराब हो गई रहती है. उनका नी रिप्लेसमेंट किया जाता है, इसमें खराब हो चुके कार्टिलेज को आर्टिफिशियल कार्टिलेज से बदला जाता है.
"यह पूरी तरह से सुरक्षित सर्जरी है और सर्जरी के 12 से 15 घंटा बाद मरीज अपने पूरे वेट को घुटने पर सहन सकता है. मरीज बिना किसी सहारे के आराम से चल फिर सकता है और तीन से चार सप्ताह में वह सड़क पर घूम कर सभी काम आसानी से कर सकता है. 6 से 8 महीना में वह सामान्य व्यक्ति की तरह और अपने पूर्व की क्षमता के अनुसार दौड़ सकता है और कूद भी सकता है."- हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रमित गुंजन
घुटना रिप्लेसमेंट पर विशेषज्ञों का अनुभव:हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. रमित गुंजन के मुताबिक ऑर्थोपेडिक चिकित्सा में विभिन्न प्रकार के केस हैंडल करने का चिकित्सकों को जो अनुभव रहा है, उसे सभी साझा कर रहे हैं ताकि ऑर्थोपेडिक क्षेत्र के नए चिकित्सकों को उसे अनुभव का फायदा मिल सके. इसके अलावा नी रिप्लेसमेंट, एंकल रिप्लेसमेंट, हीप प्लेसमेंट, टोटल लिगामेंट सर्जरी के लिए जो कुछ नई तकनीक विकसित हुए हैं, उन सब पर चर्चा की जा रही है.