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PMLA के प्रावधानों के तहत ईडी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती: सुप्रीम कोर्ट - Supreme Court

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि PMLA की धारा 44 के तहत की गई शिकायत पर अदालत के संज्ञान लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकता.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 16, 2024, 11:51 AM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 44 के तहत की गई शिकायत पर अदालत के संज्ञान लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ईडी को हिरासत की आवश्यकता है तो जांच एजेंसी संबंधित अदालत के समक्ष आवेदन दे सकती है. उसके बाद कोर्ट हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता के कारणों से संतुष्ट होने के बाद केवल एक बार आरोपी की हिरासत दे सकती है.

आरोपी को समन दे सकती है अदालत
जस्टिस अभय एस ओका की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि आरोपी को अदालत द्वारा समन किया जा सकता है, लेकिन उसे अपनी रिहाई के लिए जमानत की शर्तों को पूरा करना होगा. पीठ ने कहा, 'अगर शिकायत दर्ज होने तक ईडी ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया तो अदालत धारा 44 के तहत शिकायत का संज्ञान लेते हुए आरोपियों को समन जारी करना चाहिए, न कि वारंट.'

पीठ ने कहा कि ऐसे मामले में जहां आरोपी जमानत पर है तो उसे समन जारी किया जा सकता है. अगर आरोपी समन के अनुपालन में कोर्ट के समक्ष पेश होता है, तो उसे हिरासत में नहीं माना जाएगा. इसलिए उनके लिए जमानत के लिए आवेदन करना जरूरी नहीं है. हालांकि, विशेष अदालत आरोपी को बांड भरने का निर्देश दे सकती है.

हिरासत मांगने के लिए अदालत को करना होगा आवेदन
उन्होंने कहा कि अगर ईडी उसी अपराध की आगे की जांच करने के लिए समन की तामील के बाद पेश होने वाले आरोपी की हिरासत चाहती है, तो ईडी को विशेष अदालत में आवेदन करके आरोपी की हिरासत मांगनी होगी. आरोपी को सुनने के बाद विशेष अदालत को संक्षिप्त कारण दर्ज करने के बाद आवेदन पर एक आदेश पारित करना होगा.

न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि आवेदन पर सुनवाई करते समय, अदालत हिरासत की अनुमति केवल तभी दे सकती है जब वह संतुष्ट हो कि हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है, भले ही आरोपी को धारा 19 के तहत कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला उस मुद्दे पर आया है, जिसमें कहा गया था कि क्या किसी आरोपी द्वारा सीआरपीसी की धारा 88 के तहत अदालत के समक्ष अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए बांड का निष्पादन किया जाना चाहिए.

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