फोर्ब्स लिस्ट की दो कैटेगरी में चुनी गई क्षितिजा वानखेड़े, जानें कौन हैं पहली भारतीय महिला - Kshitija Wadatkar Wankhede - KSHITIJA WADATKAR WANKHEDE
Kshitija Wadatkar Wankhede- एडवोकेट डॉ क्षितिजा वडतकर वानखेड़े को फोर्ब्स इंडिया लीगल पावरलिस्ट 2023 में दो क्षेत्रों में ऑवार्ड मिला है. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की है. पढ़ें पूरी खबर...
मुंबई:पहली बार फोर्ब्स की सूची में दो श्रेणियों में एक भारतीय महिला वकील को शामिल किया गया है. कानून के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वाली महाराष्ट्र की डॉ क्षितिजा वडाटकर-वानखेड़े को शामिल किया गया है. उनकी सफलता की हर जगह सराहना हो रही है. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की है. एडवोकेट डॉ क्षितिजा वडाटकर-वानखेड़े को विश्व प्रसिद्ध फोर्ब्स की सूची में टॉप रैंक मिला है.
दोनों कैटेगरी में पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र महिला क्षितिजा वडाटकर-वानखेड़े सर्वश्रेष्ठ वकील और सर्वश्रेष्ठ बिजनेस संस्थापक दोनों श्रेणियों में पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र महिला हैं. सितंबर-अक्टूबर महीने में नई दिल्ली में एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाएगा. एडवोकेट क्षितिजा को 2008 में 'नागपुर विश्वविद्यालय की सर्वश्रेष्ठ छात्रा' के रूप में सम्मानित किया गया था. उन्हें 2023 में भारत की टॉप आठ उभरती महिलाओं में शामिल किया गया था.
आज वे वित्तीय अपराधों के क्षेत्र में एक प्रमुख वकील के रूप में काम कर रही हैं. वानखेड़े एक प्रसिद्ध लॉ फर्म की संस्थापक भी हैं. क्षितिजा के पिता गुणवंत वडाटकर और मां सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं.
मेडल्स के साथ मुंबई में रखा कदम सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. हालांकि, मेहनत करते हुए सही दिशा में काम करना भी बहुत जरूरी है. इस बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैं 15 साल पहले मुंबई आई थी. तब मेरे पास नागपुर यूनिवर्सिटी का गोल्ड मेडल, मेरिट और 'बेस्ट स्टूडेंट' का अवॉर्ड था. इन मेडल्स को लेकर मैंने मुंबई में कदम रखा. मेरे पास किसी की सिफारिश नहीं थी. सिर्फ मेरिट और ये मेडल्स हाथ में थे. मैंने अपनी छोटी सी दुनिया बनाने की कोशिश की. मैंने कानून के क्षेत्र में अपना नाम बनाने की ठानी. इतने सालों की लगन, मेहनत और सीखने के बाद मैं आज यहां तक का सफर तय कर पाई हूं. मुझे जो सफलता और सम्मान मिला है, उसमें मेरे माता-पिता, पति और बेटे का बहुत बड़ा योगदान है. सही दिशा में प्रयास करें.
महिलाओं और मानवाधिकारों के लिए लड़ रहीं क्षितिजा उन्होंने आग्रह किया कि हमें सिर्फ वित्तीय मामलों पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि सामाजिक कर्तव्यों पर भी ध्यान देना चाहिए. वकालत के जरिए सामाजिक कामों की वकालत करें. क्षितिजा ने हमेशा प्राथमिकता दी है. वह महिलाओं और मानवाधिकारों के लिए लड़ रही हैं. महिलाओं और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए वकालत के क्षेत्र में अपने ज्ञान का अक्सर इस्तेमाल किया. खास बात यह है कि ऐसे कई मामलों में वे मामूली फीस पर अपनी सेवाएं देते हैं. अक्सर वे मुफ्त सेवाएं देते हैं.
छोटे शहर के वकीलों की मदद वे अपनी फर्म के माध्यम से मुंबई के छोटे शहर के वकीलों को अवसर प्रदान करते हैं. उनकी फर्म में उनके साथ उद्यमी के रूप में व्यवहार किया जाता है, न कि कर्मचारियों के रूप में. उन्होंने महसूस किया कि उन्हें जो सम्मान मिला है, वह कड़ी मेहनत के फल की संतुष्टि है.