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HBD Manoj Bajpayee: NSD से रिजेक्ट होने से लेकर 'देसी सुपरस्टार' बनने तक का तय किया सफर, बने ओटीटी किंग - HBD Manoj Birthday - HBD MANOJ BIRTHDAY

Happy Birthday Manoj Bajpayee: 'देसी सुपरस्टार' के नाम से पहचाने जाने वाले एक्टर मनोज बाजपेयी आज ओटीटी किंग हैं. उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में और सीरीज हिंदी सिनेमा को दी है. लेकिन एक समय था जब उन्हें भी रिजेक्शन झेलना पड़ा था. आज उनके बर्थडे पर आइए जानते हैं मनोज की रिजेक्शन से लेकर सफल होने तक की स्टोरी को...

Manoj Bajpayee
मनोज बाजपेयी

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 23, 2024, 9:54 PM IST

मुंबई:बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी आज हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों में शुमार हैं. लेकिन यह सफलता उन्हें रातों रात नहीं मिली, उन्हें भी लाइफ में कई रिजेक्शन झेलने पड़े. अपने शुरूआती दिनों को याद करते हुए मनोज बताते हैं कि उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से भी रिजेक्शन झेलना पड़ा था. कम ही लोग जानते हैं कि जिस कलाकार को आप आज जानते हैं उसे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से एक बार नहीं बल्कि तीन बार रिजेक्ट किया गया था. हालांकि, उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और कड़ी मेहनत करते हुए आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं.

NSD से तीन बार रिजेक्ट हुए मनोज

मनोज बाजपेयी ने अपने शुरूआती संघर्ष के बारे में बात करते हुए बताया कि, 'जिस दिन मैं दिल्ली पहुंचा, दूसरे दिन से ही मुझे एक स्ट्रीट थिएटर ग्रुप ने ले लिया. उसके बाद, मैं इस आशा के साथ लगातार थिएटर करता रहा कि जैसे ही मैं अपना ग्रेजुएशन पूरा करूंगा में एनएसडी के लिए तैयारी करुंगा और मुझे विश्वास था कि मैं सफल हो जाऊंगा. मैंने तीन साल तक बहुत मेहनत की. मैंने लगभग 420 नुक्कड़ नाटक, 3-4 प्रोसेनियम थिएटर किये. यह सब करने के बाद, मैं परीक्षा के लिए गया और उन्होंने मुझे रिजेक्ट कर दिया.

नहीं था कोई प्लान बी

उन्होंने आगे कहा, 'मेरे पास प्लान बी नहीं था. मुझे पता था कि मेरे पिता मुझसे पूछेंगे, 'अब क्या?' और मैं तुम्हें जो भी 200 रुपये भेजूंगा, वह भी मैं नहीं भेज पाऊंगा'. रिजेक्शन के बाद मैं ब्लैक आउट हो गया क्योंकि मेरे पास प्लान बी नहीं था और उस ब्लैकआउट में, एक महीने तक, मेरे दोस्तों ने मेरी मदद की. वे यह सोचकर चिंतित हो जाते थे कि मैं अपने साथ कुछ कर लूंगा. उन्होंने मेरी बहुत मदद की. 2019 में, मनोज बाजपेयी को उसी एनएसडी में बुलाया गया. जहां उन्हें 10 दिन के की कार्यशाला में सेकंड ईयर के स्टूडेंट को पढ़ाना था.

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