शिमला: ऊंचे-ऊंचे पहाड़, नदियां और साफ हवा, पहली नजर में हिमाचल प्रदेश की पहचान इतनी ही नजर आती है. लेकिन 53 बरस के हो चुके इस राज्य की कई ऐसी पहचान है, जो इसे देशभर में बहुत खास बनाती हैं. शिक्षा का स्तर हो या प्रति व्यक्ति आय, हिमाचल की गिनती अग्रणी राज्यों में होती हैं. कुदरती की दी गई खूबसूरती से इतर इस राज्य के बारे में ज्यादातर लोग कुछ खास नहीं जानते हैं. हिमाचल की पहचान बहुत व्यापक हो चली है और आज इसके कई ब्रांड एंबेसडर हैं, जो इस राज्य को नया आयाम दे रहे हैं. इनमें से कुछ के बारे में आप भी जानते होंगे लेकिन कुछ ऐसी बातें है जो बहुत कम लोग जानते हैं.
Apple Bowl of India- हिमाचल प्रदेश को देश की फलों की टोकरी कहा जाए तो गलत नहीं है. खासकर सेब उत्पादन में जम्मू-कश्मीर के बाद हिमाचल का नाम आता है. इसलिये इसे Apple Bowl of India भी कहते हैं. हिमाचल से औसतन हर साल करीब 3 करोड़ सेब की पेटियां बाजार में पहुंचती है. यानी अगर आप कोई सेब खा रहे हैं तो हो सकता है कि वो शिमला या कुल्लू के किसी बगीचे का हो. इसके अलावा संतरा, नाशपती, प्लम, आड़ू, अमरूद और स्टोन फ्रूट की पैदावार भी होती है.
एक प्याली कांगड़ा चाय- जब भी चाय की बात होती है तो असम या दार्जिलिंग का जिक्र आता है. लेकिन हिमाचल के कांगड़ा जिले की चाय भी काफी मशहूर है. पालमपुर में मौजूद चाय के बागान हैं, जिसकी खुशबू और स्वाद अन्य चाय से बेहतर बताते हैं. इस चाय को यूरोपियन यूनियन का जीआई टैग भी मिल गया है.
सबसे ऊंचा पोस्ट ऑफिस और पोलिंग बूथ- लाहौल स्पीति जिले में करीब 15,256 फीट (4650 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित टशीगंग गांव दुनिया का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र हैं. साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां 52 मतदाता थे. इसी तरह लाहौल स्पीति के हिक्किम गांव में दुनिया का सबसे ऊंचा पोस्ट ऑफिस और जिम मौजूद है. 14,567 फीट की ऊंचाई पर बसा ये गांव पहले दुनिया का सबसे ऊंचा पोलिंग बूथ भी था. अगली बार जब इस सबसे ऊंचे पोस्ट ऑफिस पर जाएं तो वहां से अपने दोस्तों को पोस्टकार्ड भेजना ना भेजें, जो यादगार बन जाएगा.
देश का पहला वोटर- भारत के पहले वोटर भी हिमाचल से ही थे. किन्नौर जिले के मास्टर श्याम सरन सिंह नेगी ने देश के पहले लोकसभा चुनाव में सबसे पहले वोट डाला था. देश में पहला चुनाव 1952 की शुरुआत में हुए लेकिन बर्फबारी के अलर्ट को देखते हुए हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों में वोटिंग अक्टूबर 1951 में करवाई गई थी. तब श्याम सरन नेगी ने सबसे पहले वोट डाला था, हालांकि इसका खुलासा करीब 56 साल बाद 2007 में हुआ. श्याम सरन नेगी का निधन 5 नवंबर 2022 को 105 साल की उम्र में हुआ था लेकिन उससे 3 दिन पहले उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए घर से वोट डाल दिया था.
राष्ट्रपति निवास- ज्यादातर लोग दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के बारे में तो पता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके इसके अलावा देश में दो और राज्यों में भी राष्ट्रपति निवास हैं. तेलंगाना के हैदराबाद में स्थित 'राष्ट्रपति निलायम' और हिमाचल के शिमला में स्थित 'रिट्रीट' देश के राष्ट्रपति निवास हैं. राष्ट्रपति इन दोनों जगह पर कुछ दिन के प्रवास के लिए आते रहते हैं. हिमाचल स्थित रिट्रीट अब आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया है.
भाखड़ा बांध- आज देशभर में बड़े-बड़े बांध बन चुके हैं लेकिन 1963 में भाखड़ा बांध देश में बना सबसे बड़ा बांध था. बिलासपुर में गोबिंद सागर झील पर बना ये बांध उस वक्त दुनिया के सबसे ऊंचे बांधों में शुमार था. 6 से 7 दशक पहले भारत जैसे देश के लिए ये किसी उपलब्धि से कम नहीं था. पानी को स्टोर करने के मामले आज भी ये देश का तीसरा सबसे बड़ा बांध है. जबकि ऊंचाई के मामले में टिहरी डैम के बाद भाखड़ा बांध का ही नंबर आता है.
अटल टनल- कुल्लू और लाहौल जिले को जोड़ती अटल टनल भी अपने आप में अजूबा ही है. 9.02 किलोमीटर लंबी और 10,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर बनी ये दुनिया की सबसे ऊंची सिंगल ट्यूब हाइवे टनल है. इस टनल का निर्माण BRO ने किया है और इसकी मदद से लाहौल स्पीति तक पहुंच आसान हो पाई है. इससे पर्यटकों को लाहौल के खूबसूरत इलाकों में आसानी हुई है. 2020 में शुरू हुई इस टनल की वजह से भारतीय सेना को भी लेह और फिर बॉर्डर तक पहुंचने में कम वक्त लगता है. हर साल लाखों पर्यटक इस टनल का इस्तेमाल करके मनाली और लाहौल के बीच का सफर तय करते हैं. इस टनल की बदौलत पर्यटकों को नया एक्सपीरियंस और सरकार को राजस्व मिल रहा है.
देव परंपरा और मंदिर- हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहते हैं. यहां की देव परंपराएं और संस्कृति इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं. मान्यता है कि पहाड़ों पर देवता वास करते हैं और देवताओं का आदेश मानने से लेकर मेले लगने या पर्व मनाने का सिलसिला यहां सालों से चला आ रहा है. नैनादेवी, ज्वाला जी जैसे शक्तिपीठों के साथ-साथ बैजनाथ, भूतनाथ जैसे शिव मंदिरों के अलावा किन्नर कैलाश यात्रा, मणिमहेश यात्रा जैसी कई धार्मिक यात्राएं भी होती हैं.
कुल्लू दशहरा- देव परंपराओं का सबसे सटीक उदाहरण कुल्लू दशहरा है. दुनिया भर में मशहूर कुल्लू दशहरा करीब एक हफ्ते तक चलता है और ये तब शुरू होता है जब देशभर में दशहरा खत्म हो जाता है. इसमें कुल्लू जिले के सभी देवी देवता शामिल होते हैं. यहां देवता हरियानों के कंधों पर सवार होकर पहुंचते हैं और मेले के समापन तक देवता के ठहरने का इंतजाम प्रशासन की ओर से किया जाता है. इस दशहरे में हिमाचल की देव परंपरा और संस्कृति की अनूठी झलक देखने को मिलती है.
4 परमवीर चक्र विजेता- महज 70 लाख की आबादी वाला छोटा सा पहाड़ी राज्य सिर्फ अपनी देव परंपरा और प्राकृतिक नजारों के लिए ही नहीं जाना जाता. हिमाचल की पहचान वीरता भी है और यही वजह है कि देश की सेना में शामिल होने वाले युवाओं में सबसे ज्यादा हिमाचल से होते हैं. हिमाचल के 4 रणबांकुरों शहीद मेजर सोमनाथ शर्मा, शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट कर्नल धन सिंह थापा और सूबेदार मेजर संजय कुमार को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र के नाम से नवाजा जा चुका है. अब तक सिर्फ 21 जाबाजों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है. मेजर सोमनाथ शर्मा देश के पहले और कैप्टन विक्रम बत्रा आखिरी परमवीर थे.