रायबरेली: Why Rahul Gandhi Leave Amethi Seat: लोकसभा चुनाव को लेकर रायबरेली की सियासत मई में और भी गरमा चुकी है. कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी को रायबरेली से पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यह कहा जा रहा है कि मां की विरासत को अब बेटा संभालने के लिए आ गया है.
वहीं अपने आप को जनता के चिराग की संज्ञा देने वाले भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह ने भी भाजपा की तरफ से ताल ठोंक दी है. जहां अब राहुल गांधी के पास कांग्रेस के पुराने दुर्ग को बचाने की चुनौती रहेगी, वहीं बीजेपी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह पर स्मृति ईरानी की तरह राहुल गांधी को चुनाव में पटखनी देने की चुनौती रहेगी.
कांग्रेस की रणनीति राहलु गांधी Vs नरेंद्र मोदी:राजनीति की समझ रखने वालों का कहना है कि रायबरेली से राहुल गांधी को चुनाव लड़वाने की कांग्रेस की रणनीति यह है कि पार्टी राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी करना चाहती है, न कि स्मृति ईरानी बनाम राहुल गांधी. यदि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ते तो वहीं फंसकर रह जाते, जोकि पार्टी होने नहीं देना चाहती थी.
भाजपा राहुल गांधी को क्यों कह रही 'रणछोड़ दास':वहीं बीजेपी अब राहुल गांधी को 'रणछोड़ दास' कहकर घेर रही है. पार्टी यह प्रचार करने में लगी है कि राहुल गांधी ने पहले अमेठी को छोड़ा, उसके बाद अब वायनाड को भी छोड़कर रायबरेली आ गए. अब यह भी संभावना है कि रायबरेली में भी राहुल गांधी टिकेंगे या नहीं यह कोई गारंटी नहीं है.
टिकट में देरी से लोगों में कम उत्साह:राजनीति विश्लेषक डॉ. पंकज सिंह ने बताया कि रायबरेली लोकसभा सीट पर चुनाव इस समय दिलचस्प हो चुका है. राहुल गांधी कांग्रेस से तो दिनेश प्रताप सिंह भाजपा से ताल ठोक रहे हैं. दोनों पार्टियों ने काफी इंतजार के बाद टिकट की घोषणा की, जिससे जो उत्साह आम जनता में दिख रहा था वह काफी ठंडा पड़ गया. लेकिन, दोनों के मैदान में आने से एक बार फिर चर्चा शुरू हो चुकी है.
कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है रायबरेली सीट:हालांकि रायबरेली सीट से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की खबरें थीं लेकिन, राहुल गांधी के नाम की घोषणा हो गई. रायबरेली सीट गांधी परिवार के गढ़ के रूप में जानी जाती है और आज भी लोगों का झुकाव गांधी परिवार की तरफ ही है.