हैदराबाद:मॉडल पूनम पांडे की शुक्रवार को सर्वाइकल कैंसर के कारण मौत हो गई. इससे पहले गुरुवार को सर्वाइकल कैंसर की व्यापकता को संबोधित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में एक महत्वपूर्ण घोषणा की. यह भारत में महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है. यह एक ऐसी बीमारी है जो भारत की महिला आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करती है.
भारत में सर्वाइकल कैंसर: मेडिकल साइंस के जानकारों का कहना है कि 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा अधिक है. भारत में ऐसी महिलाओं की संख्या 511.4 मिलियन है. सर्वाइकल कैंसर मुख्य रूप से कुछ प्रकार के ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होता है, जो एक यौन संचारित संक्रमण है. कैंसर से निपटने के वैश्विक प्रयासों में अक्सर ही इससे बचाव के लिए ठोस कदम उठाये जाने की जरूरत पर बल दिया जाता है.
2022 के लिए ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी की ओर से 1 फरवरी को जारी किये गये नए अनुमान के अनुसार भारत में महिलाओं में कैंसर के मामले पुरुषों की तुलना में 7,22,138 अधिक हैं. इन मामलों में सर्वाइकल कैंसल तीसरे स्थान पर है. आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं में तीसरा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर सर्वाइकल कैंसर रहा. साल 2022 में इसके 1,27,526 022 मामले सामने आये. जो महिलाओं ने हुए कैंसर का 17.7 प्रतिशत है. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, पिछले साल 6,61,044 नए मामलों और 3,48,186 मौतों के साथ यह अब वैश्विक स्तर पर आठवां सबसे आम तौर पर होने वाला कैंसर और कैंसर से होने वाली मौत का नौवां प्रमुख कारण है.
सर्वाइकल कैंसर के प्रकार :सर्वाइकल कैंसर का नाम उस कोशिका के प्रकार के आधार पर रखा जाता है जहां कैंसर शुरू हुआ था. इसके दो मुख्य प्रकार हैं:
- स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा:अधिकांश सर्वाइकल कैंसर (90% तक) स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होते हैं. ये कैंसर एक्टोसर्विक्स की कोशिकाओं से विकसित होते हैं.
- एडेनोकार्सिनोमा: सरवाइकल एडेनोकार्सिनोमा एंडोकर्विक्स की ग्रंथि कोशिकाओं में विकसित होता है. क्लियर सेल एडेनोकार्सिनोमा, जिसे क्लियर सेल कार्सिनोमा या मेसोनेफ्रोमा भी कहा जाता है, एक दुर्लभ प्रकार का सर्वाइकल एडेनोकार्सिनोमा है.
- कभी-कभी, सर्वाइकल कैंसर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और एडेनोकार्सिनोमा दोनों की विशेषताएं होती हैं. इसे मिश्रित कार्सिनोमा या एडेनोस्क्वामस कार्सिनोमा कहा जाता है.
लक्षण और जोखिम : प्रारंभिक अवस्था में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण प्रकट नहीं होते हैं. हालांकि जैसे-जैसे कैंसर बढ़ता है असामान्य रक्तस्राव, दुर्गंधयुक्त स्राव और पैल्विक दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं. जानकार बताते हैं कि इसी तरह के लक्षण कई अन्य स्त्री रोगों के भी है. इसलिए भारत में इस बीमारी की पहचान काफी देर से हो पाती है.
सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग कैसे हो पाती है : सर्वाइकल कैंसर की जांच का लक्ष्य प्री-कैंसरयुक्त सर्वाइकल कोशिका परिवर्तनों का पता लगाना है. समय से यह पता लग जाने पर सर्वाइकल कैंसर को विकसित होने से रोका जा सकता है. कभी-कभी सर्वाइकल स्क्रीनिंग के दौरान कैंसर का पता चल जाता है. प्रारंभिक चरण में पाए जाने वाले सर्वाइकल कैंसर का इलाज आमतौर पर आसान होता है. जब तक लक्षण प्रकट होते हैं, सर्वाइकल कैंसर फैलना शुरू हो चुका होता है, जिससे उपचार अधिक कठिन हो जाता है.