अचानकमार टाइगर रिजर्व से हटाए जाएंगे तीन गांव, जानिए कैसी होगी विस्थापन प्रक्रिया ? - Achanakmar Tiger Reserve - ACHANAKMAR TIGER RESERVE
लोरमी के अचानकमार टाइगर रिजर्व से तीन गांवों को हटाने की कवायद शुरू कर दी गई है. इसके लिए विस्थापन्न प्रक्रिया को भी शुरू किया जा रहा है. विष्णुदेव साय सरकार इस कवायद को लेकर काफी गंभीर है. इस खबर के माध्यम से हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से ये विस्थापन्न प्रक्रिया होगी.
अचानकमार टाइगर रिजर्व में बसे गांवों का विस्थापन (ETV BHARAT)
मुंगेली: अचानकमार टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है. यह मुंगेली के लोरमी में स्थित है. अचानकमार टाइगर रिजर्व में पड़ने वाले तीन गांवों को यहां से हटाया जाएगा. इसके लिए विस्थापन्न प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इस टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में तीन गांव बसे हुए हैं. इन गांवों में बिरारपानी, छिरहट्टा और तिलईडबरा शामिल है. इन्ही तीन गांवों को विस्थापन्न किया जाएगा.
एटीआर के बीच में बसे तीन गांवों का होगा विस्थापन: अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में स्थित तीन गावों का विस्थापन्न किया जाना है. बताया जा रहा है कि एटीआर के 16 गांवों में से तीन गांवों को विस्थापित करने को लेकर प्रशासनिक तैयारियां तेज कर दी गई है. प्रशासन की तरफ से यह बताया जा रहा है कि तीनों गावों को लोरमी के पास भारतपुर और सावंतपुर के इलाके में बसाया जाएगा. एटीआर प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक जिन तीन गांवों का विस्थापन होना है, उनमें से वनग्राम बिरारपानी के 26 परिवार शामिल हैं. इसके अलावा तिलईडबरा के 77 परिवार शामिल है. छिरहट्टा के 30 परिवार शामिल हैं. इन्हें कक्ष क्रमांक 558, कक्ष क्रमांक 96 और कक्ष क्रमांक 557 के करीब बसाए जाने की योजना है.
विस्थापित होने वाले परिवारों का रखा जाएगा ख्याल: एटीआर में विस्थापन को लेकर डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि "करीब 133 परिवारों का विस्थापन्न किया जाएगा. लगभग 133 परिवार के लोगों को कोर एरिया से विस्थापित किया जाएगा. विस्थापन में इस बात का ख्याल रखा जायेगा कि विस्थापित होने वाले परिवारों को सारी सुविधाएं मिलें. उनकी सुविधाओं में कमी न आए"
15 साल से हो रहा विस्थापन का इंतजार: साल 2009 से यहां के लोग विस्थापन का इंतजार कर रहे हैं. अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बसे 25 गांवों को विस्थापित किया जाना था. साल 2010 में करीब 6 गांवों को विस्थापित किया गया. उसके बाद अब तक 19 गांवों का विस्थापन नहीं हो पाया है. अब तीन गांवों के विस्थापन की तैयारियां शुरू कर दी गई है. इससे टाइगर रिजर्व एरिया में वन्य प्राणियों को सुरक्षित रहवास मिल पाएगा. दूसरी तरफ शाकाहारी वन्य जीवों के लिए यहां कई और कार्य किए जा रहे हैं. यहां ग्रासलैंड को विकसित करने का काम भी किया जा रहा है जिससे शाकाहारी जानवरों के साथ साथ शेर तेंदुआ, भालू जैसे जानवरों की संख्या बढ़ सके. इनकी संख्या बढ़ेगी तो पर्यटकों के आने का सिलसिला भी यहां बढ़ेगा.