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उत्तराखंड में वन संरक्षण एवं जल संचयन के लिए महिलाओं की अनोखी पहल, कोट गांव में चाल-खाल में जमा किया 1 लाख लीटर पानी - Rainwater Harvesting Campaign

Rainwater harvesting by women in Kot village of Rudraprayag उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में वन एवं जल संरक्षण की दिशा में महिलाओं ने मिसाल कायम की है. हरियाली वैली के कोट गांव की महिलाओं की मेहनत रंग लाई है. 30 महिलाओं की मेहनत से एक लाख लीटर वर्षा जल का भंडारण हुआ है. इस वर्षा जल के संचयन के लिए महिलाओं ने 200 जल संचयक चाल-खाल बनाए. इससे सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोत फिर से जीवित हो उठेंगे.

Rainwater harvesting
उत्तराखंड की महिलाओं का कमाल (Photo- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 15, 2024, 10:16 AM IST

Updated : Jul 15, 2024, 7:28 PM IST

वन संरक्षण एवं जल संचयन के लिए महिलाओं की अनोखी पहल (वीडियो-ईटीवी भारत)

रुद्रप्रयाग:जिले की रानीगढ़ पट्टी के सभा कोट की 30 महिलाएं पांच हेक्टेयर वन भूमि में वर्षा जल संरक्षण को लेकर लगातार एक महीने से कार्य कर रही हैं. महिलाओं की ओर से 200 चाल, खाल, खतियां तथा रिसाव पिटों का निर्माण किया गया है. वर्षा होने पर अभी तक एक लाख लीटर जल भंडारण होकर भूमिगत हुआ है. इस कार्य की शुरूआत गांव के ऊपर वाले वन क्षेत्र में की गयी, जिस कारण गांव के आस-पास के पानी के स्रोत रिचार्ज हो सकें और भूमिगत जल स्तर में बढ़ोत्तरी हो सके.

कोट गांव की महिलाओं ने वर्षा जल संचयन किया (Photo- ETV Bharat)

ग्राम कोट की महिलाओं ने जल संरक्षण को लेकर मिश्रित पौधों के रोपण को लेकर पांच सौ गड्डों का निर्माण किया. इनमें हरेला पर्व पर पौधों को लगाया जाएगा. इस मिश्रित वन में आर्थिकी से जुड़ने के लिए रिंगाल के पौधों का रोपण भी किया जायेगा, जो कि भविष्य में कुटीर लघु हस्तशिल्प उद्योग में मददगार साबित होंगे। इसके अलावा जल संरक्षण के साथ-साथ इस वन को मिश्रित वन के आधार पर विकसित किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें 50 प्रजाति के हिमालयी पौधों का रोपण किया जायेगा. इन पौधों में बांज, बुरांश, काफल, देवदार, भमोर, चमखड़ी प्रमुख हैं. इस कार्य में पर्यावरण विशेषज्ञ देवराघवेन्द्र सिंह महिलाओं का मार्ग-दर्शन रहे हैं. उन्होंने कहा कि सिंगलास देवता मिश्रित वन को महिलाओं व ग्राम प्रधान के सहयोग से पर्यावरण संरक्षण का विश्वव्यापी माॅडल बनाया जायेगा, जिसमें एक हजार मिश्रित पौधों को रोपित किया जायेगा.

महिलाओं ने 5 हेक्टेयर वन भूमि में चाल-खाल बनाए (Photo- ETV Bharat)

ग्राम प्रधान कोट सुमन देवी ने कहा कि यह उनके लिए खुशी का पल है. पूरे जिले में उनकी ग्राम सभा में सबसे पहले और वृदह स्तर पर पर्यावरण के लिए जल तथा वन संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है. उन्होंने मनरेगा योजना का धन्यवाद किया, जिस कारण महिलाएं रोजगार से भी लाभान्वित हो रही हैं. मनरेगा योजना से उनकी ग्राम सभा में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य हो रहा है. इस कार्यक्रम में पिछले एक माह से महिलाओं का सहयोग कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता जयकृत सिंह चौधरी ने कहा कि उनकी ग्राम सभा के लिए गर्व की बात है. जब से जल संरक्षण का कार्य सफल हुआ है, उनके गांवों के आस-पास पानी के स्रोत रिचार्ज होने लगे हैं. इस कार्य से प्रेरणा लेकर अन्य ग्राम सभाओं में भी जल संरक्षण का कार्य शुरू होने लगा है.

वर्षा जय संचयन से वन संरक्षण होगा (Photo- ETV Bharat)

छात्र भी सीख रहे जल संरक्षण के गुर- प्रो भारती:महिलाओं के इस जल एवं मिश्रित वन संरक्षण अभियान से जुड़े नमामि गंगे नोडल अधिकारी रुद्रप्रयाग प्रो डाॅ बिक्रम वीर भारती ने कहा कि ग्राम सभा कोट की महिलाएं जल संरक्षण की दिशा में मिसाल कायम कर रही हैं. समय-समय पर उनके महाविद्यालय रुद्रप्रयाग के छात्र-छात्राएं भी महिलाओं के इस कार्य का अवलोकन करने आ रहे हैं तथा महिलाओं से पारंपरिक जल संरक्षण के प्रयोग के गुर सीखकर अपने-अपने गांव में अपनाने का संकल्प ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा किया गया जल संरक्षण का यह प्रयोग नयी पीढ़ी के लिए मार्ग-दर्शन का कार्य कर रहा है. उन्होंने भविष्य में भी महिलाओं की हरसंभव मदद करने की बात कही है.

200 चाल-खाल में 1 लाख लीटर वर्षा जल संचय किया (Photo- ETV Bharat)

सिंगलास देवता वन से किया गया समिति का गठन:वन की रक्षा के लिए ग्राम सभा कोट की महिलाओं की समिति का गठन भी इस वन में निवास करने वाले सिंगलास देवता के नाम पर किया गया है. सिंगलास देवता मिश्रित वन एवं जल संरक्षण महिला वन समिति के नाम से सभी महिलाएं इस पांच हेक्टेयर वन का संरक्षण करेंगी. इस अभियान में कार्यरत सभी महिलाओं ने संकल्प लिया है कि इस वन की रक्षा अपने बच्चों की तरह करेंगी और आजीवन भविष्य के पर्यावरण संरक्षण को लेकर इस वन से जुड़ी रहेंगी. सभी महिलाओं ने इस सिंगलास देवता मिश्रित वन के वृहद विकास एवं संवर्द्धन को लेकर प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली के मिश्रित वन में प्रशिक्षण लिया है.

गांव की 30 महिलाओं ने असंभव को संभव किया (Photo- ETV Bharat)

पारम्परिक तरीके से किया जा रहा जल का संरक्षण:वन क्षेत्र के आस-पास लगभग 100 परिवार निवास करते हैं. इनमें अधितर जल के प्राकृतिक स्रोतों पर आश्रित हैं. उन जल स्रोतों के जल स्तर को बढ़ाने की दृष्टि से भी यह कार्य किया जा रहा है. जल संरक्षण का यह प्रयोग पारम्परिक है, जिसमें ढलवा स्थानों तथा जल के स्रोतों केे आस-पास कच्ची चाल खाल, खंतिया बनाकर वर्षा जल रोककर भूमिगत किया जाता है. इस कारण मिट्टी का कटाव भी रुक जाता है और प्राकृतिक पानी के स्रोत रिचार्ज हो जाते हैं तथा आस-पास नमी रहने से जैव विविधता का निर्माण होता है.

महिलाओं के प्रयास से सूखते जल स्रोत रिचार्ज हो रहे हैं (Photo- ETV Bharat)

भविष्य के लिए वरदान साबित होगा यह प्रयोग- जंगली:विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली ने खुशी जताते हुए कहा कि जल एवं वन संरक्षण का यह कार्य महिलाओं द्वारा वृहद स्तर पर किया जा रहा है, जोकि पूरे जिले के लिए गर्व की बात है. भविष्य में जल के संकट को मद्देनजर रखते हुए जल के ऐसे प्रयोग वरदान साबित होंगे. उन्होंने ग्राम प्रधान की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि मनरेगा वित्त द्वारा पर्यावरण के साथ-साथ ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से भी जोड़ा गया और जल संरक्षण के कार्य में यह वित्त सदुपयोगी हो रहा है, जो कि भविष्य में पर्यावरण संरक्षण में मिसाल बन सकता है.

जल संरक्षण कार्य में लगी हैं ये महिलाएं:रुद्रप्रयागजिले की रानीगढ़ पट्टी के सभाकोट में मीनू देवी, ममता देवी, सरोजनी देवी, पूजा देवी, रितिका, बीना देवी, उर्मिला देवी, पूनम देवी, रजनी देवी और शाकुम्बरी देवी समेत 30 महिलाएं जल एवं वन संरक्षण का कार्य कर रही हैं.
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Last Updated : Jul 15, 2024, 7:28 PM IST

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