नई दिल्ली: एक संसदीय समिति ने देश में आतंकवाद और इससे जुड़ी घटनाओं के संबंध में केंद्र सरकार से इंटरपोल के साथ अपने समन्वय को मजबूत करने को कहा है. इसमें इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारत में इस्लामिक और खालिस्तानी आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है. संसदीय समिति ने इन अपराधों से संबंधित डेटाबेस का उपयोग करने के लिए कहा है. साथ ही आतंकवादी हमलों का तेजी से और निर्णायक रूप से जवाब देने को कहा है.
विदेश मंत्रालय की संसदीय समिति ने अपनी 28वीं रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, मंगोलिया, बेलारूस के साथ पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) और सुरक्षा सहयोग समझौतों पर चल रही बातचीत और हस्ताक्षर की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए. समिति ने कहा, 'शेष देशों के साथ ऐसी संधियों और समझौतों पर हस्ताक्षर करने की संभावनाओं का भी पता लगाया जाना चाहिए और इन संधियों और समझौतों के प्रभावी संचालन के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.'
आपराधिक मामलों में एमएलएटी (MLAT) 41 देशों में लागू है. भारत ने अन्य देशों के साथ सुरक्षा सहयोग पर 28 समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए हैं. गौरतलब है कि जर्मनी और मोजाम्बिक के साथ आपराधिक मामलों में एमएलएटी पर हस्ताक्षर अंतिम चरण में हैं, जबकि संधि के पाठ को अंतिम रूप देने के लिए केन्या, फिलीपींस और नेपाल के साथ बातचीत को लेकर बैठकें चल रही हैं.
भाजपा सांसद पीपी की अध्यक्षता वाली समिति चौधरी ने कहा,'समिति ने रेखांकित किया कि आपराधिक मामलों में एमएलएटी अपराधों की रोकथाम, जांच, अभियोजन और दमन में अनुबंध करने वाले देशों की प्रभावशीलता में सुधार करेगा और प्रतिभागियों की खुफिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच निरंतर सहयोग को सक्षम करेगा.
साथ ही सुरक्षा सहयोग समझौते अंतरराष्ट्रीय अपराधों और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, भारतीय मुद्रा नोटों की जालसाजी, मानव तस्करी आदि से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करते हैं.' गौरतलब है कि आतंकवाद से मुकाबले पर अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए भारत ने 27 देशों के साथ काउंटर टेररिज्म (JWG-CT) पर संयुक्त कार्य समूह की स्थापना की है.