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उत्तराखंड के एक बेनाम ग्लेशियर का बढ़ रहा आकार, एक महीने में किया 800 मीटर से ज्यादा एक्सपेंड - UTTARAKHAND GLACIER SIZE INCREASED

अपना आकार बढ़ाने वाला बेनाम ग्लेशियर चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में है, इस पर रिसर्च कर रहे वाडिया के वैज्ञानिकों ने बताई वजह

UTTARAKHAND GLACIER SIZE INCREASED
उत्तराखंड में आकार बढ़ा रहा एक बेनाम ग्लेशियर (Photo courtesy: Wadia Institute of Himalayan Geology)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 3, 2025, 10:35 AM IST

Updated : Jan 3, 2025, 4:11 PM IST

देहरादून (रोहित सोनी): उत्तराखंड से ग्लेशियर को लेकर एक रोचक जानकारी सामने आ रही है. देश दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसके चलते ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं. लेकिन तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर्स के बीच कुछ ऐसे भी ग्लेशियर हैं, जिनका दायरा लगातार बढ़ रहा है.

दरअसल, वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के धौली गंगा बेसिन में मौजूद एक बेनाम ग्लेशियर अपने एरिया को एक्सपेंड कर रहा है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद लगभग सभी ग्लेशियर तो पिघल रहे हैं, लेकिन एक ग्लेशियर का आकार मात्र एक महीने में करीब 863 मीटर बढ़ गया था. साथ ही उसका एरिया साल दर साल बढ़ता जा रहा है. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की वास्तविकता और वजह.

वाडिया इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक आकार बढ़ा रहे ग्लेशियर पर रिसर्च कर रहे हैं (VIDEO- ETV Bharat)

उत्तराखंड के एक अनाम ग्लेशियर का एरिया बढ़ रहा: उत्तराखंड के हिमालय में हजारों की संख्या में ग्लेशियर मौजूद हैं. लेकिन देश दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ग्लेशियर लगातार पिघल रहे हैं. जहां एक ओर ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर देहरादून स्थित वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने एक खुशखबरी दी है.

नीले सर्किल में सैटेलाइट से ली गई इमेज बेनाम ग्लेशियर की लोकेशन बता रही है (Photo courtesy: Wadia Institute of Himalayan Geology)

वाडिया के वैज्ञानिकों ने बेनाम ग्लेशियर का अध्ययन किया है जो अपने क्षेत्र को बढ़ा रहा है. चमोली जिले के धौली गंगा बेसिन में दो ग्लेशियर के बीच मौजूद एक बेनाम ग्लेशियर पर वाडिया के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया है. इस ग्लेशियर का आकार करीब 48 वर्ग किलोमीटर है. ये ग्लेशियर नीति घाटी (वैली) में मौजूद रांडोल्फ और रेकाना ग्लेशियर के समीप है. समुद्र तल से इस ग्लेशियर की ऊंचाई करीब 6,550 मीटर है.

1993 से 2022 के बीच ग्लेशियर के आकार में आए बदलाव को चित्र में दिखाया गया है (Photo courtesy: Wadia Institute of Himalayan Geology)

वाडिया इंस्टीट्यूट के अध्ययन में खुलासा: दरअसल, हाल ही में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मेहताकी टीम का एक रिसर्च पेपर 'Manifestations of a glacier surge in central Himalaya using multi‑temporal satellite data' पब्लिश हुआ है. इसमें इस बेनाम ग्लेशियर का एरिया सर्ज की बात कही गई है. इस रिसर्च पेपर के अनुसार, ये अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है कि न सिर्फ ग्लेशियर से संबंधित ज्ञान को बढ़ाया जा सके, बल्कि सर्ज प्रकार के ग्लेशियरों (surge-type glaciers) के स्थानों और उनके व्यवहार के बारे में जाना जा सके, ताकि इन ग्लेशियरों से आने वाली आपदाओं के खतरनाक प्रभावों से बचा जा सके.

2011, 2017 और 2020 के दौरान बेनाम ग्लेशियर में आया बदलाव (Photo courtesy: Wadia Institute of Himalayan Geology)

बढ़ता जा रहा बेनाम ग्लेशियर

  • साल 2001-02 में बेनाम ग्लेशियर ने 7.21 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • साल 2011-12 में बेनाम ग्लेशियर ने 15.59 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • साल 2013-14 में बेनाम ग्लेशियर ने 17.16 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • साल 2014-15 में बेनाम ग्लेशियर ने 15.08 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • साल 2015-16 में बेनाम ग्लेशियर ने 31.54 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • साल 2016-17 में बेनाम ग्लेशियर ने 23.31 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • साल 2017-18 में बेनाम ग्लेशियर ने 38.04 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • साल 2018-19 में बेनाम ग्लेशियर ने 55.94 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • 12 सितंबर 2019 से 14 अक्टूबर 2019 के बीच बेनाम ग्लेशियर ने 863.49 मीटर एरिया सर्ज किया था
  • अक्टूबर 2019 से अक्टूबर 2020 के बीच बेनाम ग्लेशियर ने 163.32 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • अक्टूबर 2020 से अक्टूबर 2021 के बीच बेनाम ग्लेशियर ने 33.53 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था
  • अक्टूबर 2021 से अक्टूबर 2022 के बीच बेनाम ग्लेशियर ने 17.58 मीटर प्रति साल एरिया सर्ज किया था

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ मनीष मेहता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि-

बेनाम ग्लेशियर अपना एरिया सर्ज कर रहा

'विश्व भर में ग्लेशियर पिघल रहे हैं. हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद हजारों ग्लेशियर अलग अलग रेट से पिघल रहे हैं. उत्तराखंड के हिमालय रीजन में ग्लेशियर की स्थिति में कुछ बदलाव देखा जा रहा है. उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित धौली गंगा बेसिन में एक बेनाम ग्लेशियर है, जो पिघल तो रहा है लेकिन उसने अपने दायरे को कुछ समय के लिए काफी अधिक बढ़ा दिया था. साथ ही साल दर साल अपने क्षेत्र को बढ़ा रहा है. यानी साइंस की भाषा में ग्लेशियर अपने क्षेत्र को बढ़ाने के लिए एरिया सर्ज कर रहा है. बिना किसी भारी बर्फबारी के बावजूद ग्लेशियर आगे खिसक रहा है.'
- डॉ मनीष मेहता, ग्लेशियोलॉजिस्ट, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी-

डॉ मनीष मेहताने बताया कि अभी तक इसका डीप अध्ययन नहीं किया जा सका है, क्योंकि जिस क्षेत्र में ग्लेशियर का एरिया बढ़ रहा है, वहां जाना संभव नहीं है. ऐसे में जितनी भी स्टडी हुई है, वो सैटेलाइट बेस्ड डाटा से की गई है. डॉ मनीष मेहता ने बताया कि-

2001 से 2022 के दौरान ग्लेशियर में आया परिवर्तन (Photo courtesy: Wadia Institute of Himalayan Geology)

ये है ग्लेशियर बढ़ने का वैज्ञानिक कारण

'अध्ययन में ग्लेशियर का एरिया बढ़ने के पीछे तमाम कारण सामने आए हैं. जिसमें हाइड्रोलॉजिकल प्रेशर मेल्टिंग यानी टेंपरेचर बढ़ने की वजह से ग्लेशियर बेसिन में पानी ग्लेशियर के बेस में जाता है, जिससे ग्लेशियर पिघलने लगता है और आगे बढ़ जाता है. हाइड्रोलॉजिकल कंडीशन यानी ग्लेशियर मेल्ट होकर ग्लेशियर के बेस में छोटी-छोटी लेक बना देती हैं. इसके प्रेशर की वजह से ग्लेशियर आगे की तरफ खिसक जाता है. जियोलॉजिकल वजह यानी जब जियोलॉजिकल कंडीशन की वजह से ग्लेशियर के नीचे मौजूद रॉक्स पर कुछ तरल पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे ग्लेशियर आगे खिसक जाते हैं.'
- डॉ मनीष मेहता, ग्लेशियोलॉजिस्ट, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी-

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष मेहतानेसाथ ही बताया कि उत्तराखंड के हिमालय में मौजूद ग्लेशियर एडवांस नहीं हो रहे, बल्कि अपने क्षेत्र को बढ़ाने के लिए एरिया सर्ज कर रहे हैं.

ग्लेशियर हेडवॉल से दूरी दर्शाता चित्र (Photo courtesy: Wadia Institute of Himalayan Geology)

ग्लेशियर का आकार बढ़ने की ये हो सकती है वजह

'धौली गंगा बेसिन में पिछले 10 से 20 सालों के भीतर उतनी मात्रा में बर्फबारी नहीं हुई है, जिससे ये कहा जा सके कि वहां मौजूद ग्लेशियर एडवांस हो रहे हैं या फिर ग्लेशियर का वॉल्यूम बढ़ रहा है. ऐसे में धौली गंगा बेसिन में मौजूद बेनाम ग्लेशियर जो अपने दायरे को बढ़ा रहा है, उस ग्लेशियर क्षेत्र में बहुत कम बर्फबारी हो रही है. ऐसे में संभावना है कि थर्मल कंट्रास्ट की वजह से ग्लेशियर का दायरा बढ़ा होगा या फिर ग्लेशियर के बेसिन में कोई हाइड्रोलॉजिकल इवेंट हुई होगी, जिसने ग्लेशियर को एरिया सर्ज के लिए मजबूर किया होगा.'
- डॉ मनीष मेहता, ग्लेशियोलॉजिस्ट, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी-

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Last Updated : Jan 3, 2025, 4:11 PM IST

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