जांजगीर चांपा: सतनामी समाज छत्तीसगढ़ का ऐसा समाज है जो सत्य और अहिंसा की राह पर चलता है. इस समाज ने हमेशा देश में छुआ छूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी. गुरु घासीदास के बताए विचारों और राह पर चलने वाले इस समाज ने हमेशा से मनखे मनखे एक समान के संदेश को आगे बढ़ाया.
सतनामी समाज के इतिहास को जानिए: सतनामी समाज का इतिहास बहुत पुराना माना जाता है. जब देश में छुआ छूत और ऊंच नीच की भावना चरम पर थी. उस दौरान गुरु घासीदास ने मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया. संत गुरु घासी दास ने एक ऐसे समाज की रचना की जिसने सदा समतामूलक विचारों को प्राथमिकता दी है. गुरु घासीदास जी के मनखे मनखे एक समान के संदेश को सतनामी समाज ने स्वीकार किया. इस संदेश का अर्थ होता है कि कोई भी मनुष्य बड़ा या छोटा नहीं होता और सभी मनुष्य एक समान है. ईश्वर ने जब इस संसार की रचना की तो उन्होंने सभी मनुष्यों को एक समान बनाया है. इसलिए जन्म, वर्ग, और वर्ण के आधार पर किसी के साथ कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए. गुरु घासीदास ने जातिविहीन समाज की स्थापना पर बल दिया. गुरु घासी दास ने किसी मूर्ति को पूजने के बजाय निर्गुण निराधार प्रभु का स्मरण करने का संदेश दिया.
सादा जीवन उच्च विचार: सतनामी समाज ने सदा ही सादा जीवन और उच्च विचार को प्राथमिकता दी. यह समाज सदा अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ता है. इनका पहनावा सफेद होता है. यह समाज खेती किसानी करता है और खेती किसानी को अपना जीवन समर्पित करता है. राजनीति में भी सतनामी समाज के लोग छत्तीसगढ़ में आगे रहे हैं. इस समाज के लोग जैतखंभ को ईश्वर के रूप में पूजते हैं. यह समाज ईश्वर को सत्य और सत्य को ईश्वर मानता है.