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डायबिटीज रोगियों के लिए खुशखबरी, अब ऑपरेशन से हो सकता है शुगर का इलाज - Diabetes New Treatment

Diabetes New Treatment : मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों ने डायबिटीज के इलाज में एक बड़ी सफलता हासिल की है. जुलाई में, इस नई तकनीक को मंजूरी दी गई और एक बुजुर्ग रोगी ने सफलतापूर्वक सर्जरी करवाई, जिसमें 30 मिनट से भी कम समय लगा.

Chinese scientist developed New Treatment of Type 1 Diabetes and Diabetes New Treatment with STEM CELL TRANSPLANTATION
कॉन्सेप्ट इमेज (ETV Bhart)

By ETV Bharat Health Team

Published : Oct 2, 2024, 1:59 PM IST

Updated : Oct 3, 2024, 6:02 AM IST

Diabetes New Treatment : मधुमेह या डायबिटीज एक ऐसी लाइलाज बीमारी है, जो एक बार हो जाए तो जीवनभर खत्म नहीं होती है, लेकिन अब एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए चीनी वैज्ञानिकों ने डायबिटीज के इलाज के लिए एक नए उपचार की घोषणा की है. यह नई तकनीक लाखों लोगों के लिए आशा की किरण बन सकती है. टियांजिन फर्स्ट सेंट्रल हॉस्पिटल और पेकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनके निष्कर्ष प्रतिष्ठित जर्नल सेल में प्रकाशित हुए. वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल प्रत्यारोपण का उपयोग करके टाइप-1 डायबिटीज के इलाज के लिए इस नए उपचार की घोषणा की. यह दुनिया में पहली बार है कि इस तरह की प्रक्रिया ने किसी मरीज को इंसुलिन की आवश्यकता के बिना स्वाभाविक रूप से ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद की.

अब तक टाइप-1 डायबिटीज के इलाज के लिए आइलेट सेल (Islet cells transplantation) प्रत्यारोपण को एक आशाजनक तरीका माना जाता रहा है. इंसुलिन और ग्लूकागन जैसे प्रमुख हार्मोन का उत्पादन करने के लिए जिम्मेदार अग्न्याशय की आइलेट कोशिकाएं ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इस प्रक्रिया में मृतक दाताओं से आइलेट कोशिकाओं को इकट्ठा करना और उन्हें टाइप-1 मधुमेह रोगियों के लिवर में प्रत्यारोपित करना शामिल था. हालांकि, दाताओं से कोशिकाओं की सीमित उपलब्धता के कारण, उपचार का कभी व्यापक उपयोग नहीं हुआ.

कॉन्सेप्ट इमेज (ETV Bhart)

स्टेम सेल प्रत्यारोपण से उम्मीद
चीनी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नई स्टेम सेल तकनीक डायबिटीज के उपचार में क्रांति ला सकती है. यह प्रक्रिया टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित रोगियों से वसा कोशिकाओं (Adipose cells) को निकालने से शुरू होती है. ये कोशिकाएं रासायनिक पुन:प्रोग्रामिंग से गुजरती हैं और प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाएं बन जाती हैं, जिन्हें फिर Islet cells में बदल दिया जाता है. चूंकि कोशिकाएं रोगी के अपने शरीर से आती हैं, इसलिए प्रतिरक्षा अस्वीकृति (Immune rejection) का जोखिम न्यूनतम होता है.

जुलाई में, इस नई तकनीक को मंजूरी दी गई, और एक बुजुर्ग रोगी ने सफलतापूर्वक सर्जरी करवाई, जिसमें 30 मिनट से भी कम समय लगा. इस रोगी ने पहले दो लीवर प्रत्यारोपण और एक असफल आइलेट प्रत्यारोपण करवाया था. हालांकि, स्टेम सेल प्रक्रिया के बाद, उसने नाटकीय सुधार का अनुभव किया, 75 दिनों के भीतर इंसुलिन इंजेक्शन पूरी तरह से बंद कर दिया. ढाई महीने के अंत में, उसका ब्लड शुगर लेवल 98% से अधिक समय तक नियंत्रण में था.

कम डरावनी प्रक्रिया ! (Less invasive) :
पिछली तकनीकों के विपरीत, जहां Islet cells को लिवर में प्रत्यारोपित किया जाता था, यह नई प्रक्रिया स्टेम कोशिकाओं को पेट की मांसपेशियों में जोड़ी जाती है. इस तकनीक में बड़े चीरे की आवश्यकता नहीं होती, जिससे प्रक्रिया कम डरावनी! (Less invasive) और रोगियों के लिए अधिक सुलभ हो जाती है. यह स्टेम सेल-आधारित थेरेपी टाइप-1 डायबिटीज के इलाज के लिए नए रास्ते खोल सकती है और दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए आशा की किरण बन सकती है.

डिस्कलेमर:- यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप एक्सपर्ट्स की सलाह लें.

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Last Updated : Oct 3, 2024, 6:02 AM IST

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