शिमला: हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के नतीजों की पूरे देश की सियासत में चर्चा हो रही है. कांग्रेस की सरकार वाले राज्य में अपने उम्मीदवार की जीत से बीजेपी की बांछे खिली हुई हैं. ये खुशी लाजमी भी है क्योंकि 68 विधायकों वाले हिमाचल में बीजेपी के पास सिर्फ 25 विधायक थे और 3 निर्दलीय विधायक हैं. वहीं कांग्रेस हिमाचल में 40 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत वाली सरकार चला रही है. कुछ घंटे पहले तक ज्यादातर सियासी पंडित हिमाचल में कांग्रेस की जीत पर दांव लगाए बैठे थे लेकिन मंगलवार को वोटिंग के बाद ऐसा माहौल बदला कि मंगलवार का दिन ढलते-ढलते सियासी पंडितों की बोलती बंद हो गई और हर्ष महाजन हिमाचल से राज्यसभा पहुंच गए.
34-34 वोट मिलने के बाद 'ड्रा ऑफ लॉट्स' से फैसला
तीन निर्दलीय और 6 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन को 34 वोट मिले और कांग्रेस उम्मीदवार को भी 34 ही वोट मिले. इसके बाद फैसला ड्रॉ ऑफ लॉट्स से हुआ. जिसमें लॉटरी से जीत का फैसला हुआ और इसमें भी बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन बाजीगर साबित हुए.
कौन हैं हर्ष महाजन ?
हर्ष महाजन करीब 4 दशक से अधिक वक्त तक कांग्रेस में रहे लेकिन पार्टी में अनदेखी के कारण उन्होंने साल 2022 में हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. जिसके बाद बीजेपी ने उन्हें साल 2023 में हिमाचल प्रदेश बीजेपी के कोर ग्रुप के सदस्य की जिम्मेदारी दी थी.
हर्ष महाजन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के फेमस श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम की डिग्री ली है. छात्र जीवन से ही वो यूथ कांग्रेस से जुड़ गए थे. जिसके बाद वो लंबे अरसे तक हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. साल 1993 में उन्हें कांग्रेस ने पहली बार विधानसभा का टिकट दिया और वो पहली बार विधायक बने. इसके बाद वो साल 1998 और 2003 में भी चुनाव जीते और चंबा से कुल तीन बार विधायक रहे. कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हर्ष महाजन पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सबसे करीबियों में शुमार थे.