हैदराबाद: ये तो सभी को पता है कि जैसे-जैसे किसी व्यक्ति की उम्र ढलती है, वैसे-वैसे उस व्यक्ति की क्रियाएं धीमी होने लगती है. वह हर काम धीरे करने लगता है और यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है. आम तौर पर इसके लिए लोगों का कहना है कि इसके पीछे कुछ संभावित कारण जैसे धीमी चयापचय, मांसपेशियों का नुकसान और समय के साथ कम सक्रिय होना शामिल हो सकता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों बूढ़े लोग धीरे चलते या काम करते हैं.
लेकिन कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक शोध के आधार पर बताया कि वृद्ध वयस्क आंशिक रूप से धीमी गति से चलते हैं या कोई भी काम करते हैं, क्योंकि उन्हें युवा वयस्कों की तुलना में ऐसा करने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह नया शोध पार्किंसंस रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियों के लिए नए नैदानिक उपकरणों के विकास में सहायक हो सकता है.
ऊर्जा बचाने के लिए धीमी रफ्तार से चलते हैं बुजुर्ग
यह शोध हाल ही में जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 84 स्वस्थ प्रतिभागियों को शामिल किया, जिनमें 18 से 35 वर्ष की आयु के युवा वयस्क और 66 से 87 वर्ष की आयु के वृद्ध वयस्क शामिल थे. अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों को अपने दाहिने हाथ में रोबोटिक हाथ पकड़कर स्क्रीन पर किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कहा गया.