रांची: झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि 28 नवंबर को होनेवाले शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हों इस उम्मीद के साथ उन्हें निमंत्रण पत्र भेजा जाएगा.
एक सवाल के जवाब में सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो, इसके लिए उन्हें खुद 28 नवंबर को रांची आ जाना चाहिए. झारखंड में इंडिया ब्लॉक की जीत के बाद हिमंता बिस्वा सरमा भाजपा की हार पचा नहीं पा रहे हैं.
झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस संथाल परगना में भाजपा ने नफरत के बीज बोए थे, वहां उनका सूपड़ा साफ हो गया है और रुदाली करने के लिए सिर्फ एक सीट संथाल में उन्हें मिली है. उन्होंने कहा कि राजमहल सीट से अपने सरकार के समय भी घुसपैठ का मामला उठाने वाला भाजपा विधायक अनंत ओझा की जिद पर भाजपा ने घुसपैठ का मुद्दा उठाया.
विधानसभा में SC-ST की सीटें घटाना चाहती है भाजपा
झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता ने कहा कि अगले वर्ष से देश में जनगणना का काम शुरू होगा. इसके बाद राज्य में परिसीमन भी होगा. 2012 में डिलिमिटेशन कमेटी की रिपोर्ट में कोशिश हुई थी कि आरक्षित सीटें घटाई जाएं. भाजपा राज्य में आदिवासी, दलित, आरक्षित सीट पर प्रहार करने की कोशिश करेगी. रजिस्ट्रार जनरल को यह तय करना होगा कि झारखंड में सेंसस के बाद आरक्षित सीट न घटे क्योंकि यह सही नहीं होगा.
मूलवासी और आदिवासी में दरार पैदा करना चाहती है भाजपा
सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा प्रचंड विजय के बाद 28 तारीख को हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नई सरकार का गठन किया जाएगा और ठीक उसके बाद से ही झारखंड के करोड़ लोगों की जो आकांक्षा हैं उनकी पूर्ति के लिए सरकार लग जाएगी. लेकिन विपक्ष हमारे जनादेश को पचा नहीं पा रही है. चुनाव में मुद्दों की बात होती है घृणा की नहीं, लेकिन आज भी उनके मुंह से घृणा की ही भाषा निकल रही है. यह अत्यंत चिंताजनक है.
सुदेश खुद बेरोजगार हो गए हैं- सुप्रियो
झामुमो के केंद्रीय महासचिव ने कहा कि आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो रोजगार देने निकले थे, खुद बेरोजगार हो गए हैं. अब जरूरत है कि विपक्ष एक सकारात्मक भूमिका निभाए. बता दें कि सुदेश महतो कि पार्टी आजसू राज्य में 10 सीटों पर चुनाव लड़े, जिसमें से सिर्फ एक सीट मांडू जीतने में कामयब रहे. सुदेश महतो खुद सिल्ली से अपनी सीट भी नहीं बचा पाए.
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यह राजनीति का अंत नहीं, बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासियों के हक की आवाज उठाता रहूंगाः चंपाई सोरेन