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ठीक एक साल पहले भी सुर्खियां में आया था हल्द्वानी का बनभूलपुरा, आज हिंसा की आग में जल उठा शहर - बनभूलपुरा अतिक्रमण

Violence Affected Area of Banbhoolpura of Haldwani साल 2023 में भी हल्द्वानी का बनभूलपुरा ने खूब सुर्खियों बटोरी. उस वक्त ऐसी हिंसा नहीं हुई थी. उस वक्त पहले तो लोग रोते नजर आए. जब सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली तो लोग खुशियां मनाते दिखे, लेकिन इस बार नजारा कुछ और ही देखने को मिला. इस बार पत्थरबाजी, आगजनी और फायरिंग हो गई. जानिए पिछले साल क्यों सुर्खियों में आया था बनभूलपुरा...

Haldwani Violence
बनभूलपुरा में बवाल

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 9, 2024, 7:52 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के हल्द्वानी का बनभूलपुरा एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. आज से ठीक एक साल पहले भी बनभूलपुरा एकाएक चर्चाओं में आया था. जब सुप्रीम कोर्ट से हजारों परिवारों को राहत मिली थी. तब इस इलाके में जश्न मनाया गया. पटाखे जलाए गए और जश्न मनाया गया था, लेकिन आज ठीक एक साल बाद यह इलाका हिंसा की आग में धधक रहा है.

साल 2023 में इस वजह से चर्चाओं में आया था बनभूलपुरा: हल्द्वानी का बनभूलपुरा साल 2023 के जनवरी महीने में तब सुर्खियों में आया था, जब सुप्रीम कोर्ट से इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को मानवीय पहलू के आधार पर राहत मिली थी. दरअसल, पूरा मामला रेलवे भूमि अतिक्रमण से जुड़ा था. मामले के तहत साल 2013 में गौला नदी में अवैध खनन के बाद एक पुल धराशायी हो गया था. इसके बाद मामला उछला और हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई.

बनभूलपुरा की महिलाएं

याचिका दायर होने और सुनवाई के दौरान इस क्षेत्र के रिहायशी इलाकों को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. उस वक्त ये बताया गया था कि रेलवे की करीब 78 एकड़ की जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण किया है. इस अतिक्रमण में करीब 4 हजार घर, सरकारी स्कूल, अस्पताल और मंदिर के साथ मस्जिद भी शामिल हैं. ऐसे में रेलवे की भूमि पर काबिज 4 हजार से ज्यादा घरों को हटाने के लिए रेलवे ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी.

नैनीताल हाईकोर्ट ने रेलवे को इन घरों को खाली कराने का आदेश दे दिया. जिसके बाद रेलवे ने हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रणकारियों को सार्वजनिक नोटिस जारी किया. इसमें हल्द्वानी रेलवे स्टेशन से 2.19 किमी दूर तक अतिक्रमण हटाया जाना शामिल है. लिहाजा, अतिक्रमणकारियों को खुद ही अतिक्रमण हटाने को लेकर 7 दिन का समय दिया गया. रेलवे की ओर से जारी नोटिस में कहा गया था कि हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 82.900 किमी से 87.710 किमी के बीच रेलवे की भूमि पर सभी अनाधिकृत कब्जों को तोड़ा जाएगा.

धरने पर बैठी बनभूलपुरा की महिलाएं

वहीं, रेलवे ने 7 दिन के भीतर अतिक्रमणकारियों को खुद अपना कब्जा हटाने को कहा गया. ऐसा न करने पर हाईकोर्ट के आदेशानुसार अतिक्रमण को तोड़ने की बात कही गई. इसके बाद स्थानीय लोग और कुछ राजनेता इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले गए. जहां 2 जनवरी 2023 को हल्द्वानी के शराफत खान समेत 11 लोगों ने नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जिसमें वरिष्ठ वकील अधिवक्ता सलमान खुर्शीद की ओर से याचिका दाखिल की गई. मामले में 5 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जब इस मामले में रेलवे से जवाब मांगा. तब रेलवे ने साल 1959 का एक नोटिफिकेशन और 1971 का रेवेन्यू रिकॉर्ड के साथ साल 2017 का लैंड सर्वे दिखाया था. साथ ही कहा था कि यह जमीन रेलवे की है. हाईकोर्ट में यह साबित हो चुका था कि यह जमीन रेलवे की है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद बनभूलपुरा के लोगों के पक्ष में फैसला सुनाया. फैसला आने के बाद पूरे इलाके में जश्न का माहौल हो गया.

बनभूलपुरा में प्रदर्शन

हालांकि, जिस इलाके में कल यानी 8 फरवरी 2024 को हिंसा हुई. उस जगह पर कोर्ट के फैसले से पहले भी लोग धरना दे रहे थे. जिनकी संख्या हजारों की तादाद में थी. जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल थे. हैरानी की बात ये है कि एक बार फिर से 8 फरवरी को ही हल्द्वानी जल रहा है. जहां आज से ठीक एक साल पहले खुशियां मनाई जा रही थी. वहीं, आज कई लोगों की मौत तो कई लोग घायल हो चुके हैं. वहीं, सरकार अब इन उपद्रवियों से नुकसान की भरपाई तो करेगी ही, साथ ही उन्माद फैलाने वालों पर एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम भी लगाने जा रही है.

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