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ज्यादा रेड मीट खाने वाले हो जाएं सावधान! डायबिटीज, हार्ट डिजीज और भूलने की बीमारी का खतरा: स्टडी - RED MEAT BAD FOR YOUR BRAIN

एक नए अध्ययन में पाया गया कि प्रसंस्कृत लाल मांस संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया के खतरे को बढ़ा सकता है, जाने कैसे...

Is Eating More Red Meat Bad for Your Brain says study
ज्यादा रेड मीट खाने वाले हो जाए सावधान! (FREEPIK)

By ETV Bharat Health Team

Published : Jan 16, 2025, 6:39 PM IST

Updated : Jan 16, 2025, 6:53 PM IST

अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की मेडिकल पत्रिका न्यूरोलॉजी के 15 जनवरी, 2025 के ऑनलाइन अंक में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग ज्यादा रेड मीट का सेवन करते हैं लाल मांस खाते हैं, उनमें संज्ञानात्मक गिरावट (cognitive decline) और डिमेंशिया का खतरा उन लोगों की तुलना में ज्यादा होने की संभावना है जो बहुत कम मात्रा में रेड मीट का सेवन करते हैं.

दरअसल, रेड मीट, स्तनधारियों के मांस को कहते हैं. इसमें गोमांस, बछड़े का मांस, भेड़ का बच्चा, मटन, सूअर का मांस, बकरी और हिरन का मांस शामिल है. रेड मीट को लाल मांस भी कहते हैं क्योंकि यह दिखने में लाल होता है. यह कहा जाता है कि मीट का रंग जितना ज्यादा लाल होता है, उसमें उतना ही अधिक फैट की मात्रा होती है.

बोस्टन के ब्रिघम एंड वीमेन्स हॉस्पिटल के एमडी, एससीडी और अध्ययन लेखक डोंग वांग के अनुसार, रेड मीट में सैचुरेटेड अधिक होता है और पिछले कई अध्ययनों में यह भी दिखाया गया है कि रेड मीट के अधिक सेवन से टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. लाल मांस खाने से हार्ट डिजीज, हाई ब्‍लड प्रेशर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती है. इससे ब्‍लड वेन्‍स डैमेज भी हो सकते हैं और शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ सकता है. क्रोनिक सूजन और ब्‍लड वेन्‍स में खराबी डिमेंशिया की वजह बन सकती है. इस नए अध्ययन में पाया गया कि प्रोसेस्ड रेड मीट संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया के खतरे को बढ़ा सकता है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि यह भी पाया गया कि इसे नट्स, मछली और मुर्गी जैसे स्वस्थ विकल्पों से बदलने से व्यक्ति का खतरा कम हो सकता है.

ऐसे किया गया अध्ययन
बता दें, संज्ञानात्मक गिरावट और डिमेंशिया, मस्तिष्क के कामकाज में गिरावट से जुड़ी स्थितियां हैं. इनसे याददाश्त में कमी आती है और रोजमर्रा की जिंदगी में दिक्कत होती है. डिमेंशिया के खतरे की जांच करने के लिए, शोधकर्ताओं ने 133,771 लोगों के एक ग्रुप को इस अध्ययन में शामिल किया, जिनकी औसत आयु 49 वर्ष थी और जिन्हें अध्ययन की शुरुआत में डिमेंशिया नहीं था. उन सभी का 43 साल तक अनुसरण किया गया. जिसके बाद यह पाया गया कि इस समूह में से 11,173 लोगों में डिमेंशिया विकसित हुआ.

वास्तव में, प्रतिभागी हर दो से चार साल में एक खाद्य डायरी भरते थे, जिसमें वे यह सूचीबद्ध करते हैं कि उन्होंने क्या खाया और कितनी बार खाया. शोधकर्ताओं ने प्रोसेस्ड रेड मीट को बेकन, हॉट डॉग, सॉसेज, सलामी, बोलोग्ना और अन्य प्रोसेस्ड मीट प्रोडक्ट्स के रूप में परिभाषित किया है. उन्होंने अनप्रोसेस्ड रेड मीट को गोमांस, सूअर का मांस, भेड़ का मांस और हैमबर्गर के रूप में परिभाषित किया. लाल मांस का एक सर्विंग तीन औंस का होता है, जो लगभग ताश के पत्तों के डेक के बराबर होता है. शोधकर्ताओं ने गणना की कि प्रतिभागियों ने औसत रूप में प्रतिदिन कितना लाल मांस खाया

अध्ययन का क्या आया नतीजा
प्रोसेस्ड रेड मीट के लिए, उन्होंने प्रतिभागियों को तीन ग्रुप में विभाजित किया. कम वजन वाले समूह ने प्रतिदिन औसतन 0.10 बार कम खाना खाया, मध्यवर्ती समूह ने दिन में 0.10 से 0.24 बार भोजन किया और समूह के ज्यादातर लोग प्रतिदिन 0.25 या उससे अधिक सर्विंग खाते थ.

संज्ञानात्मक गिरावट के लिए आयु, लिंग और अन्य रिस्क फैक्टर्स जैसे फैक्टर्स को समायोजित करने के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि हाई ग्रुप के प्रतिभागियों में लो ग्रुप के प्रतिभागियों की तुलना में डिमेंशिया विकसित होने का खतरा 13 फीसदी ज्यादा था. अनप्रोसेस्ड रेड मीट के लिए, शोधकर्ताओं ने उन लोगों की तुलना की जो औसतन प्रतिदिन आधे से भी कम सर्विंग खाते थे, उन लोगों के साथ जो प्रतिदिन आधे से भी कम सर्विंग खाते थे, और पाया कि डिमेंशिया के खतरे में कोई अंतर नहीं था.

(डिस्क्लेमर:यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)

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Last Updated : Jan 16, 2025, 6:53 PM IST

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