मुंबई:क्या आपने कभी सोचा है कि अमेरिकी में होने वाली घटनाएं दुनिया भर में कैसे फैलती हैं. और भारत जैसे बाजारों पर इसका क्या असर होता है? अक्सर कहा जाता है कि जब अमेरिका छींकता है, तो दुनिया को सर्दी लग जाती है. यह शेयर बाजार के लिए विशेष रूप से सही है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक मंगलवार से शुरू हो गई है. फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में नीतिगत दरें 23 साल के उच्चचम स्तर पर हैं. फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) के फैसले का प्रभाव शेयर बाजार पर देखने को मिलेगा. इस समय फेड की दरें 5.25 से 5.5 फीसदी के बीच है, जो 23 साल में सबसे ज्यादा हैं.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व आज 18 सितंबर को रात 11:30 बजे (भारत समयानुसार) अपनी मौद्रिक नीति के फैसले की घोषणा करने वाला है. बाजार को मुख्य ब्याज दर में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है, जो चार साल में पहली कटौती है. चूंकि दर में कटौती की उम्मीद काफी हद तक है. इसलिए मुख्य चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि कटौती 25 आधार अंकों की होगी या 50 आधार अंकों की.
अमेरिकी दुनिया को कैसे प्रभावित करता है
अमेरिकी बाजार वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बैरोमीटर का काम करता है . अमेरिका में प्रमुख शेयर बाजार जैसे कि डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज, एसएंडपी 500, नैस्डैक कंपोजिट और बॉन्ड यील्ड, दुनिया भर के निवेशकों का ध्यान आकर्षित करते हैं.
बॉन्ड यील्ड के मामले में, यूएस ट्रेजरी यील्ड, खास तौर पर 10 साल के ट्रेजरी नोट पर कड़ी नजर रखी जाती है. इन संकेतकों के उतार-चढ़ाव दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण विकास को गति देने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली हैं, जिसमें भारत भी शामिल है.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व का असर
ब्याज दरों में होने वाले बदलावों का स्टॉक बाजारों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का असर हो सकता है. स्टॉक निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व से पहले सतर्क मोड में आ जाते है. फेड फैसले के मुताबिक निवेशक बाजार में कारोबार करते है.