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झारखंड कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला: अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर के एमडी को 4 साल, पूर्व डायरेक्टर को तीन साल कैद की सजा - 2005 JHARKHAND COAL SCAM CASE

-2005 झारखंड कोयला ब्लॉक आंवटन घोटाला मामला -अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर के MD को 4 साल की सजा -कंपनी के पूर्व डायरेक्टर को 3 साल की सजा

2005 JHARKHAND COAL SCAM
2005 झारखंड कोयला ब्लॉक आंवटन घोटाला मामला (SOURCE: ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 12, 2024, 10:06 AM IST

नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 2005 में झारखंड में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला के मामले में अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर के मैनेजिंग डायरेक्टर को चार साल और पूर्व डायरेक्टर को तीन साल की कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कंपनी पर तीस लाख रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. स्पेशल जज अरुण भारद्वाज ने ये आदेश दिया. कोर्ट ने अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कुमार जायसवाल को चार साल और पूर्व डायरेक्टर रमेश कुमार जायसवाल को तीन साल कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने 9 दिसंबर को तीनों को दोषी करार दिया था.

कोर्ट ने झारखंड के बृंदा, सिसई और मेराल में 2005 में अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्टर को कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में कंपनी अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर, इसके मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कुमार जायसवाल और पूर्व डायरेक्टर रमेश कुमार जायसवाल को दोषी ठहराया था. सीबीआई के मुताबिक अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर ने लोकसेवकों के साथ साजिश रचकर कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल किया था. कंपनी पर अपने वित्तीय स्थिति को गलत ढंग से प्रस्तुत करने का आरोप है.

सीबीआई के मुताबिक अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर ने भूमि अधिग्रण, मशीनरी की खरीद और प्लांट चलाने के लिए वित्तीय सहयोग संबंधी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल किया. कंपनी ने कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने के लिए हजारीबाग में भूमि खरीदने का फर्जी दस्तावेज पेश किया था. फर्जी दस्तावेजों के जरिये कंपनी ने स्टील मंत्रालय से अपने पक्ष में सिफारिश हासिल की. जिसके बाद उसे कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल हुआ.

कोर्ट ने पाया कि फर्जी तरीके से कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल करने से सार्वजनिक धन का नुकसान हुआ. इस मामले में सीबीआई ने 2016 में एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने 2020 में चार्जशीट दाखिल की. सीबीआई ने चार्जशीट में कंपनी और दोनों आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया था. इस मामले में 34 गवाहों और 74 दस्तावेजों के परीक्षण किए गए थे.

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