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टेरर फंडिंग के आरोपी राशिद इंजीनियर को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए दो घंटे की कस्टडी पेरोल मिली - Rashid Engineer Terror funding Case

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 2, 2024, 4:58 PM IST

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को चुनाव हराकर सांसद बने टेरर फंडिंग के आरोपी राशिद इंजीनियर को दिल्ली की अदालत से राहत मिली है. कोर्ट ने लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए 5 जुलाई को दो घंटे की कस्टडी पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है.

टेरर फंडिंग के आरोपी राशिद इंजीनियर
टेरर फंडिंग के आरोपी राशिद इंजीनियर (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग के आरोपी और हालिया लोकसभा चुनाव में निर्वाचित सांसद राशिद इंजीनियर को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए 5 जुलाई को दो घंटे की कस्टडी पेरोल पर रिहा करने का आदेश दिया है. मंगलवार को एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने ये आदेश दिया. इससे पहले NIA ने 1 जुलाई को राशिद इंजीनियर को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए सहमति दे दी थी.

NIA ने कहा था कि राशिद इंजीनियर को 5 जुलाई को संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है. इंजीनियर को शपथ लेने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दी जाए. एक दिन की अंतरिम जमानत के दौरान ही वह शपथ ले लें. उस दौरान वे मीडिया से बात नहीं करें. कोर्ट ने इंजीनियर की याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 जून को एनआईए को नोटिस जारी किया था.

उमर अब्दुल्ला को चुनाव में हराया हैः राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. वह फिलहाल दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है. उनको 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. बता दें, पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

हवाला के जरिए पैसा आतंकियों तक पहुंचाने का आरोपःNIA के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था.

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