श्रीनगर: मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, कश्मीर (आईएमएचएएनएस-के), जीएमसी श्रीनगर द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि कश्मीर में बच्चों में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) का प्रचलन 7-10 प्रतिशत है, जो मादक द्रव्यों के सेवन से जुड़े जोखिमों पर प्रकाश डालता है.
एडीएचडी, एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो अति सक्रियता और असावधानी से चिह्नित होता है, जो आमतौर पर 12 वर्ष की आयु से पहले उभरता है. पुरुषों में इसके उच्च प्रचलन के बावजूद, एडीएचडी वयस्कता में भी बना रह सकता है, जिससे मादक द्रव्यों के सेवन और व्यावसायिक चुनौतियों का जोखिम बढ़ जाता है.
मार्च 2021 से फरवरी 2022 तक IMHANS-K के चाइल्ड गाइडेंस एंड वेलबीइंग सेंटर में 12 महीनों तक किए गए इस अध्ययन में ADHD से पीड़ित 6-16 वर्ष की आयु के 208 बच्चों के सामाजिक-जनसांख्यिकीय और नैदानिकप्रोफाइल की जांच की गई.
निष्कर्षों से पता चला कि पुरुषों की संख्या 69.2 प्रतिशत है, जो स्थापित मॉडलों के अनुरूप है. ADHD का प्रचलन उम्र के साथ कम होता जाता है, जो लक्षणों में कमी के रुझान के साथ संरेखित होता है. सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण से पता चला है कि निम्न मध्यम और उच्च निम्न वर्ग में ADHD का प्रचलन अधिक है, जो संभावित भविष्यवक्ता के रूप में वित्तीय कठिनाइयों का सुझाव देता है.
ADHD का संयुक्त उपप्रकार 71.2 प्रतिशत के साथ सबसे अधिक प्रचलित था. जीएमसी श्रीनगर के जर्नल ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ (जेआईएमपीएच) में प्रकाशित अध्ययन में बच्चों और किशोरों में एडीएचडी की विविध प्रस्तुतियों को संबोधित करने के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. ये प्रयास प्रभावित व्यक्तियों के लिए प्रबंधन और परिणामों को अनुकूलित कर सकते हैं.