पटना :लोक गायिका देवी इन दोनों बिहार में कम दिखती हैं. उनका कहना है कि सोशल मीडिया के इस जमाने में वह अपनी गीत और जो संगीत का कार्यक्रम है वह रिलीज करती रहती है. लेकिन, उनका बिहार से गहरा लगाव है और उनके चाहने वाले बिहार में खूब हैं. सोशल मीडिया के जरिये उनके चाहने वाले देश विदेश से भी जुड़ते हैं. गायिका देवी ने ईटीवी भारत से खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि वह राजनीति में क्यों नहीं आना चाहती हैं. वह अपने आप को राजनीति के लिए फिट क्यों नहीं मानती है? पेश है लोकगायिका देवी से बातचीत का अंश.
सवाल- हाल के दिनों में आपका बिहार से में आना कम हुआ है, क्या कारण है?
देवी- ऐसा नहीं है बिहार से मैं लगातार जुड़ी हुई हूं. हमारे बहुत सारे फैंस हैं. यहां मैं अक्सर पटना आती रहती हूं. मेरे कार्यक्रम यहां चलते रहते हैं. छठ जब होता है तब मैं यहां लगातार रहती हूं और उस समय लोग मेरे गानों को जरूर सुनते हैं. सोशल मीडिया का जमाना आ गया है. वहां बहुत सारी चीज चल रही है और मेरा भी काम चल रहा है. मैं बिहार और झारखंड दोनों आती जाती रहती हूं. जो विदेशों में भी बसे हुए हैं वह भी इनवाइट करते रहते हैं. तो वह मुझे बुलाते रहते हैं. तो मैं जाती हूँ.
सवाल- होली का मौसम आ रहा है. होली को लेकर क्या तैयारी है? कौन सा गीत लेकर आ रही हैं?
देवी- मेरा एक नया गीत आ रहा है. ले लिहि जान फगुनवा हो.. वह आ रहा है.
सवाल- एक हम सवाल यह है कि आपके जितने भी कलीग गायक हैं वह राजनेता बनते जा रहे हैं. पहले अभिनेता बने फिर नेता बन गए. देवी कहां से चुनाव लड़ेंगी?
देवी- मेरा अभी चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है. मैं अपनी म्यूजिक से प्यार करती हूं. लोग मुझे म्यूजिक एज ए सिंगर ही जानते हैं. मैं चाहती हूं कि अपनी गायकी से ही आगे बढूं और समाज की सेवा करना चाहे तो वह कभी भी किया जा सकता है.
सवाल- बीजेपी से ज्यादा लगाव आपका है. आप बीजेपी के कॉन्क्लेव में भी आई.
देवी- जो कलाकार होते हैं वह हर पार्टी के लोग होते हैं. ऐसी बात है जो अच्छा काम करते हैं उसके प्रति सबका सम्मान होता है. मोदी कॉन्क्लेव हो रहा है तो मोदी जी को सब लोग प्यार करते हैं. मोदी जी ने सबके लिए अच्छा कार्य किया है. पूरे देश में शांतिपूर्ण वातावरण बना हुआ है. विश्व में भी मोदी जी की प्रतिष्ठा बढ़ी है और उनकी प्रतिष्ठा से हमारे भारत की प्रतिष्ठा पड़ी है. उनसे हर लोगों को प्यार है.
सवाल- आपको नहीं लगता है कि मनोज तिवारी, निरहुआ की तरह आप भी संसद में जाएं और अपनी बातों को रखें?