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वर्ल्ड एलीफेंट डे: बेतला की राखी और जूही की अनोखी कहानी, एक रोटी-दूध पर पली, दूसरी कहलाती हैं हाथियों की कुलमाता - World Elephant Day

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 12, 2024, 2:14 PM IST

Rakhi and Juhi of Betla National Forest. वर्ल्ड एलीफेंट डे पर बेतला नेशनल फॉरेस्ट में रहने वाली दो हथिनी की कहानी जानिए. एक का नाम है राखी और एक का नाम जूही. एक को हाथियों की कुलमाता कहा जाता है. वहीं एक के पालन-पोषण की प्रेरणादायक कहानी है.

World Elephant Day
ईटीवी भारत ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

पलामू: इंसान के बच्चों के रोटी और दूध खाकर बड़े होने की कहानी आम है. लेकिन हम आपको ऐसी कहानी बता रहे हैं, जिसमें एक हाथी का बच्चा रोटी और दूध खाकर बड़ा होता है और महावत उसे उसका मां-बाप बनकर पालता है.

जानकारी देते संवाददाता नीरज कुमार (ईटीवी भारत)

बात 2011-12 के दौरान की है. पलामू टाइगर रिजर्व के बारेसाढ़ इलाके में वज्रपात की चपेट में आकर एक मादा हाथी की मौत हो गई. मादा हाथी के साथ एक छोटा बच्चा भी था, वज्रपात से वह सकुशल बच गया था. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों की नजर इस हाथी के बच्चे पर पड़ी. उन्होंने इसका रेस्क्यू किया और बेतला नेशनल पार्क के इलाके में लेकर आ गए.

महावत सत्येंद्र के साथ राखी (ईटीवी भारत)

महावत को सौंपी गई बच्चे की जिम्मेदारी

बेतला नेशनल पार्क में इस छोटे से हाथी के बच्चे का नामकरण किया गया, इसका नाम राखी रखा गया. अधिकारियों ने राखी की देखभाल की जिम्मेदारी सत्येंद्र सिंह नाम के महावत को दी. राखी की देखभाल करना किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन सत्येंद्र सिंह ने इसे बड़ी सिद्दत से किया. उन्होंने मां-बाप बनकर उसका पालन-पोषण किया. सत्येंद्र सिंह जहां भी जाते, राखी उनके पीछे-पीछे जाती और उनके साथ रहती. सत्येंद्र सिंह बताते हैं कि पहले तो इसे पालने में काफी परेशानी आई, लेकिन बाद में यह सामान्य हो गई.

"शुरुआत में राखी का पालन-पोषण करना बड़ी चुनौती थी. राखी को रोजाना रोटी और दूध दिया जाता था. पाउडर से करीब 11 लीटर दूध तैयार कर रोटी के साथ दिया जाता था. समय के साथ धीरे-धीरे राखी सामान्य हो गई और आज वह बेतला नेशनल पार्क में रह रही है."- सत्येंद्र सिंह, महावत

राखी आज बेतला नेशनल पार्क में आकर्षण का मुख्य केंद्र है. उसे देखने काफी संख्या में पर्यटक आते हैं.

"राखी को विभाग ने बहुत ही सावधानी से पाला है. आज वह बेतला नेशनल पार्क में मौजूद है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. राखी की मां की मौत बिजली गिरने से हो गई थी जिसके बाद उसे बेतला नेशनल पार्क लाया गया था." - संतोष कुमार सिंह, फॉरेस्टर

बेतला में रहती है हाथियों की कुलमाता जूही

राखी के जैसे ही बेतला में एक और हथिनी है, जो काफी फेमस है. इस हथिनी का नाम जूही है और इसकी उम्र करीब 70 साल है. जूही को हाथियों की कुलमाता कहा जाता है. वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि 1981 में जूही को बिहार के सीतामढ़ी से खरीदकर बेतला नेशनल पार्क लाया गया था. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व राज्यपाल एआर किदवई जैसी बड़ी हस्तियां भी जूही की सवारी कर चुके हैं.

हाथियों की कुलमाता जूही (ईटीवी भारत)

पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना कहते हैं कि जूही बहुत ही शांत स्वभाव की हथिनी है. बेतला में मौजूद हाथी उसके इशारे पर चलते हैं. जूही जहां भी रुकती है, सभी हाथी वहीं रुक जाते हैं. जूही को झारखंड में आयोजित एशियाई महिला खेलों का शुभंकर भी बनाया गया था.

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