नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मणिपाल अस्पताल को सेवा में कमी के लिए एक मृत मरीज के परिवार के सदस्यों को 10 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा, 'केवल चिकित्सा साहित्य पर निर्भरता अस्पताल को उसके कर्तव्य से मुक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. 2003 में फेफड़े की सर्जरी के बाद मृतक ने अपनी आवाज खो दी थी. वर्ष 2003 के बाद से वर्ष 2015 में अपनी मृत्यु तक बिना पदोन्नति के एक निजी कंपनी के लिए एरिया सेल्स मैनेजर के उसी पद पर बने रहे.
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा, 'केवल चिकित्सा साहित्य पर निर्भरता अस्पताल को यह सुनिश्चित करने के अपने कर्तव्य से मुक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी कि एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख को डबल लुमेन ट्यूब डालनी चाहिए थी. इसके बजाय, वह उपलब्ध नहीं था और यह कार्य एक प्रशिक्षु एनेस्थेटिस्ट को सौंप दिया गया था.'
मृतक के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि मृतक निजी क्षेत्र में एरिया सेल्स मैनेजर के रूप में काम कर रहा था और उसकी आवाज की कर्कशता के कारण उसे पदोन्नति से वंचित कर दिया गया और उसका करियर बर्बाद हो गया. वकील ने कहा कि मृतक ने अपनी आवाज खो दी थी और वह वर्ष 2003 से वर्ष 2015 के अंत में अपनी मृत्यु तक बिना पदोन्नति के उसी पद पर बना रहा.