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भारत के लिए दो ओलंपिक गोल्ड मेडल लाने वाले इस मशहूर खिलाड़ी की कोठी होने जा रही नीलाम

भारत के लिए दो ओलंपिक गोल्ड मेडल लाने वाले मशहूर खिलाड़ी की कोठी नीलाम होने जा रही है. आखिर इसकी वजह क्या है चलिए जानते हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 3, 2024, 11:02 AM IST

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बाराबंकीः दुनिया भर में अपनी हाकी स्टिक के जादू से बाराबंकी ही नही पूरे देश का नाम रोशन करने वाले मशहूर खिलाड़ी रहे कुंवर दिग्विजयसिंह यानी बाबू केडी सिंह की कोठी आने वाली 11 मार्च को नीलाम होने जा रही है. इस खबर से लोगों में खासी निराशा है.

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कोठी का दर्द
"मैं केडी सिंह बाबू की कोठी के नाम से मशहूर हूं. मेरे ही आगोश में उछलते कूदते बाबू जी का बचपन बीता.यहीं रहकर उन्होंने पहली बार हाकी स्टिक संभाली और हमारे ही परिसर में खेल कूद कर बाबूजी बड़े हुए.मुझे साल 52 का वह वक्त खूब याद है जब बाबूजी के नेतृत्व में भारत ने हेलसिंकी ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था.बाबू जी जब हेलसिंकी से लौटे तब बाराबंकी रेलवे स्टेशन से हमारे परिसर तक लोगो ने उनका जबरदस्त स्वागत किया था.पूरे शहर में जबरदस्त उत्साह था.उस वक्त हमें उनकी कोठी होने में गर्व महसूस हो रहा था.लेकिन जल्द ही मुझे नीलाम कर दिया जाएगा."

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ये है पूरा मामला
दरअसल, 35 हजार 241 वर्ग फिट रकबे वाली इस कोठी का विवाद ठाकुर रघुनाथ सिंह के बेटों कुंवर राजेन्द्र सिंह, कुंवर भूपेंद्र सिंह, कुंवर सुखदेव सिंह, कुंवर नरेश सिंह, कुंवर दिग्विजयसिंह (बाबू केडी सिंह) और कुंवर सुरेश सिंह के बीच चल रहा था. कोठी के वारिसों के बीच बंटवारे को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था. साल 2009 को कोर्ट ने आदेश डिक्री पारित किया जिसमें तय हुआ था कि सभी पक्षकार इस कोठी को बेचकर आपस में पैसों का बराबर बंटवारा कर लेंगे. इस डिक्री के अनुपालन के लिए कोर्ट में केस चल रहा था. बीती 16 फरवरी 2024 को अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन खान जीशान मसूद के आदेश पर कोठी को सील कर दिया गया था. साथ ही कोर्ट ने इस कोठी को 11 मार्च को नीलाम कराने का आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश पर सार्वजनिक नीलामी की नोटिस चस्पा की गई है. इसके मुताबिक नीलामी सिविल जज सीनियर डिविजन के न्यायालय पर 11 मार्च को ढाई बजे से होनी है. इस सम्पत्ति की बेस बिक्री रकम 05 करोड़ रुपये रखी गई है यानी बोली 05 करोड़ रुपये से शुरू होगी. कोठी के खरीदने के इच्छुक 08 लोग रिसीवर की देखरेख में कोठी का सामान्य निरीक्षण कर चुके हैं. नीलामी किये जाने का आदेश होने के बाद से जिले के तमाम प्रबुद्ध वर्ग इस कोठी को स्मारक और संग्रहालय बनाये जाने की मांग कर रहे हैं.

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अब तक तमाम लोग दे चुके ज्ञापनपूर्व कार्यवाहक सीएम रहे भाजपा नेता डॉ अम्मार रिज़वी ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर यह मांग की है कि उत्तरप्रदेश सरकार इस कोठी को क्रय कर ले और इसे संग्रहालय बनाया जाय.इसके अलावा भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामनाथ मौर्य,यूपी के पूर्व हाकी कप्तान रहे सलाहुद्दीन,राष्ट्रभाषा परिषद के अध्यक्ष अजय सिंह ने डीएम सत्येंद्र कुमार से मुलाकात कर सीएम योगी को सम्बोधित मांगपत्र भी सौंपा है. इस मांग पत्र पर राज्यमंत्री सतीश चंद्र शर्मा,सांसद उपेंद्र सिंह रावत,भाजपा जिलाध्यक्ष अरविंद मौर्य,भाजपा विधायक दिनेश रावत और जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत समेत जिला बार के वर्तमान और कई पूर्व अध्यक्ष के हस्ताक्षर भी मौजूद हैं.
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बाबू केडी सिंह पर एक नजर02 फरवरी, 1922 को बाराबंकी में जन्मे कुंवर दिग्विजय सिंह 14 साल की उम्र में ही हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी बन गए थे. बाराबंकी के देवां में उन्होंने पहला टूर्नामेंट खेला और यही से उनके हुनर को पर लग गए. 16 वर्ष तक उन्होंने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया और फिर उसके बाद भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान बना दिए गए. इसके बाद 1948 में हुए ओलंपिक में वो उपकप्तान रहे तो वर्ष 1952 में हुए हेलसिंकी ओलंपिक में उन्हें कप्तान बनाया गया. इन दोनों ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में उन्होंने अहम रोल अदा किया था
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हेम्स ट्राफी पाने वाले एशिया के पहले खिलाड़ीकुंवर दिग्विजयसिंह यानी बाबू केडी सिंह एशिया के ऐसे पहले भारतीय खिलाड़ी थे, जिन्हें अमेरिका में हेम्स ट्राफी से नवाजा गया था. ये ट्राफी अमेरिका की लॉस एंजिल्स की हेम्सफर्ड फाउंडेशन प्रदान करती है. इसे खेलों का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है.1939 से 1945 तक दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था लिहाजा केडी सिंह को इंटरनेशनल हाकी खेलने का ज्यादा मौका नही मिला लेकिन विश्व युद्ध के बाद बाबू केडी सिंह भारतीय हाकी टीम के सदस्य के रूप में पहले श्रीलंका गए और फिर पूर्वी अफ्रीका.जहां पर हाकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यान चंद के नेतृत्व में टीम ने कुल 200 गोल किए जिसमें सर्वाधिक 70 गोल केडी सिंह के ही थे. उनके इस परफॉर्मेंस के चलते उन्हें 1948 के लंदन ओलिंपिक में भारत की टीम का उप कप्तान बनाया गया था. बेहतरीन क्रिकेट भी खेलते थे बाबू केडी सिंहबचपन से ही अपनी हॉकी स्टिक से जादू बिखेरने वाले मशहूर हॉकी खिलाड़ी कुंवर दिग्विजय सिंह के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता होगा कि वे न केवल हॉकी, बल्कि फुटबॉल, बैडमिंटन के साथ ही क्रिकेट के भी बेहतरीन खिलाड़ी थे. फुटबॉल में जहां उन्होंने नेशनल चैंपियनशिप खेली तो शीशमहल क्रिकेट क्लब की ओर से राष्ट्रीय क्रिकेट चैंपियनशिप में चार शतक भी लगाए थे. खेल के प्रति थी दीवानगीकेडी सिंह में खेल की दीवानगी कूट-कूट कर भरी थी. इसके लिए वो हर कुर्बानी देने को तैयार थे. हाकी खिलाड़ी सलाहुद्दीन बताते हैं कि जिस दिन उनकी मां का देहावसान हुआ था, उस दिन भी वे अपने हॉकी प्रेम से जकड़े नजर आए. दोपहर में दाह संस्कार के बाद वो 2 बजे फिर ग्राउंड में खेलने के लिए पहुंच गए थे, जिसे देख सभी अचंभित रह गए थे. राजनीति से किया किनाराकेडी सिंह में कभी पावर पाने की ख्वाहिश नहीं रही. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें कई बार बुलावा भेजा कि वे राजनीति में आ जाए, उन्हें राज्यसभा सदस्य बना दिया जाएगा लेकिन उन्होंने हमेशा राजनीति से किनारा किया. यही नहीं वे खेलों में भी किसी प्रकार की राजनीति का दखल नहीं चाहते थे. ये भी पढ़ेंः 51 में से 47 सीटों पर भाजपा ने रिपीट किए उम्मीदवार, अगली 23 सीटों में होगा बड़ा बदलाव

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