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तस्करों के लिए सॉफ्ट टारगेट बने उत्तराखंड के जंगल, वन्यजीवों की तस्करी में धरपकड़ के बढ़ रहे मामले - WILDLIFE SMUGGLING SOFT TARGET

उत्तराखंड में वनजीव तस्करों के सक्रिय होने की खबर समय-समय पर सामने आती रहती है. हालांकि, शिकारियों का धरपकड़ अभियान भी जोरों पर है.

Uttarakhand Wildlife Smuggler
उत्तराखंड शिकारियों ने लिए बना सॉफ्ट टारगेट (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 7, 2025, 7:12 AM IST

Updated : Jan 7, 2025, 11:06 AM IST

देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड में वन्यजीवों से भरपूर जंगल ना केवल पर्यटकों की पसंद रहे हैं, बल्कि तस्करों को भी यहां की जैव विविधता आकर्षित करती रही है. शायद यही कारण है कि समय-समय पर घुसपैठियों की मौजूदगी से जंगलों की शांति भंग हुई है. उधर ऐसे कई कारण हैं, जिसके चलते तस्करों के लिए उत्तराखंड सॉफ्ट टारगेट बनता दिखा है. हालांकि तस्करों की धरपकड़ के मामले में भी राज्य के आंकड़े काफी बेहतर दिखे हैं.

उत्तराखंड तस्करों ने लिए सॉफ्ट टारगेट: उत्तराखंड में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी कोई नई बात नहीं हैं. काफी समय से राज्य में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी होने की बात सामने आती रही है. हालांकि राज्य पुलिस के अलावा उत्तराखंड वन विभाग भी ऐसे तस्करों की धरपकड़ करता रहा है. लेकिन इसके बावजूद इन मामलों में फिलहाल कोई कमी आती नहीं दिख रही है, उल्टा राज्य में तस्करों के पकड़े जाने के आंकड़े बढ़ते क्रम में दिखे हैं.

उत्तराखंड में वन्यजीव तस्करों की सक्रियता बढ़ी (Video-ETV Bharat)

इतने शिकारियों की हुई गिरफ्तारी: वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau) से मिले आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों के दौरान उत्तराखंड में वन और पुलिस विभाग द्वारा अब तक 31 तस्कर पकड़े गए हैं. पकड़े गए शिकारी का यह नंबर हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड को दूसरे स्थान पर लाता है. हिमालयी राज्यों में पिछले तीन सालों के दौरान सबसे ज्यादा शिकारी की धरपकड़ असम में हुई है. यहां पकड़े गए शिकारियों का आंकड़ा 40 के करीब है. उधर राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो पूरे देश में इतने ही समय में 1037 तस्करों की गिरफ्तारी हुई है.

Uttarakhand Wildlife Smuggler
उत्तराखंड में वन्यजीवों के मामले (Photo-ETV Bharat Graphics)

साल दर साल बढ़ रहा आंकड़ा: राष्ट्रीय स्तर पर वैसे तो अधिकतर राज्य ऐसे हैं, जहां वन्यजीव, वनस्पतियों की तस्करी को लेकर की गई गिरफ्तारियों की संख्या कम हुई है. लेकिन उत्तराखंड में पिछले तीन सालों में साल दर साल आंकड़े बढ़े हैं. उत्तराखंड में साल 2022 में 4 शिकारियों को पकड़ा गया, साल 2023 में शिकारियों की गिरफ्तारी का यह आंकड़ा 10 तक पहुंच गया. जबकि साल 2024 में तस्करी करते 17 शिकारी पकड़े गए.

शिकारियों की धरपकड़ में एमपी पहले पायदान पर: खास बात यह है कि कुछ शिकारियों से तो बाघों की खाल तक बरामद हो चुकी है. जबकि कई शिकारियों में शेड्यूल वन के जीवों के अंग भी मिले हैं. हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर शिकारियों की धरपकड़ के मामले में पहला पायदान मध्य प्रदेश ने पाया है. यहां तीन सालों में 117 शिकारी पकड़े गए हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में शिकारियों की गिरफ्तारियां हुई है.

Uttarakhand Wildlife Smuggler
वन्यजीव तस्करों की हुई गिरफ्तारी (Photo-ETV Bharat Graphics)

पुलिस और राष्ट्रीय एजेंसियां भी सक्रिय: उत्तराखंड शिकारियों के लिहाज से सॉफ्ट टारगेट माना जाता है, ऐसा कुछ खास वजहों के कारण माना गया है. जिसके चलते राज्य में न केवल उत्तराखंड वन विभाग और पुलिस बल्कि राष्ट्रीय एजेंसियां भी सक्रिय रहती हैं. दरअसल, उत्तराखंड के अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे होने के कारण वन्यजीवों के शिकारियों और तस्करी के लिए राज्य संवेदनशील है. इसके अलावा उत्तराखंड में वन्य जीवों की जंगलों के भीतर बड़ी संख्या होना भी शिकारियों को यहां आकर्षित करता है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और उसके आसपास का इलाका बाघों के घनत्व के लिहाज से देश के पहले पायदान पर है. ऐसे में कम क्षेत्र में ही बाघ को लेकर रेकी कर शिकारियों द्वारा उसे ढूंढ पाना आसान रहता है.

तस्कर दिखाई देते हैं एक्टिव: अंतरराष्ट्रीय गिरोह की भी उत्तराखंड में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी को लेकर सक्रियता दिखाई दी है. पूर्व में देश में वन्यजीवों की तस्करी के लिए खूंखार गिरोह के सदस्यों को उत्तराखंड से पकड़ा जाता रहा है. बताते हैं कि ऐसे गिरोह के तार नेपाल और चीन तक भी हैं. माना जाता है कि कई वन्य जीवों के अंगों से दवाइयां और कॉस्मेटिक का सामान बनाया जाता है और इसलिए उत्तराखंड में शिकार कर नेपाल के रास्ते तस्कर वन्य जीवों के अंगों की तस्करी चीन तक करते हैं.

पढ़ें-

देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड में वन्यजीवों से भरपूर जंगल ना केवल पर्यटकों की पसंद रहे हैं, बल्कि तस्करों को भी यहां की जैव विविधता आकर्षित करती रही है. शायद यही कारण है कि समय-समय पर घुसपैठियों की मौजूदगी से जंगलों की शांति भंग हुई है. उधर ऐसे कई कारण हैं, जिसके चलते तस्करों के लिए उत्तराखंड सॉफ्ट टारगेट बनता दिखा है. हालांकि तस्करों की धरपकड़ के मामले में भी राज्य के आंकड़े काफी बेहतर दिखे हैं.

उत्तराखंड तस्करों ने लिए सॉफ्ट टारगेट: उत्तराखंड में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी कोई नई बात नहीं हैं. काफी समय से राज्य में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी होने की बात सामने आती रही है. हालांकि राज्य पुलिस के अलावा उत्तराखंड वन विभाग भी ऐसे तस्करों की धरपकड़ करता रहा है. लेकिन इसके बावजूद इन मामलों में फिलहाल कोई कमी आती नहीं दिख रही है, उल्टा राज्य में तस्करों के पकड़े जाने के आंकड़े बढ़ते क्रम में दिखे हैं.

उत्तराखंड में वन्यजीव तस्करों की सक्रियता बढ़ी (Video-ETV Bharat)

इतने शिकारियों की हुई गिरफ्तारी: वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau) से मिले आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों के दौरान उत्तराखंड में वन और पुलिस विभाग द्वारा अब तक 31 तस्कर पकड़े गए हैं. पकड़े गए शिकारी का यह नंबर हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड को दूसरे स्थान पर लाता है. हिमालयी राज्यों में पिछले तीन सालों के दौरान सबसे ज्यादा शिकारी की धरपकड़ असम में हुई है. यहां पकड़े गए शिकारियों का आंकड़ा 40 के करीब है. उधर राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो पूरे देश में इतने ही समय में 1037 तस्करों की गिरफ्तारी हुई है.

Uttarakhand Wildlife Smuggler
उत्तराखंड में वन्यजीवों के मामले (Photo-ETV Bharat Graphics)

साल दर साल बढ़ रहा आंकड़ा: राष्ट्रीय स्तर पर वैसे तो अधिकतर राज्य ऐसे हैं, जहां वन्यजीव, वनस्पतियों की तस्करी को लेकर की गई गिरफ्तारियों की संख्या कम हुई है. लेकिन उत्तराखंड में पिछले तीन सालों में साल दर साल आंकड़े बढ़े हैं. उत्तराखंड में साल 2022 में 4 शिकारियों को पकड़ा गया, साल 2023 में शिकारियों की गिरफ्तारी का यह आंकड़ा 10 तक पहुंच गया. जबकि साल 2024 में तस्करी करते 17 शिकारी पकड़े गए.

शिकारियों की धरपकड़ में एमपी पहले पायदान पर: खास बात यह है कि कुछ शिकारियों से तो बाघों की खाल तक बरामद हो चुकी है. जबकि कई शिकारियों में शेड्यूल वन के जीवों के अंग भी मिले हैं. हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर शिकारियों की धरपकड़ के मामले में पहला पायदान मध्य प्रदेश ने पाया है. यहां तीन सालों में 117 शिकारी पकड़े गए हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में शिकारियों की गिरफ्तारियां हुई है.

Uttarakhand Wildlife Smuggler
वन्यजीव तस्करों की हुई गिरफ्तारी (Photo-ETV Bharat Graphics)

पुलिस और राष्ट्रीय एजेंसियां भी सक्रिय: उत्तराखंड शिकारियों के लिहाज से सॉफ्ट टारगेट माना जाता है, ऐसा कुछ खास वजहों के कारण माना गया है. जिसके चलते राज्य में न केवल उत्तराखंड वन विभाग और पुलिस बल्कि राष्ट्रीय एजेंसियां भी सक्रिय रहती हैं. दरअसल, उत्तराखंड के अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे होने के कारण वन्यजीवों के शिकारियों और तस्करी के लिए राज्य संवेदनशील है. इसके अलावा उत्तराखंड में वन्य जीवों की जंगलों के भीतर बड़ी संख्या होना भी शिकारियों को यहां आकर्षित करता है. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व और उसके आसपास का इलाका बाघों के घनत्व के लिहाज से देश के पहले पायदान पर है. ऐसे में कम क्षेत्र में ही बाघ को लेकर रेकी कर शिकारियों द्वारा उसे ढूंढ पाना आसान रहता है.

तस्कर दिखाई देते हैं एक्टिव: अंतरराष्ट्रीय गिरोह की भी उत्तराखंड में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी को लेकर सक्रियता दिखाई दी है. पूर्व में देश में वन्यजीवों की तस्करी के लिए खूंखार गिरोह के सदस्यों को उत्तराखंड से पकड़ा जाता रहा है. बताते हैं कि ऐसे गिरोह के तार नेपाल और चीन तक भी हैं. माना जाता है कि कई वन्य जीवों के अंगों से दवाइयां और कॉस्मेटिक का सामान बनाया जाता है और इसलिए उत्तराखंड में शिकार कर नेपाल के रास्ते तस्कर वन्य जीवों के अंगों की तस्करी चीन तक करते हैं.

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Last Updated : Jan 7, 2025, 11:06 AM IST
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