सहारनपुर :खनन कारोबार की काली कमाई से शोहरत का महल खड़ा करने वाले पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल की ग्लोकल यूनिवर्सिटी को ईडी ने जब्त कर लिया है. विवादों से इकबाल का पुराना नाता रहा है. यूपी में साल 2007 से लेकर 2012 के बीच मायावती शासन में इकबाल का सिक्का चलता था. उसके दरबार में बड़े से बड़े मंत्री और विधायक भी नतमस्तक रहते थे. लोगों में खौफ पैदा कर मिर्जापुर इलाके में उसने 121 एकड़ में ग्लोकल यूनिवर्सिटी खड़ी कर दी. विवि को बनाने के लिए उसने बरसाती नदियों तक पर कब्जा जमाया. विवि की कीमत करीब 4440 करोड़ रुपये है.
अवैध खनन के साथ हाजी इकबाल उर्फ बाला मनी लॉन्ड्रिंग से भी अपना खजाना भर रहा था. बसपा के अलावा सपा सरकार में भी उसका वर्चस्व रहा. वह पश्चिमी यूपी का सबसे बड़ा खनन माफिया माना जाता था. सब कुछ जानते हुए भी सरकारें उस पर कार्रवाई से कतराती रहीं. इससे उसकी हैसियत में लगातार इजाफा होता गया.
बसपा सरकार में इकबाल ने कौड़ियों के दाम में चीनी मिल खरीद लीं. मामला साल 2010 से लेकर 2011 के बीच का है. करीब 11 चीनी मिलों की बेहद कम कीमतों पर बिक्री की गई थी. इससे राज्य और केंद्र सरकार को एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था. सहारनपुर में भी वह कई चीनी मिलें चला रहा था. इससे भी उसने अरबों की कमाई की. साल 2017 में उसके बुरे दिनों की शुरुआत हुई. पुलिस ने इकबाल समेत उसके छोटे भाई महमूद अली, चारों बेटों और रिश्तेदारों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया.
अवैध खनन, मनी लॉन्ड्रिंग, जमीनों पर कब्जे, रेप जैसे गंभीर आरोप लगे: हाजी के बुरे दिन तब शुरू हुए जब उस पर एक के बाद एक मुकदमे दर्ज होने लगे. इस समय पर उस पर करीब 40 मुकदमे दर्ज हैं. पुलिस ने अपनी क्राइम फाइल में उसे गैंग लीडर दर्ज कर रखा था. पुलिस ने महमूद अली, उसके चारों बेटों और कुछ रिश्तेदारों को पकड़ा, लेकिन इकबाल आज तक पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका. हालांकि करीब एक साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व एमएलसी हाजी इकबाल, उसके भाई और बेटों को राहत दे दी थी। सर्वोच्च अदालत ने इनके ऊपर कायम गैंगरेप, लूट, गैंगस्टर, धोखाधड़ी का मुकदमा वापस लेने का दवाब बनाने समेत मामलों में एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया था.
साल 2022 में सहारनपुर पुलिस की ओर से इकबाल की करीब 107 करोड़ की संपत्ति को गैंगस्टर एक्ट में कुर्क कर लिया गया था. इनकी अनुमानित कीमत 36 करोड़ 40 लाख 13 हजार 137 थी. सीएम योगी ने केंद्र सरकार से पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इसके बाद सीबीआई ने भी केस दर्ज कर तफ्तीश शुरू की थी. इसके बाद इकबाल पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया.
साल 2021 में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने चीनी मिल घोटाले में भी हाजी इकबाल पर एक्शन लिया था. उस दौरान भी करीब 1 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की गई थी. नम्रता मार्केटिंग प्रा. लिमिटेड के अलावा गिरीशो कंपनी इकबाल के नियंत्रण में थीं. उसने विभिन्न शेल कंपनियों के जरिए चीनी मिलों का अधिग्रहण किया था. हाजी इकबाल के अलावा उसके परिवार सदस्यों ने भी बोली में भाग लिया था.