ETV Bharat / bharat

बड़ी खबर: सस्पेंड संतोष बडोनी को क्लीन चिट, बहाली आदेश जारी, पेपर लीक से जुड़ा है मामला - CLEAN CHIT TO SANTOSH BADONI

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व सचिव संतोष बडोनी को क्लीन चिट दी गई है. पेपर लीक मामले में 2 साल से निलंबित थे.

CLEAN CHIT TO SANTOSH BADONI
यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में निलंबित सचिव संतोष बडोनी का निलंबन वापस लिया गया. (FILE PHOTO ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 6, 2025, 6:43 PM IST

Updated : Jan 6, 2025, 7:13 PM IST

देहरादून (नवीन उनियाल): चर्चित पेपर लीक मामले में किसी भी स्तर पर अफसर की संलिप्तता ना मिलने के बाद आखिरकार उत्तराखंड शासन को बैकफुट पर आना पड़ा है. दरअसल उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी को शासन ने करीब 2 साल पहले निलंबित किया था. लेकिन इतने लंबे अंतराल के बावजूद उन पर कोई भी आरोप तय नहीं किया जा सका है. हैरानी की बात यह है कि बिना चार्जशीट के ही उन्हें लंबे समय तक निलंबित रखा गया. जिसके बाद आखिरकार सचिवालय प्रशासन विभाग को निलंबन वापस लेना पड़ा है.

उत्तराखंड में बिना आरोप पत्र के ही 2 साल से निलंबित चल रहे अफसर को आखिरकार बहाल कर दिया गया है. हैरानी की बात यह है कि विभिन्न जांच के दौरान इन्हें पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है. लेकिन बावजूद इनके निलंबन वापस लेने में 2 साल से भी ज्यादा का वक्त लगा दिया गया. सचिवालय प्रशासन विभाग ने इस संदर्भ में बहाली का आदेश जारी करते हुए निलंबन अवधि के सभी वेतन भत्ते उन्हें दिए जाने के निर्देश दिए हैं. उत्तराखंड सचिवालय प्रशासन के उप सचिव हनुमान प्रसाद तिवारी के हवाले से बहाली का आदेश जारी किया गया है. हालांकि, अभी उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है. संतोष बडोनी ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी हैं.

लगा था लापरवाही का आरोप: सचिवालय प्रशासन विभाग ने कार्मिक और सतर्कता विभाग की संस्तुति पर 1 सितंबर 2022 को तत्कालीन उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी को निलंबित करने का आदेश जारी किया था. हालांकि इससे पहले ही उन्हें 13 अगस्त को आयोग से हटाते हुए शासन में अटैच कर दिया गया था. निलंबन के दौरान संतोष बडोनी पर अपने कार्यों में लापरवाही बरतने की बात कही गई.

एसटीएफ जांच में भी संतोष बडोनी रहे क्लीन: बड़ी बात यह है कि संतोष बडोनी के खिलाफ विजिलेंस की जांच भी करवाई गई. लेकिन इस जांच में इस अधिकारी को क्लीन चिट दे दी गई. इतना ही नहीं, आयोग स्तर पर की गई जांच में भी संतोष बडोनी की पेपर लीक मामले में कोई संलिप्तता नहीं पाई गई. उधर पेपर लीक मामलों की जांच करने वाली एसटीएफ ने भी संतोष बडोनी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है. यह सब होने के बावजूद भी इस अफसर को अचानक निलंबित करने के आदेश दे दिए गए.

नियमों के विरुद्ध चली प्रक्रिया: खास बात यह भी है कि किसी भी अधिकारी के निलंबन के बाद उसके खिलाफ 3 महीने के भीतर चार्जशीट फाइल करनी होती है. लेकिन 3 महीने ही नहीं बल्कि जांच अधिकारी 2 साल से भी ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी उनके खिलाफ कोई आरोप पत्र जारी नहीं कर सके. बड़ी बात यह है कि नियम के अनुसार 6 महीने के भीतर आरोप पत्र नहीं दिए जाने की स्थिति में अधिकारी को बहाल कर दिया जाता है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया और लंबे वक्त तक इस अधिकारी को निलंबित रखा गया. हालांकि हर 6 महीने में निलंबन के रिव्यू को लेकर नियम तय है लेकिन यहां भी इसका पूरी तरह से पालन नहीं हो सका.

ये था मामला: उत्तराखंड में साल 2022 के दौरान स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आया था. हालांकि इससे पहले ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भी अपने स्तर पर मामले की पुलिस में शिकायत की थी. लगातार एक के बाद एक पेपर लीक होने से उत्तराखंड में हड़कंप मच गया था और यह राष्ट्रीय राजनीति का भी मुद्दा बन गया था. इस मामले में करीब 35 गिरफ्तारियां की गई थी. देहरादून पुलिस से लेकर एसटीएफ ने भी इस पर जांच को आगे बढ़ाया था. लेकिन आयोग में अधिकारी के रूप में केवल संतोष बडोनी को निलंबित किया गया जिनकी अब बहाली कर दी गई है.

ये भी पढ़ेंः व्यापम घोटाले में ब्लैकलिस्टेड कंपनी से कराई वन दारोगा परीक्षा, रडार पर संतोष बडोनी सहित 5 अधिकारी

ये भी पढ़ेंः UKSSSC Paper Leak: पहली बार सबसे बड़ा एक्शन, सचिव संतोष बडोनी सस्पेंड

देहरादून (नवीन उनियाल): चर्चित पेपर लीक मामले में किसी भी स्तर पर अफसर की संलिप्तता ना मिलने के बाद आखिरकार उत्तराखंड शासन को बैकफुट पर आना पड़ा है. दरअसल उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी को शासन ने करीब 2 साल पहले निलंबित किया था. लेकिन इतने लंबे अंतराल के बावजूद उन पर कोई भी आरोप तय नहीं किया जा सका है. हैरानी की बात यह है कि बिना चार्जशीट के ही उन्हें लंबे समय तक निलंबित रखा गया. जिसके बाद आखिरकार सचिवालय प्रशासन विभाग को निलंबन वापस लेना पड़ा है.

उत्तराखंड में बिना आरोप पत्र के ही 2 साल से निलंबित चल रहे अफसर को आखिरकार बहाल कर दिया गया है. हैरानी की बात यह है कि विभिन्न जांच के दौरान इन्हें पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है. लेकिन बावजूद इनके निलंबन वापस लेने में 2 साल से भी ज्यादा का वक्त लगा दिया गया. सचिवालय प्रशासन विभाग ने इस संदर्भ में बहाली का आदेश जारी करते हुए निलंबन अवधि के सभी वेतन भत्ते उन्हें दिए जाने के निर्देश दिए हैं. उत्तराखंड सचिवालय प्रशासन के उप सचिव हनुमान प्रसाद तिवारी के हवाले से बहाली का आदेश जारी किया गया है. हालांकि, अभी उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है. संतोष बडोनी ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी हैं.

लगा था लापरवाही का आरोप: सचिवालय प्रशासन विभाग ने कार्मिक और सतर्कता विभाग की संस्तुति पर 1 सितंबर 2022 को तत्कालीन उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी को निलंबित करने का आदेश जारी किया था. हालांकि इससे पहले ही उन्हें 13 अगस्त को आयोग से हटाते हुए शासन में अटैच कर दिया गया था. निलंबन के दौरान संतोष बडोनी पर अपने कार्यों में लापरवाही बरतने की बात कही गई.

एसटीएफ जांच में भी संतोष बडोनी रहे क्लीन: बड़ी बात यह है कि संतोष बडोनी के खिलाफ विजिलेंस की जांच भी करवाई गई. लेकिन इस जांच में इस अधिकारी को क्लीन चिट दे दी गई. इतना ही नहीं, आयोग स्तर पर की गई जांच में भी संतोष बडोनी की पेपर लीक मामले में कोई संलिप्तता नहीं पाई गई. उधर पेपर लीक मामलों की जांच करने वाली एसटीएफ ने भी संतोष बडोनी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है. यह सब होने के बावजूद भी इस अफसर को अचानक निलंबित करने के आदेश दे दिए गए.

नियमों के विरुद्ध चली प्रक्रिया: खास बात यह भी है कि किसी भी अधिकारी के निलंबन के बाद उसके खिलाफ 3 महीने के भीतर चार्जशीट फाइल करनी होती है. लेकिन 3 महीने ही नहीं बल्कि जांच अधिकारी 2 साल से भी ज्यादा का वक्त बीतने के बाद भी उनके खिलाफ कोई आरोप पत्र जारी नहीं कर सके. बड़ी बात यह है कि नियम के अनुसार 6 महीने के भीतर आरोप पत्र नहीं दिए जाने की स्थिति में अधिकारी को बहाल कर दिया जाता है. लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया और लंबे वक्त तक इस अधिकारी को निलंबित रखा गया. हालांकि हर 6 महीने में निलंबन के रिव्यू को लेकर नियम तय है लेकिन यहां भी इसका पूरी तरह से पालन नहीं हो सका.

ये था मामला: उत्तराखंड में साल 2022 के दौरान स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक का मामला सामने आया था. हालांकि इससे पहले ही उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने भी अपने स्तर पर मामले की पुलिस में शिकायत की थी. लगातार एक के बाद एक पेपर लीक होने से उत्तराखंड में हड़कंप मच गया था और यह राष्ट्रीय राजनीति का भी मुद्दा बन गया था. इस मामले में करीब 35 गिरफ्तारियां की गई थी. देहरादून पुलिस से लेकर एसटीएफ ने भी इस पर जांच को आगे बढ़ाया था. लेकिन आयोग में अधिकारी के रूप में केवल संतोष बडोनी को निलंबित किया गया जिनकी अब बहाली कर दी गई है.

ये भी पढ़ेंः व्यापम घोटाले में ब्लैकलिस्टेड कंपनी से कराई वन दारोगा परीक्षा, रडार पर संतोष बडोनी सहित 5 अधिकारी

ये भी पढ़ेंः UKSSSC Paper Leak: पहली बार सबसे बड़ा एक्शन, सचिव संतोष बडोनी सस्पेंड

Last Updated : Jan 6, 2025, 7:13 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.