पलामूः झारखंड का पलामू जिला, भले ही नक्सली गतिविधि के लिए इसकी छवि धूमिल हुई है. इसके साथ ही देश और प्रदेश के सुखाड़ग्रस्त क्षेत्र में ये जिला शुमार है लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से पलामू जिला काफी समृद्ध है. पलामू के दामादों की धाक देश की राजनीति में खूब है.
पलामू के दामाद देश के उच्च पदों पर आसीन हैं. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पलामू सांसद विष्णुदयाल राम, चतरा सांसद कालीचरण सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अरुण सिंह पलामू के दामाद हैं. पहली बार पलामू के इलाके से तीन दामाद देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं. 2024 से पहले राजनाथ सिंह और विष्णुदयाल राम सांसद रहे. 2024 में पलामू के एक और दामाद कालीचरण सिंह चतरा से सांसद चुने गए.
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सांसद हैं लेकिन उनका ससुराल पलामू संसदीय क्षेत्र के रमना में है. विष्णुदयाल राम बिहार के बक्सर के रहने वाले हैं, पर उनका ससुराल पलामू के मेदिनीनगर में है. विष्णुदयाल राम 2014 से लगातार पलामू के सांसद हैं. कालीचरण सिंह मूल रूप से चतरा के रहने वाले है जबकि उनका ससुराल पलामू के पांकी के कामत में है. कालीचरण सिंह पलामू में शिक्षक के पद पर भी तैनात रहे थे और नौकरी से इस्तीफा देने के बाद राजनीति में कदम बढ़ाया. विष्णुदयाल राम झारखंड के डीजीपी रह चुके हैं और 2014 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और पलामू से सांसद चुने गए.
देश के आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल है पलामू संसदीय क्षेत्र
पलामू संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पलामू और गढ़वा देश के आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल है. जिला के अंतर्गत पांकी विधानसभा क्षेत्र चतरा संसदीय क्षेत्र में है. पलामू संसदीय क्षेत्र नक्सल हिंसा के साथ-साथ पिछड़ेपन के लिए भी जाना जाता है. ये इलाका सिंचाई की संकट और पलायन की समस्या से कई दशकों से जूझ रहा है. यहां के लोगों को उम्मीद है कि उनके दामाद इलाके को पिछड़े जिलों के सूची से बाहर निकालेंगे और यहां की समस्या का समाधान करेंगे. पलामू से प्रतिवर्ष 70 से 80 हजार लोग रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं, यहां कोई भी बड़ा औद्योगिक घराना नहीं है.