रांची:झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ है. सूत्रों के अनुसार ईडी को अपनी जांच में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पुख्ता सबूत हाथ लगे हैं. ग्रामीण विकास विभाग में हुए टेंडर घोटाले को लेकर अब तक ईडी ने 32 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, विभाग के मंत्री रहे आलमगीर आलम सहित आधा दर्जन लोग गिरफ्तार किए गए हैं.
पूछताछ में दो दर्जन से ज्यादा पूर्व और वर्तमान अभियंताओं ने खुद एजेंसी के सामने रिश्वत लेने की बात भी स्वीकार की है. रिश्वत लेने के बयान को ईडी अपनी चार्जशीट में भी शामिल करने वाली है. दरअसल ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग में वर्तमान में कार्यरत इंजीनियरों के अलावा रिटायर हो चुके दूसरे विभागों में अब पोस्टेड दो दर्जन से अधिक इंजीनियरों से पूछताछ की है, सभी ने विभागीय स्तर पर प्रत्येक टेंडर में कमीशनखोरी की बात स्वीकार की है.
एल वन को नजरअंदाज कर चेहतों को दिया गया काम
ईडी सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग में काम आवंटन पर विभागीय मंत्री, सचिव, चीफ इंजीनियर के स्तर पर कमीशनखोरी होती थी, जबकि काम होने पर बिल पेमेंट के अलग-अलग स्तर पर भी इंजीनियरों का पैसा बंधा होता था. ग्रामीण सड़कों के टेंडर में कमीशन लेने के लिए इंजीनियर एल वन ठेकेदारों को भी नजरअंदाज कर देते थे. ज्यादा से ज्यादा कमीशन की उगाही हो इसके लिए एल वन ठेकेदारों को अयोग्य करार दिया जाता था. ऐसा कर इंजीनियरों ने अधिकतर योजनाओं में सरकार को नुकसान पहुंचाया. जिस योजना का काम कम राशि में होता था, उसे अधिक राशि में पूरा करवाया जाता था. ऐसा करके इंजीनियर खुद अपनी जेब भरते थे.
जिन ठेकेदारों को पैरवी या ज्यादा कमीशन देकर काम लेना होता था, वे टेंडर के समय एस्टीमेट के बराबर या उसे मामूली कम रेट भरते थे, क्योंकि वह जानते थे कि उन्हें ही काम मिलेगा. दूसरा ठेकेदार कितना भी रेट कम क्यों ना डालें उसे पहले ही टेक्निकल बीट में छांट दिया जाता था, जिसे काम देना है और जो उसकी सहयोगी बेड वाला है उन्हें दो को पास किया जाता था.
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