हैदराबाद: ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी रिटायर होने या नौकरी छोड़ने पर कंपनियों द्वारा उपहार या सराहना के तौर पर दी जाती है. इसके लिए कर्मचारी को एक निर्धारित समय तक कंपनी में सेवा करनी होती है, तभी वह इसके लिए पात्र होगा. ग्रेच्युटी के लिए वही कर्मचारी पात्र होंगे, जो एक कंपनी में कम से कम पांच साल तक कार्य कर चुके हों.
ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 में इसके लिए पात्रता, शर्तें और अन्य प्रावधान किए गए हैं. इस अधिनियम में निर्दिष्ट है कि कोई कर्मचारी कब ग्रेच्युटी का हकदार है और इसे सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों की क्या जिम्मेदारी है. यह अधिनियम सरकारी विभागों, रक्षा, स्थानीय शासी संस्थाओं और निजी संगठनों सहित विभिन्न क्षेत्रों पर लागू होता है, इसके लिए जरूरी है कि ये संस्थाएं और कंपनियां पूर्वनिर्धारित शर्तों को पूरा करती हों.
ग्रेच्युटी के लिए मानदंड
किसी भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी पाने के लिए नौकरी छोड़ने या रिटायर होने से पहले लगातार 4 वर्ष, 10 महीने, और 11 दिन सेवा पूरी करनी होगी. यानी मोटे तौर पर लगातार पांच साल की सेवा पूरी करनी होगी. हालांकि, कुछ परिस्थितियों जैसे तालाबंदी, दुर्घटना, अनधिकृत अनुपस्थिति या बर्खास्तगी में कंपनियां इसके लिए बाध्य नहीं हैं.
ग्रेच्युटी न सिर्फ रिटायर होने पर मिलती है बल्कि विभिन्न अन्य स्थितियों में भी मिलती है जैसे: इस्तीफा, मृत्यु या विकलांगता, छंटनी, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, सेवा समाप्ति (कर्मचारी की गलती के बिना).
कंपनियों के लिए मानदंड
कानून के तहत अगर किसी कंपनी में पिछले एक साल से 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं तो ऐसी कंपनियों या संगठनों को ग्रेच्युटी का भुगतान करना आवश्यक है. गैर-खनन क्षेत्र के लिए एक वर्ष में 240 कार्य दिवस होते हैं, जबकि खनन क्षेत्र के लिए 190 दिन है. वहीं, कुछ निजी क्षेत्र की कंपनियों में 10 साल की सेवा के बाद ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाता है.
नियम के अपवाद
पांच साल की अवधि से पहले ग्रेच्युटी पात्रता के लिए दो अपवाद हैं:
- मृत्यु या विकलांगता के कारण सेवा समाप्ति: इन परिस्थितियों में कर्मचारी सेवा अवधि पूरी किए बिना ग्रेच्युटी के लिए पात्र हैं.
- 4 साल 240 दिन का नियम: कर्मचारी कुछ शर्तों के तहत सिर्फ चार साल और सात महीने की सेवा के साथ ग्रेच्युटी के लिए पात्र हो सकते हैं.