रांचीः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने झारखंड में विधि व्यवस्था को लेकर चिंता जताते हुए एक नया जंगल राज होने की बात कही है. एक दिवसीय झारखंड दौरे पर आई निर्मला सीतारमण रांची में आयोजित बेहतर झारखंड एक सार्थक संवाद कार्यक्रम के दौरान संबोधित करते हुए ये बातें कहीं.
राजधानी के रेडिशन ब्लू होटल में झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने जहां केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा 10 वर्षों की उपलब्धियां गिनाई, वहीं वर्तमान राज्य सरकार के कामकाज की जमकर आलोचना की. झारखंड की विधि व्यवस्था पर चिंता जताते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि एक जंगलराज संयुक्त बिहार के समय था, जिससे अलग होकर झारखंड बना. वहीं दूसरे जंगलराज की शुरुआत 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद में राज्य में नई सरकार बनने के बाद से हुई.
उन्होंने इज ऑफ डुइंग में झारखंड के परफॉर्मेंस का जिक्र करते हुए कहा कि 2019 से पहले भाजपा सरकार के पांच वर्ष के दौरान झारखंड ने बेहतरीन काम इस क्षेत्र में किया. जिसके कारण टॉप पांच में झारखंड ने स्थान बनाने में सफलता पाई थी, मगर नई सरकार बनने के बाद सभी आंकड़े धराशायी हो गए. राज्य में खराब विधि व्यवस्था की वजह से लूट, हत्या और बलात्कार जैसी घटना आम हो गई है. जिस राज्य की विधि व्यवस्था खराब होती है, वहां औद्योगिक माहौल पर सीधा असर पड़ता है. जाहिर तौर पर निवेशक नहीं आएंगे और रोजगार के अवसर नहीं पैदा होंगे. उन्होंने कहा कि हाथ जोड़कर कहती हूं कि देश के हित में वोट करिए हमें जंगल राज नहीं चाहिए.
झारखंड के साथ मोदी सरकार के सौतेला व्यवहार के आरोप को किया खारिज
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार पर झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार का लग रहे आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि पिछले 10 वर्षों में इस राज्य में रेलवे सहित विभिन्न मदों में चल रहे प्रोजेक्ट के लिए बड़े पैमाने पर राशि स्वीकृत की गई है. उन्होंने कहा कि रेलवे के लिए 7234 करोड़ रुपए झारखंड के लिए स्वीकृत किए गए हैं. देशभर में 112 आकांक्षी जिला में बिहार, झारखंड और ओडिशा में 42 आकांक्षी जिला है, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष निर्देश पर विकास कार्य हो रहा है. जिससे उन जिलों का आर्थिक विकास हो सके और पिछड़ापन दूर हो. झारखंड में पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है, राज्य के साहिबगंज सहित तीन जिलों में बड़े पैमाने पर रोजगार के लिए पलायन होता है.