दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट लोगों की जरूरतों को आवाज देगा: पीएम मोदी - Voice of Global South Summit - VOICE OF GLOBAL SOUTH SUMMIT

PM Modi Voice of Global South Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट 2024 के उद्घाटन भाषण में बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि इस मंच के माध्यम से वैश्विक दक्षिणी देशों को विभिन्न मुद्दों पर अपनी प्राथमिकताओं को साझा करने का अवसर मिला है.

PM Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (ANI)

By ANI

Published : Aug 17, 2024, 2:02 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तीसरे वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट उन लोगों की जरूरतों और आकांक्षाओं को आवाज दे रहा है, जिनकी अब तक अनसुनी की गई. प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार भारत ने अपने अनुभव और प्रगति को साझेदार देशों के साथ साझा किया है. इससे बुनियादी ढांचे, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी के क्षेत्र में उनके बीच सहयोग बढ़ा है.

वर्चुअल माध्यम से आयोजित हो शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मेरा मानना ​​है कि हमारी ताकत हमारी एकता में निहित है और हम एक नई दिशा में आगे बढ़ेंगे. अगले महीने, संयुक्त राष्ट्र 'भविष्य के शिखर सम्मेलन' का आयोजन कर रहा है, जहां 'भविष्य के लिए समझौते' पर विचार-विमर्श चल रहा है. क्या हम एकजुट होकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपना सकते हैं ताकि हम इस समझौते के माध्यम से वैश्विक दक्षिण की आवाज को उठा सकें, जो वैश्विक दक्षिण की आवाज को सशक्त बना सके?'

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमैट फोरम और ग्लोबल साउथ एक्सीलेंस सेंटर क्षमता निर्माण, ज्ञान साझाकरण और कौशल विकास के लिए काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मिशन लाइफ के माध्यम से हम न केवल भारत में बल्कि साझेदार देशों में भी छतों पर सौर और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्राथमिकता दे रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'हमने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से वैश्विक दक्षिण देशों को जोड़ने की पहल की है. शिक्षा, क्षमता निर्माण और कौशल विकास के क्षेत्र में हमारी साझेदारी में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है.' समावेशी विकास में यूपीआई के योगदान पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'समावेशी विकास में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का योगदान किसी क्रांति से कम नहीं है.

भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान गठित वैश्विक डीपीआई डिपॉजिटरी वैश्विक डीपीआई डिपॉजिटरी पर पहली बहुपक्षीय सहमति थी. हमने वैश्विक दक्षिण देशों के बीच डीपीआई बढ़ाने के लिए एक सामाजिक प्रभाव कोष बनाया है. भारत इस कोष में 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रारंभिक योगदान देगा.' उन्होंने भारत के 'आरोग्य मैत्री' दृष्टिकोण पर भी जोर दिया और कहा कि भारत ने अफ्रीका और प्रशांत क्षेत्र में अपने साझेदार देशों की मदद की है.

उन्होंने आगे कहा कि भारत मानवीय संकट की स्थितियों में 'प्रथम प्रतिक्रियादाता' के रूप में उभरा है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए हमारा मिशन 'एक विश्व, एक स्वास्थ्य' है और हमारा विजन 'आरोग्य मैत्री' है, जिसका अर्थ है 'स्वास्थ्य के लिए मित्रता'. हमने अफ्रीकी और प्रशांत देशों को अस्पतालों, डायलिसिस मशीनों, जीवन रक्षक दवाओं और जन औषधि केंद्रों के साथ समर्थन देकर इस मित्रता की सेवा की है.'

उन्होंने कहा, 'मानवीय संकट के दौरान भारत अपने मित्र देशों की प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में मदद करता है, चाहे वह पापुआ न्यू गिनी में ज्वालामुखी विस्फोट हो या केन्या में बाढ़. हमने यूक्रेन और गाजा में संघर्ष प्रभावित स्थितियों में भी मानवीय सहायता प्रदान की है.'

ये भी पढ़ें-'ग्लोबल साउथ' की बड़ी भूमिका का विरोध हो रहा है: जयशंकर

ABOUT THE AUTHOR

...view details