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पलामू के दामादों की देश में धाक! संसद और सियासत के उच्च पदों पर हैं आसीन! - Influence of Palamus sons in law

Palamu’s sons-in-law in politics. देश की राजनीति में पलामू के दामादों का दबदबा है. पलामू की जनता ने अपने दामाद को सिर-आंखों पर बैठाया और उनपर भरपूर प्यार लुटाया. आज ये राष्ट्रीय पार्टी के उच्च पदों पर आसीन हैं और संसद में क्षेत्र की नुमाइंदगी कर रहे हैं. इतना ही नहीं इनमें से एक दामाद पर देश की रक्षा का दायित्व है.

sons in law of Palamu dominates in Indian politics
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 14, 2024, 5:37 PM IST

पलामूः झारखंड का पलामू जिला, भले ही नक्सली गतिविधि के लिए इसकी छवि धूमिल हुई है. इसके साथ ही देश और प्रदेश के सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र में ये जिला शुमार है लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से पलामू जिला काफी समृद्ध है. पलामू के दामादों की धाक देश की राजनीति में खूब है.

पलामू के दामाद देश के उच्च पदों पर आसीन हैं. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पलामू सांसद विष्णुदयाल राम, चतरा सांसद कालीचरण सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अरुण सिंह पलामू के दामाद हैं. पहली बार पलामू के इलाके से तीन दामाद देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं. 2024 से पहले राजनाथ सिंह और विष्णुदयाल राम सांसद रहे. 2024 में पलामू के एक और दामाद कालीचरण सिंह चतरा से सांसद चुने गए.

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सांसद हैं लेकिन उनका ससुराल पलामू संसदीय क्षेत्र के रमना में है. विष्णुदयाल राम बिहार के बक्सर के रहने वाले हैं, पर उनका ससुराल पलामू के मेदिनीनगर में है. विष्णुदयाल राम 2014 से लगातार पलामू के सांसद हैं. कालीचरण सिंह मूल रूप से चतरा के रहने वाले है जबकि उनका ससुराल पलामू के पांकी के कामत में है. कालीचरण सिंह पलामू में शिक्षक के पद पर भी तैनात रहे थे और नौकरी से इस्तीफा देने के बाद राजनीति में कदम बढ़ाया. विष्णुदयाल राम झारखंड के डीजीपी रह चुके हैं और 2014 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और पलामू से सांसद चुने गए.

देश के आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल है पलामू संसदीय क्षेत्र

पलामू संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पलामू और गढ़वा देश के आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल है. जिला के अंतर्गत पांकी विधानसभा क्षेत्र चतरा संसदीय क्षेत्र में है. पलामू संसदीय क्षेत्र नक्सल हिंसा के साथ-साथ पिछड़ेपन के लिए भी जाना जाता है. ये इलाका सिंचाई की संकट और पलायन की समस्या से कई दशकों से जूझ रहा है. यहां के लोगों को उम्मीद है कि उनके दामाद इलाके को पिछड़े जिलों के सूची से बाहर निकालेंगे और यहां की समस्या का समाधान करेंगे. पलामू से प्रतिवर्ष 70 से 80 हजार लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, यहां कोई भी बड़ा औद्योगिक घराना नहीं है.

पलामू के लिए ऐतिहासिक पल है. तीन दामाद देश के उच्च पद पर आसीन हुए है. निश्चित रूप से आने वाले दिनों में इसका लाभ पलामू को मिलेगा और यहां विकास कार्य तेजी से होंगे. पलामू की मिट्टी से जुड़े हुए लोग सांसद और रक्षा मंत्री. वे जहां भी हैं उनकी निगाहें पलामू पर रहेगी. -नवीन तिवारी, समाजसेवी.

पलामू से जुड़े लोग देश स्तर पर मजबूत हो रहे हैं यह खुशी की बात है. शीर्ष पदों पर कायम लोगों की जड़े पलामू से जुड़ी हुई है जिससे इलाके का मान सम्मान बढ़ा है. निश्चित रूप से पलामू के इलाके के समस्याओं का समाधान होगा. -अमित तिवारी, पलामू जिला अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी.

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