रांचीः राजधानी के अल हसन अपार्टमेंट में रहने वाले डॉ इश्तियाक अलकायदा इन इंडियन सब-कांटिनेंट (एक्यूआईएस) के झारखंड मॉड्यूल के लिए आतंकियों की बहाली करवा रहा था. दिल्ली और राजस्थान से डॉ इश्तियाक के द्वारा भेजे गए युवा आतंकी ट्रेंनिग करते पकड़े गए हैं. अब्दुल रहमान कटकी की गिरफ्तारी के बाद डॉ. इश्तियाक ने अलकायदा में बहाली के सिस्टम को दोबारा एक्टिव किया था.
कटकी ने तैयार किया था झारखंड मॉड्यूल
अलकायदा इन इंडियन सब-कांटिनेंट (एक्यूआईएस) के झारखंड मॉड्यूल का गठन अब्दुल रहमान कटकी ने किया था. डॉ इश्तियाक उसी को आगे बढ़ा रहा था.
डॉ इश्तियाक मूलरूप से झारखंड के जमशेदपुर का रहने वाला है. रांची के मेडिका अस्पताल में वह रेडियोलॉजी विभाग में काम करता था. इसके अलावा हजारीबाग में भी उसका अपना क्लीनिक है. बताया जा रहा है कि हजारीबाग आने जाने के क्रम में ही उसने फैजान अहमद को संगठन से जोड़ा था. डॉक्टर रांची के जोड़ा तालाब स्थित अल हसन रेसिडेंसी में रहता है. इश्तियाक ने रांची के रिम्स से एमबीबीएस किया है.
कहां-कहां एटीएस ने दी दबिश
- डॉ इश्तियाक अहमद, अल हसन रेसीडेंसी, बरियातू जोड़ा तालाब
- फैजान अहमद, लोहसिंघना, हजारीबाग
- मो मोदब्बीर, बलसोकरा, चान्हो, रांची
- मो रिजवान, चान्हो
- मुफ्ती रहमतुल्लाह मजहिरी, चटवल, चान्हो
- मतिउर रहमान, पिपराटोली, चान्हो
- इलताफ अंसारी, कुडू, हेंजला कौवाखाप, लोहरदगा
- एनामुल अंसारी, पकोरियो, चान्हों, रांची
- शहबाज, पकोरियो, चान्हों, रांची
जानकारी के अनुसार सभी को सुरक्षा के दृष्टिकोण से आधी रात में ही न्यायाधीश के आवास में पेश किया गया है.
2010 में कटकी आया था
साल 2010 के बाद कटकी ने झारखंड के जमशेदपुर, रांची, लोहरदगा, हजारीबाग समेत कई शहरों का दौरा किया था. इन शहरों में तकरीर के जरिए वह लोगों को प्रभावित करता था. इसके बाद रेडिक्लाइज कर उसने सैकड़ों लोगों को स्लीपर सेल से जोड़ा था. 18 जनवरी 2016 को कटकी को पहली बार दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मेवात से गिरफ्तार किया था. कटकी की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ था कि झारखंड के कई बच्चों को वह कटक भी ले गया था, जहां धार्मिक पाठ के बहाने जिहाद के लिए उकसाया जाता था.
17 लोगों की बनायी थी कोर टीम
अब्दुल रहमान कटकी ने एक्यूआईएस की 17 सदस्यीय कोर टीम बनाई थी. उसमें जमशेदपुर के सामी और कलीम भी शामिल थे. झारखंड में एक्यूआईएस मॉड्यूल के बारे मे जांच एजेंसियां बताती हैं कि यहां पहले चरण की शुरुआत की गई थी. इसके लिए रिक्रूटमेंट सेल स्थापित किया गया था. इसका काम जेहादी के तौर पर युवाओं को संगठन से जोड़ना था.
झारखंड निवासी जीशान अली, सैयद मो. अर्शियान, मो. सामी (तीनों जमशेदपुर), अबु सूफियान (चतरा), मो. कलीमुद्दीन मूल निवासी रड़गांव और वर्तमान पता आजादबस्ती रोड नम्बर 12 मानगो, जमशेदपुर, रिक्रूटमेंट सेल का संचालक और प्रेरक थे. हालांकि बाद में कमलीमुद्दीन को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से राहत मिल गई थी. जबकि चतरा का रहने वाला अबू सुफियान अबतक फरार है.
बताया जाता है अलकायदा के प्रशिक्षण शिविर में जाने के बाद से उसका पता नहीं चला. इसके अलावा डॉ. सबील और अब्दुल रहमान कटकी का जमशेदपुर से जुड़ाव रहा. इनके पाकिस्तान, ईरान और टर्की से चलनेवाले आतंकी संगठनों के प्रमुख लोगों से संपर्क हैं.