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RSS नेता होसबाले बोले- चुनावी बॉण्ड एक 'प्रयोग', समय बताएगा कि कितना फायदेमंद रहा

Hosabale Comments on Electoral Bond: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले आरएसएस नेता ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बड़ा बयान दिया है. अब देखना होगा कि इसका क्या असर होगा.

Hosabale Comments on Electoral Bond
RSS नेता होसबाले

By PTI

Published : Mar 18, 2024, 6:59 AM IST

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को कहा कि चुनावी बॉण्ड एक 'प्रयोग' है और वक्त आने पर पता चलेगा कि यह कितना फायदेमंद एवं प्रभावी रहा. संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने रविवार को दत्तात्रेय होसबाले को तीन साल के लिए पुन: सरकार्यवाह (महासचिव) निर्वाचित किया. निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉण्ड के आंकड़े जारी किए थे. कई अरबपति कारोबारी और कम प्रसिद्ध कंपनियां इसके खरीदारों में शामिल हैं.

इस्पात कारोबारी लक्ष्मी मित्तल से लेकर अरबपति सुनील भारती मित्तल की एयरटेल, अनिल अग्रवाल की वेदांता, आईटीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा से लेकर कम प्रसिद्ध फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज अब रद्द किए जा चुके चुनावी बॉण्ड के प्रमुख खरीदारों में शामिल थे. चुनावी बॉण्ड मुद्दे पर जतायी जा रही चिंताओं और लाभ पाने के लिए इन्हें खरीदने के दावों के बारे में होसबाले ने कहा कि संघ ने अभी तक इस पर चर्चा नहीं की है क्योंकि चुनावी बॉण्ड एक 'प्रयोग' है.

उन्होंने कहा, 'यह नियंत्रण एवं संतुलन के साथ किया गया और ऐसा नहीं है कि चुनावी बॉण्ड आज अचानक पेश किए गए. इसे (ऐसी योजना) पहले भी लाया गया था. जब भी कोई बदलाव होता है तो सवाल उठाए जाते हैं. जब ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) लायी गयी थीं तब भी सवाल उठाए गए थे.' होसबाले ने कहा, 'जब नयी चीजें आती हैं तो लोगों का सवाल उठाना स्वाभाविक है लेकिन वक्त आने पर पता चलेगा कि नयी व्यवस्था कितनी फायदेमंद और प्रभावी रही इसलिए संघ को लगता है कि इसे प्रयोग के लिए छोड़ देना चाहिए.'

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 साल के कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का संघ स्वागत करता है. उन्होंने कहा कि इसे लागू करने की मांग वाला एक प्रस्ताव कई साल पहले संगठन की 'अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा' में पारित किया गया था. होसबाले ने कहा, 'इसे (भाजपा शासित) उत्तराखंड में लागू किया गया है. हम चाहेंगे कि इसे पूरे देश में लागू किया जाए लेकिन उत्तराधिकार, गोद लेना, विवाह और अन्य मुद्दे जैसे कुछ विवरण हैं जिन पर चर्चा करने की आवश्यकता है और फिर वे आगे बढ़ सकते हैं.'

उन्होंने कहा कि लोगों ने देश में पिछले 10 साल में हुई प्रगति देखी है और यहां तक कि प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और राजनीतिक विचारकों ने भी दोहराया है कि वर्तमान सदी भारत की सदी है. उन्होंने कहा, 'वे ऐसा कह रहे थे, तो कुछ अच्छा ही हो रहा होगा. वैसे भी, लोग चार जून (लोकसभा चुनाव की मतगणना के दिन) को अपना फैसला सुनाएंगे.' यह पूछे जाने पर कि क्या नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) में अंतिम तारीख को मौजूदा 31 दिसंबर 2014 से बढ़ाया जाना चाहिए, आरएसएस नेता ने कहा कि जरूरत पड़ने पर प्राधिकारियों द्वारा ऐसा किया जा सकता है.

मथुरा और काशी में पूजा स्थलों से संबंधित विवादों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हिंदू संतों और विश्व हिंदू परिषद ने इस मुद्दे को उठाया है और यह भी कहा है कि आंदोलन की प्रकृति समस्या पर निर्भर करती है. होसबाले ने कहा, 'राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए जो किया गया, वह हर चीज के लिए नहीं किया जाना चाहिए. यह जरूरी नहीं है. मामला अदालत में है. अगर अदालत इसका समाधान कर देती है तो आंदोलन की कोई जरूरत नहीं है.'

आरएसएस की 'अल्पसंख्यक' की परिभाषा को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने जवाब दिया कि इसकी अवधारणा संविधान में है. होसबाले ने कहा, 'हम सभी को इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह देश सभी का है और (समुदायों को) अल्पसंख्यक कहने की पद्धति या विचार दशकों से चल रहा है. जो पारंपरिक अर्थों में हिंदू हैं, जो लोग हिंदू संहिता विधेयक के अनुसार हिंदू माने जाते हैं, वे संघ द्वारा संगठित हैं.'

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