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यूएस फेड मीटिंग : भारतीय शेयर बाजार पर क्या पड़ेगा प्रभाव, क्या निवेशकों पर भी इसका असर पड़ेगा ? - US Fed Meeting - US FED MEETING

US Fed Meeting-अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी आगामी नीति बैठक में चार साल से अधिक समय के बाद पहली बार ब्याज दर में कटौती की घोषणा कर सकता है, जिसकी घोषणा बुधवार, 18 सितंबर को की जाएगी. नए कारोबारी सप्ताह की शुरुआत के साथ ही दुनिया भर के निवेशक बेसब्री से अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से एक अहम घोषणा का इंतजार कर रहे हैं. जानें रेट कट का भारतीय शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा? पढ़ें पूरी खबर...

Fed Chairman Jerome Powell
फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल (IANS Photo)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 17, 2024, 4:34 PM IST

मुंबई:दुनिया के सबसे शक्तिशाली केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व की दो दिवसीय महत्वपूर्ण बैठक आज रात से शुरू हो रही है. ऐसे में ब्याज दरों में कटौती पर बहस चल रही है. नए कारोबारी सप्ताह की शुरुआत के साथ ही दुनिया भर के निवेशक बेसब्री से अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से एक अहम घोषणा का इंतजार कर रहे हैं.

बुधवार को फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) ब्याज दरों पर अपने फैसले का खुलासा करेगी, यह ऐसा कदम है जिसका वैश्विक बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है. 18 सितंबर को समाप्त होने वाली FOMC की बैठक ने इस बात को लेकर व्यापक अटकलें लगाई हैं कि दरों में कटौती कितनी आक्रामक होगी. कुछ विशेषज्ञ मामूली कटौती की भविष्यवाणी कर रहे हैं, जबकि अन्य अधिक महत्वपूर्ण कटौती की उम्मीद कर रहे हैं.

फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने हाल के हफ्तों में संकेत दिया है कि इस महीने ब्याज दरों में कटौती की जाएगी, क्योंकि मुद्रास्फीति बैंक के 2 फीसदी के दीर्घकालिक लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, और श्रम बाजार में मंदी जारी है. कोविड-19 महामारी के दौरान अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों को शून्य के करीब खींच लिया था.

रेट कट का भारतीय शेयर बाजार पर असर
सामान्य तौर पर, ब्याज दरों में कटौती इक्विटी बाजारों के लिए सकारात्मक है. सभी वैश्विक बाजारों पर ब्याज दरों में कटौती की घोषणाओं का कुछ प्रभाव देखने को मिलेगा और भारत भी इसका अपवाद नहीं है. हालांकि, दलाल स्ट्रीट के बाजार विश्लेषकों का मानना ​​है कि ब्याज दरों में कटौती का बाजार पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि इसकी कीमत पहले ही तय हो चुकी है.

इतिहास क्या दिखाता है?
ऐतिहासिक रूप से, कम ब्याज दरें उधार लेना सस्ता करके और निवेश को प्रोत्साहित करके शेयर की कीमतों को बढ़ावा देती हैं. हालांकि, पिछली दरों में कटौती से हमेशा बाजार में निरंतर लाभ नहीं हुआ है. उदाहरण के लिए, जब फेड ने 2000 और 2001 के बीच दरें कम कीं, तो भारत में निफ्टी इंडेक्स में लगभग 40 फीसदी की गिरावट आई. इसी तरह, जबकि 2007 के अंत में दरों में कटौती के दौरान बाजारों में शुरुआत में तेजी आई, बाद में 2008 में उन्हें तेज गिरावट का सामना करना पड़ा, जिसमें निफ्टी में 60 फीसदी की गिरावट आई.

क्या इसका शेयर बाजार पर असर पड़ेगा?
विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में अनिश्चितता बनी रहेगी, क्योंकि निवेशक फेड के फैसले को पचा रहे हैं. हालांकि दरों में कटौती से बाजारों को राहत मिल सकती है. लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे अल्पकालिक अस्थिरता भी आ सकती है.

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